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हिमाचल में मंदिरों को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, दान के गैर-धार्मिक उपयोग पर लगाई गई रोक

शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। बता दें कि हिमाचल में मंदिरों की संपत्ति और दान को राज्य सरकार की संपत्ति नहीं माना जा सकता। न्यायालय ने कहा कि यह धन ‘देवता’ का है, न कि सरकार का, और इसे केवल धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए ही प्रयोग किया जाना चाहिए। कश्मीर चंद बनाम राज्य सरकार” मामले में न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति राकेश कैंथला की खंडपीठ ने मंदिर निधियों के दुरुपयोग को “आपराधिक अंधविश्वास” की श्रेणी में रखा। अदालत ने स्पष्ट किया कि मंदिरों के संचालन के लिए नियुक्त न्यासी केवल संरक्षक हैं, मालिक नहीं। इस फैसले के तहत, यदि कोई न्यासी या ट्रस्ट मंदिर की संपत्ति का दुरुपयोग करता है, तो उससे धन की वसूली की जाएगी। दान का उपयोग केवल धार्मिक और पारंपरिक उद्देश्यों के लिए

धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन

शिक्षा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का समर्थन, तीर्थयात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाएँ, सामाजिक सुधार व सेवा कार्य

राज्य परियोजनाओं में मंदिर निधि का उपयोग प्रतिबंधित

न्यायालय ने मंदिर निधियों के उपयोग को राज्य के बुनियादी ढांचे जैसे सड़कों, पुलों या सरकारी भवनों के निर्माण में लगाने पर स्पष्ट प्रतिबंध लगाया है। साथ ही, इसे किसी भी सरकारी योजना में सम्मिलित करना भी वर्जित किया गया है।इसके अलावा, मंदिर निधियों को किसी निजी उद्यम या व्यापारिक हित में निवेश करना भी पूर्णतः प्रतिबंधित किया गया है। विशेष व्यक्तियों के स्वागत में दिए जाने वाले उपहार, महंगे प्रसाद और स्मृति चिह्न पर भी रोक लगा दी गई है।अदालत ने स्पष्ट किया कि मंदिर निधि का उपयोग किसी अन्य धर्म या अंतर-धार्मिक आयोजनों, चाहे वे सामाजिक हों या राजनीतिक, में नहीं किया जा सकता। यह मंदिरों की धार्मिक स्वतंत्रता और शुद्धता की रक्षा के लिए आवश्यक बताया गया है। हाईकोर्ट ने सभी मंदिर प्रबंधन समितियों को आदेश दिया है कि वे प्रत्येक महीने की आय, खर्च, परियोजनाओं की जानकारी और ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करें। ये विवरण मंदिर के सूचना पटों पर या उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किए जाने चाहिए ताकि भक्तों का मंदिर प्रशासन में विश्वास बना रहे।

₹361 करोड़ की आय: मंदिरों की आर्थिक शक्ति

हिमाचल प्रदेश भाषा एवं संस्कृति विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के प्रमुख 12 मंदिरों ने वर्ष 2008 से 2017 के बीच ₹361 करोड़ की आय अर्जित की। इन मंदिरों में कांगड़ा का ब्रजेश्वरी मंदिर, शूलिनी माता मंदिर (सोलन), तारा देवी मंदिर (शिमला) और बाबा बालक नाथ मंदिर (दियोटसिद्ध) शामिल हैं।

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