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5 घंटे की बचत, घट जाएंगे 100 KM…हिमाचल के ‘कोल्ड डेजर्ट’ को जोड़ेगी ये नई सड़क

शिमला : हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले को कोल्ड डेजर्ट कहा जाता है. सर्दियों में घाटी के कई इलाकों का पारा माइनस 30 से 40 डिग्री तक गिर जाता है. लाहौल स्पीति के कई इलाके बर्फबारी के चलते छह महीने तक देश और दुनिय़ा से कट जाते हैं. जिले की स्पीति घाटी में भी कमोबेश यही हाल रहता है. लाहौल स्पीति में बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं. खासकर स्पीति घाटी में सैलानियों का खासा रुझान रहता है. ऐसे में अब शिमला से स्पीति के लिए किन्नौर से एक नया रोड निकालने की कवायद शुरू हो गई है. सीएम सुक्खू ने इंडो तिब्बत बॉर्डर पर शिपकी ला के दौरे के दौरान यह जानकारी दी. दरअसल, हिमाचल प्रदेश के स्पीति घाटी में काजा को बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं. यहां के लिए दो रास्ते हैं. एक रास्ता शिमला से किन्नौर होते हुए जाता है. जबकि दूसरा रास्ता मनाली से ग्राम्फू बातल होते हुए जाता काजा को जोड़ता है. शिमला की तरफ से रोड पूरा साल खुला रहता है, लेकिन मनाली की तरफ से छह माह के लिए बंद हो जाता है. वहीं, अब शिमला वाली तरफ से लाहौल-स्पीति जिला से किन्नौर को जोड़ने वाली वांगतू-अटरगू-मुद-भावा दर्रा मार्ग को राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से मंजूरी मिली है. सीएम सुक्खू ने कहा कि इस रोड़ के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है और इस सड़क के बनने से शिमला और काजा के बीच दूरी लगभग 100 किलोमीटर कम हो जाएगी. मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सीमावर्ती सड़कों का केवल सामरिक महत्त्व नहीं है, बल्कि इनका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में सम्पर्क सुविधा बढ़ाकर लोगों को लाभ प्रदान  करना है. वह कहते हैं कि बॉर्डर क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना के बारे में उन्होंने आईटीबीपी से चर्चा की है. साथ ही आईटीबीपी के विभिन्न हेलीपैड को  टूरिज्म के नजरिये से भी इस्तेमाल करने पर चर्चा की गई है। शिमला से काजा अब तक 412 किमी दूर है और यहां पहुंचने के लिए 10 से 11 घंटे लगते हैं. लेकिन अब प्रस्तावित नई सड़क स्पीति की दूरी कम हो जाएगी. अहम बात है कि सर्दियों में भारी बर्फबारी के बीच भी विंटर स्पीति और गर्मी में काजा टूरिस्ट की पहली पसंद है।

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