लाइव हिमाचल/शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से शास्त्री डिग्री धारकों के लिए सुख भरी खबर आई है. हिमाचल हाईकोर्ट ने बिना बीएड शास्त्री डिग्रीधारकों यानी उन शास्त्री अध्यापकों को राहत दी है, जिनके पास बीएड की डिग्री नहीं है. हाईकोर्ट ने शास्त्री अध्यापकों के पदों के लिए बीएड की अनिवार्यता को गैरकानूनी ठहराया है. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने इस केस में बड़ा फैसला दिया है. न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने शास्त्री अध्यापकों के लिए बीएड की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा कर दिया है. इन याचिकाओं का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने कहा कि राज्य सरकार बिना तय प्रक्रिया और बिना भर्ती एवं पदोन्नति नियमों (आरएंडपी रूल्स) में संशोधन किए मनमानी शर्तों को नहीं थोप सकती. इससे पहले हाईकोर्ट की खंडपीठ भी शास्त्री अध्यापकों की भर्ती के लिए शैक्षणिक योग्यता के रूप में बीएड को अनिवार्य किए जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं को खारिज कर चुकी है. उस समय बीएड डिग्री धारकों ने 19 फरवरी 2020 की अधिसूचना के तहत करवाई जा रही शास्त्री अध्यापक के पदों की भर्तियों को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. प्रार्थियों ने यह भी दलील दी कि बीएड डिग्री की अनिवार्यता लागू करने से उनके बाद शास्त्री और बीएड करने वाले जूनियर उम्मीदवार नियुक्त हो सकते हैं। लेकिन इस बार एकलपीठ ने प्रार्थियों के पक्ष में निर्णय दिया। इस फैसले से सरकार को भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और शास्त्री अध्यापकों के लिए नियमों में संशोधन करने की आवश्यकता होगी।
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