



Himachal Lottery System: हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार ने लॉटरी सिस्टम फिर से शुरू करने का फैसला लिया है. 1996 में कुल राकेश पंत की याचिका पर हाईकोर्ट ने इसे बंद किया था. भाजपा इस फैसले का विरोध कर रही है. सरकार ने प्रदेश में लॉटरी सिस्टम को फिर से शुरू करने के ऐलान किया है. सरकार ने आय बढ़ाने के लिए यह फैसला लिया है. गौरतलब है कि हिमाचल में 30 पहले हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने लॉटरी सिस्टम बंद कर दिया था. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि उस दौरान क्यों और किस शख्स की वजह से लॉटरी सिस्टम बंद किया गया था. आपको बताते चलें कि सोलन नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन कुल राकेश पंत की वजह से साल 1996 में हिमाचल प्रदेश में लॉटरी बैन हो गई थी. उन्होंने इस सिंगल डिजीट लॉटरी सिस्टम के खिलाफ हाईकोर्ट को चिट्टी लिखी थी, जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इसे बैन कर दिया गया था। मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि सिंगल डिजिट लॉटरी की वजह से उस समय लोग बर्बाद होने लगे थे. शिमला, सोलन वह अन्य इलाकों में सभी लोग लॉटरी लेने के लिए रोजाना उमड़ पड़ते थे. सोलन माल रोड पर तो मजदूर से लेकर सरकारी कर्मचारियों का जमावड़ा लग जाता था और फिर हर आधे घंटे बाद लॉटरी का इनाम घोषित किया जाता था. यहां तक कि एक सरकारी कर्मचारी ने तो अपनी रिटायरमेंट की कमाई लॉटरी में गंवा दी थी. उन्होंने कहा कि अभी देखना होगा कि किस तरह का लॉटरी सिस्टम लागू होता है. अगर सिंगल डिजिट लॉटरी सिस्टम लागू हुआ तो वह फिर से आवाज बुलंद करेंगे. कुल राकेश पंत ने हाईकोर्ट को खत लिखा था और 17 अप्रैल 1996 को आए फैसले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सिंगल-डिजिट लॉटरी की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. उस दौरान मुख्य न्यायाधीश एसएन फुकन और न्यायमूर्ति एल एस पंत की खंडपीठ ने यह आदेश जारी किए थे।