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क्या सुक्खू दें पाएंगे गुरु दक्षिणा, कांगड़ा में एकजुटता पर भी निगाहें…

शिमला : पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा के चुनावी दंगल में उतरने से पहाड़ी राज्य “हिमाचल” की राजनीति दिलचस्प हुई है। शर्मा का कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से दूर- दूर तक कोई नाता नहीं है। 1982 में आनंद शर्मा ने शिमला विधानसभा से पहला ओर अंतिम चुनाव लड़ा था, जिसमें वो हार गए थे। शर्मा को 37. 61 प्रतिशत पड़े थे, जबकि भाजपा के दौलत राम चौहान 49.43 प्रतिशत वोट हासिल कर चुनाव जीत गए थे। चौहान व शर्मा के प्राप्त मतों की संख्या क्रमशः 12,314 व 9,369 रही थी। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राज्य के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के आनंद शर्मा ही राजनीतिक गुरु हैं। ये अलग बात है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू की सीएम बनने के बाद कभी भी राजनीतिक गुरु को लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, वरिष्ठ पत्रकार मानते है कि सीएम ने शर्मा से ही शुरुआती दौर में दाव पेंच सीखे हैं। एक तर्क यह भी है कि दिवंगत पंडित सुखराम से भी सुखविंदर सिंह सुक्खू को गुर मिले हैं। बताते है कि सीएम ने ही कांगड़ा संसदीय क्षेत्र की राजनीतिक बिसात पर गोटियां बिछाई है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि  ताउम्र गांधी परिवार के नजदीक रहने वाले आनंद शर्मा की साख भी दाव पर लग गई है। अंदर खाते की राजनीति के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इस बात में दम है कि सीएम के गुरु आनंद शर्मा नहीं चाहते होंगे कि राजनीतिक जीवन के अंतिम दौर में चुनाव लड़ने का खतरा मोल ले, क्योंकि वो 42 साल से निर्वाचित राजनीति  से दूर ही रहे।

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