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हिम तेंदुओं की रक्षक बनी नारी शक्ति, माइनस तापमान में ट्रैप कैमरा संभाल रही 11 महिलाएं…

शिमला: लाहौल-स्पीति के किब्बर गांव की महिलाएं ट्रैप कैमरा का एंगल दुरुस्त कर रही हैं। लोबजंग यांगचेन की अगुवाई में बनी 11 महिलाओं की टीम न सिर्फ कैमरा लगाती है, बल्कि खुद तस्वीरें टैग कर डाटा प्रोसेस भी करती है। लोबजंग यांगचेन ने कहा कि पहले लोग हिम तेंदुए को दुश्मन मानते थे, लेकिन अब समझते हैं कि ये भी इस धरती का हिस्सा हैं। हवा में बर्फ की सुइयां चुभती हैं, तापमान माइनस में है, पर लाहौल-स्पीति के किब्बर गांव की महिलाएं ट्रैप कैमरा का एंगल दुरुस्त कर रही हैं। ये वही जनजातीय महिलाएं हैं, जो कभी खेतों और रसोई तक सीमित थीं। अब हिमालय की बर्फीली ढलानों पर हिम तेंदुओं की हिफाजत में जुटी हैं। लोबजंग यांगचेन की अगुवाई में बनी 11 महिलाओं की टीम न सिर्फ कैमरा लगाती है, बल्कि खुद तस्वीरें टैग कर डाटा प्रोसेस भी करती है। विज्ञान और जज्बे का यह संगम अब संरक्षण की नई कहानी लिख रहा है। टीम की अगुवाई करने वाली लोबजंग यांगचेन दो साल पहले वन्यजीव निगरानी से जुड़ीं। कभी कंप्यूटर न चलाने वाली लोबजंग अब न केवल कैमरा ट्रैप संभालती हैं, बल्कि वाइल्ड लाइफ की तस्वीरों को टैग कर डाटा प्रोसेस भी करती हैं। उनकी छोटी बहन छॉई और नौ अन्य स्थानीय महिलाएं इस टीम का हिस्सा हैं। लोबजंग यांगचेन ने कहा कि पहले लोग हिम तेंदुए को दुश्मन मानते थे, लेकिन अब समझते हैं कि ये भी इस धरती का हिस्सा हैं। वन्य जीव काजा डिविजन की उप अरण्यपाल गोल्डी का कहना है कि ईको-डेवलपमेंट कमेटियों, रोज़गार कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों की मदद से स्थानीय समुदायों और विभाग के बीच भरोसा बढ़ा है। अब लोग न केवल हिम तेंदुए की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि सर्दियों में स्नो लेपर्ड टूरिज्म से आजीविका भी कमा रहे हैं। एनसीएफ की शोधकर्ता दीपशिखा शर्मा का कहना है कि उनका लक्ष्य ऐसा मॉडल तैयार करना है, जिसमें विज्ञान, समुदाय और जलवायु अनुकूलता तीनों साथ चलें। वन विभाग और नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन की ओर संचालित सर्वे में राज्य में अब तक 83 हिम तेंदुए दर्ज किए गए हैं। साल 2021 में 51 हिम तेंदुए थे। यह सर्वे ऊंचाई वाले इलाकों में संरक्षण के लिए एक मील का पत्थर है। आठ लाख से अधिक तस्वीरें प्रोसेस की गईं हैं। इनमें स्थानीय महिलाओं की भागीदारी ने अहम भूमिका निभाई है। रिपोर्ट में हर 3 से 5 वर्ष में कैमरा ट्रैप सर्वे दोहराने, जलवायु अनुकूल उपाय अपनाने और स्थानीय ज्ञान को संरक्षण योजनाओं में शामिल करने की सिफारिश की गई है।

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