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Monsoon Session 2023: मानसून सत्र आज से, क्या इस बार संसद में सरकार को हरा देगा विपक्ष का इंडिया? जान लीजिए राज्यसभा का समीकरण

दिल्ली : संसद का मॉनसून सत्र आज से शुरू हो रहा है। 17वीं लोकसभा के इस सत्र के बाद संसद के सिर्फ दो सत्र होंगे, फिर चुनाव बाद नई लोकसभा का गठन होगा। संसद का यह मॉनसून सत्र 17वीं लोकसभा का 12वां सत्र है जो 20 जुलाई से आरंभ होकर 11 अगस्त तक चलेगा। इस सत्र में दिल्ली सरकार के सर्विसेज डिपार्टमेंट को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से जारी अध्यादेश को कानून का रूप दिए जाने लिए विधेयक पेश किया जाना है। लोकसभा सचिवालय ने भी इसकी पुष्टि की है। सचिवालय की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि इस संसद सत्र के दौरान सरकारी कार्यों की संभावित सूची में 21 नए विधेयकों को पेश और पारित करने के लिए शामिल किया गया है। इसमें दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 भी शामिल है।

आप ने दिल्ली अध्यादेश पर कांग्रेस को भी साथ ले लिया

दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (AAP) ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है और वह सरकार को जमकर कोस रही है। पार्टी ने विपक्ष के कई दलों को अपने साथ ले लिया है। इसके अलावा, कई ऐसे मुद्दे हैं जो इशारा करते हैं कि संसद का मॉनसून सत्र काफी हंगामेदार रहने वाला है। दरअसल, सत्ता पक्ष जहां महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने का प्रयास करेगा, वहीं विपक्ष मण‍िपुर हिंसा, रेल सुरक्षा, महंगाई और अडाणी मामले पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) गठित करने की मांग सहित अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन की सरकार (NDA Government) को भी इस बात का पूरा अहसास है कि नए-नए गठबंधन को आकार देने में जुटा विपक्ष संसद में अपनी ताकत का अहसास करवाने का मौका नहीं चूकेगा। ध्यान रहे कि विपक्ष के 26 दलों ने अगले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कड़ी चुनौती देने के प्रयास के तहत मंगलवार को I.N.D.I.A के नाम से नए गठबंधन की घोषणा की। सरकार को घेरने की रणनीति तय करने के लिए आज विपक्षी गठबंधन इंडिया की पहली बैठक भी होने वाली है। सूत्रों के मुताबिक, बैठक राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के संसद भवन स्थित कक्ष में होगी।

इन मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा विपक्ष

परंपरा के मुताबिक, संसद सत्र से पहले बुधवार को सर्वदलीय बैठक हो चुकी है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि सत्र में महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जाने हैं, ऐसे में सभी दलों को सत्र चलाने में सहयोग करना चाहिए क्योंकि सरकार नियम-प्रक्रिया के तहत किसी भी विषय पर चर्चा कराने से पीछे नहीं हट रही है। वहीं, हाल में कांग्रेस पार्टी की संसदीय रणनीति समूह की बैठक में सत्र के दौरान मण‍िपुर हिंसा, रेल सुरक्षा, संघीय ढांचे पर कथित आक्रमण, जीएसटी को पीएमएलए के दायरे में लाने और महंगाई पर चर्चा कराने की मांग पर जोर देने की बात कही गई थी।

दिल्ली अध्यादेश पर सरकार की होगी हार?

खैर, बात दिल्ली सरकार को लेकर जारी अध्यादेश पर लाए जा रहे विधेयक तक सीमित रखते हैं। सवाल है कि क्या विपक्षी एकता के सामने राज्यसभा में यह विधेयक पास नहीं हो पाएगा जहां सरकार अल्पमत में है? इसका एक जवाब तो यह है कि बीते नौ सालों में राज्यसभा में कोई भी विधेयक गिरा नहीं है। संख्याबल साथ नहीं होने के बावजूद मोदी सरकार संसद के इस उच्च सदन से भी विधेयकों को पास करवाती रही है। यह सरकार के राजनीतिक कौशल और बेहतरीन फ्लोर मैनेजमेंट का शानदार उदाहरण है।

नौ साल का इतिहास क्या कहता है, जानें

सरकार हर मौके पर विपक्षी खेमे में सेंध लगा लेती है, लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। विपक्ष के 26 दल एकजुट हो चुके हैं। कांग्रेस पार्टी ने भले ही पहले अध्यादेश के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी का समर्थन नहीं करने की बात कही थी, लेकिन विपक्षी एकता के वास्ते वह आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शर्त के सामने झुक गई। अब कांग्रेस का ऐलान है कि उसके सांसद अध्यादेश पर आने वाले विधेयक का विरोध करेंगे। तो क्या राज्यसभा में मोदी सरकार को पहली बार बड़ा झटका लगने वाला है? आइए बदले हुए समीकरण का जायजा लेते हैं।

राज्यसभा में सांसदों का समीकरण समझ लीजिए

245 सीटों वाली राज्यसभा की सात सीटें इस वक्त खाली हैं। यानी सदन की कुल स्ट्रेंग्थ 238 की है जिसमें बहुमत का आंकड़ा 120 का है। राज्यसभा में बीजेपी के अपने 93 सांसद हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल, गोवा और गुजरात में राज्यसभा के लिए अभी-अभी हुए चुनाव के बाद कांग्रेस की सीटें घटकर 30 रह गई हैं। जहां तक बात गठबंधनों की है तो सत्ताधारी एनडीए के राज्यसभा में 105 सांसद हैं। यानी बहुमत से सिर्फ 15 कम। लेकिन राज्यसभा में पांच नॉमिनेटेड मेंबर और दो इंडिपेंडेंट मेंबर का समर्थन भाजपा को हासिल है। इस तरह एनडीए सांसदों की संख्या बढ़कर 112 हो जाती है। तब बहुमत के आंकड़े से सिर्फ आठ सदस्य कम रह जाएंगे।

बीजेपी के पास हैं तुरुप के ये इक्के

ऐसी परिस्थिति में बहुजन समाज पार्टी (BSP) का एक, तेलुगु देशम पार्टी (TDP) का एक और जनता दल सेक्युलर (JDS) का एक सांसद सरकार के समर्थन में आने की पूरी उम्मीद है क्योंकि इन दलों ने आप से कोई वादा नहीं किया और ये विपक्षी एकता की कवायद में भी शामिल नहीं हैं। यानी अब सिर्फ पांच सांसदों की कमी रह जाएगी। फिर बीजू जनता दल (BJD) और YSRCP कांग्रेस का अब तक का पैटर्न देखेंगे तो पता चलेगा कि ये दोनों पार्टियां सरकार को हर बड़े मुद्दे पर संसद में साथ देती रही हैं। इन दोनों दलों के राज्यसभा में नौ-नौ सांसद हैं।

वॉकआउट से भी होती है सरकार की मदद

हालांकि, जरूरी नहीं है कि दोनों दल दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर भी सरकार का समर्थन करें। बीजेडी ने कहा है कि उनका रुख तब साफ होगा जब विधेयक मतदान के लिए आएगा। वाईएसआरसीपी का अब तक कोई बयान नहीं आया है। एक दूसरा सीन यह बनता है कि अगर इन दोनों दलों के वोटों की जरूरत नहीं पड़े तो संभव है कि इनके 18 सांसद वोटिंग के वक्त वॉकआउट कर जाएं। फिर बहुमत का आंकड़ा ही घट जाएगा और सरकार को विधेयक पास करवाने में मदद मिल जाएगी।

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