



शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला शिमला की पंचायत गौंखार, धार चांदना और बावट के बीच स्थित प्रसिद्ध महासू देवता मंदिर में बूढ़ी दिवाली मनाने पर पांच साल पहले रोक लगा दी गई थी। अब कोर्ट ने इस रोक को हटा दिया है। अदालत ने शुक्रवार को यह आदेश सुनाते हुए कहा कि 20 अक्तूबर से शुरू होने वाले तीन दिवसीय बूढ़ी दिवाली उत्सव को शांति और सौहार्द के माहौल में मनाया जाए। बता दें यह रोक वर्ष 2020 में एसडीएम चौपाल की ओर से लगाई गई थी, जब तीनों पंचायतों के बीच मंदिर परिसर में दिवाली उत्सव मनाने को लेकर विवाद हो गया था। अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन धार चांदना और बावट पंचायत के लोगों को गौंखार स्थित महासू देवता मंदिर में दिवाली मनाने से नहीं रोक सकेगा। न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की एकल पीठ ने आदेश में कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि उत्सव के दौरान कानून-व्यवस्था बनी रहे। अदालत ने उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक शिमला को निर्देश दिए हैं कि मंदिर परिसर में पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की जाए ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके। साथ ही अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि शराब या किसी नशीले पदार्थ के सेवन करने वाले व्यक्ति को मंदिर परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट ने उत्सव के दौरान बड़े जुलूसों और किसी भी प्रकार के हथियार लाने पर रोक लगाई है। लोगों को किसी भी तरह की अपमानजनक भाषा या अपशब्दों के प्रयोग से बचने के निर्देश दिए गए हैं। अदालत ने कहा कि प्रत्येक परिवार की ओर से सिर्फ एक मशाल (टॉर्च) लाई जा सकती है और वह भी मंदिर परिसर के बाहर रखी जाएगी। यदि किसी ने नियमों का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। हाईकोर्ट ने कहा कि केवल प्रतिबंध लगाने से समस्या का समाधान नहीं होता। बेहतर यह है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखते हुए धार्मिक परंपराओं को जारी रखा जाए। अदालत ने माना कि सदियों से चल रही बूढ़ी दिवाली की परंपरा को कुछ वर्ष पहले बंद कर दिया गया था, जिसके बाद धार चांदना और बावट पंचायतों के लोग नई दिवाली मनाने लगे थे। अब समय आ गया है कि तीनों पंचायतें आपसी समन्वय से मतभेद दूर करें और धार्मिक कार्यक्रमों को आपसी सम्मान के साथ मनाएं। अदालत ने स्पष्ट किया कि धार चांदना और बावट पंचायतों के प्रधान यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके पंचायतों के लोग उत्सव के दौरान किसी भी प्रकार का उपद्रव न करें। यदि कोई व्यक्ति अदालत के आदेशों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही मंदिर परिसर में अधिक भीड़ जमा न होने देने के निर्देश दिए गए हैं ताकि किसी प्रकार की अफरा-तफरी की स्थिति पैदा न हो। धार्मिक गीतों और नृत्यों के दौरान गौंखार गांव के लोगों को कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता राजन काहोल को आदेश दिया है कि फैसले की एक प्रमाणित प्रति उसी दिन उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक शिमला को पहुंचाई जाए ताकि निर्देशों को तुरंत लागू किया जा सके। महासू देवता मंदिर को लेकर लोगों में गहरी आस्था है। हर साल यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु बूढ़ी दिवाली का पर्व मनाने आते थे। पांच साल बाद अब अदालत से अनुमति मिलने पर लोगों में जबरदस्त उत्साह है। अनुमान है कि इस बार उत्सव में भारी भीड़ उमड़ सकती है।