



Wild Flower Hall: मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को एक और बड़ी कानूनी लड़ाई में ऐतिहासिक सफलता मिली है। मशोबरा स्थित बहुचर्चित वाइल्ड फ्लावर हॉल संपत्ति से राज्य को अब 401 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त होगी और सरकार इस संपत्ति की संयुक्त उद्यम कंपनी मशोबरा रिजॉर्ट लिमिटेड (एमआरएल) की एकमात्र मालिक बन जाएगी। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने बीते रोज सुनाए गए आदेश में साफ कर दिया कि एमआरएल के बैंक खातों में जमा 320 करोड़ रुपये, 13 करोड़ की शेयर होल्डिंग और 25 करोड़ रुपये की मध्यस्थता राशि राज्य सरकार को हस्तांतरित की जाए। इसके अलावा, ईस्ट इंडिया होटल्स (ईआईएच) द्वारा कंपनी में डाली गई 136 करोड़ की पूंजी में से केवल 50 प्रतिशत यानी 68 करोड़ रुपये ही उसे वापस मिलेंगे, जिससे राज्य को सीधे तौर पर 68 करोड़ रुपये का लाभ होगा।
तीन दशक पुरानी लड़ाई का सुखद अंत
यह मामला लगभग 30 वर्षों से न्यायालय में लंबित था। ईआईएच और राज्य सरकार की संयुक्त उद्यम कंपनी एमआरएल वाइल्ड फ्लावर हॉल का संचालन करती थी , लेकिन राज्य को इससे कोई आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा था। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के विशेष प्रयासों और हस्तक्षेप से सर्वोच्च न्यायालय ने 20 फरवरी 2024 को संपत्ति का स्वामित्व राज्य के पक्ष में दे दिया था। इसके बाद सरकार ने 31 मार्च 2025 को इसका भौतिक कब्जा भी हासिल कर लिया। राज्य सरकार ने इस मुकदमे को मजबूती से लड़ने के लिए देश के नामी वकीलों की मदद ली और अंतत: लोगों के हित में जीत दर्ज की। प्रवक्ता ने कहा कि यह जीत केवल संपत्ति पर नहीं, बल्कि राज्य के आर्थिक हितों पर भी है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने जताई खुशी
मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस फैसले पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि यह जनता की जीत है। उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार हिमाचल के हितों की रक्षा के लिए किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगी और ऐसे प्रयास भविष्य में भी जारी रहेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले कड़छम-वांगतू जलविद्युत परियोजना से जुड़ी रॉयल्टी के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय दिया था। जेएसडब्ल्यू एनर्जी को 12 की बजाय 18 प्रतिशत रॉयल्टी देने का आदेश मिला, जिससे राज्य को हर साल 250 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त आय हो रही है।