



लाइव हिमाचल/शिमला: 2014 के युग गुप्ता अपहरण और हत्या मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है, जिसमें कोर्ट ने एक आरोपी को बरी कर दिया है और दो अन्य आरोपियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री से यह नहीं पता चलता कि आरोपियों में सुधार नहीं किया जा सकता, इसलिए हम अपराध के प्रति अपने आक्रोश के बावजूद अधीनस्थ अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि करने में असमर्थ हैं। पीठ का कहना है कि आरोपियों में सुधार की संभावना के बेहतर मूल्यांकन की खातिर न्यायालय अदालतों के लिए व्यावहारिक दिशानिर्देश तैयार करना आवश्यक समझता है, जिन्हें वे अपनाएं और लागू करें, जब तक कि विधायिका और कार्यपालिका कानून के माध्यम से एक स्पष्ट रूपरेखा तैयार नहीं कर लेती। वहीं कोर्ट के इस फैसले से युग के पिता विनोद गुप्ता नाखुश है और उन्होंने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि 11 साल बाद भी न्याय नहीं मिला और वह उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करेंगे। बता दें 14 जून 2014 को युग गुप्ता का व्यस्त राम बाजार में स्थित उनके घर के आंगन से अपहरण कर लिया गया था। बच्चे को प्रताड़ित किया गया और 3.6 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई। अपहरण के सात दिन बाद उसकी हत्या कर दी गई। CID को मामले की जांच सौंपे जाने पर दो साल बाद 21 अगस्त 2016 को केल्स्टन स्थित शिमला नगर निगम की पानी की एक टंकी से उसके कंकाल बरामद हुए थे। तीनों आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था और 6 अगस्त 2018 को उन्हें दोषी करार कर दिया गया था। 5 सितंबर 2018 को जिला एवं सत्र न्यायालय शिमला ने मामले में तीनों दोषियों चंदर शर्मा, तेजिन्दर और विक्रांत को मौत की सजा सुनाई थी। मंगलवार को हाईकोर्ट ने तेजिन्दर पाल सिंह की अपील स्वीकार कर ली और उसे बरी कर दिया। चंदर शर्मा और विक्रांत बख्शी की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की गई और उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 347 और 364ए के तहत दंडनीय अपराधों से बरी कर दिया गया।