



Anant Chaturdashi 2024 Upay: आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की उदया तिथि चतुर्दशी और मंगलवार का दिन है। चतुर्दशी तिथि आज दोपहर पहले 11 बजकर 45 मिनट तक रहेगी, उसके बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी। आज अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। श्री हरि की उपासना करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अनंत चतुर्दशी के दिन इन विशेष उपायों को करने सभी समस्याओं का समाधान मिल जाता है।
– अगर आप अपने जीवन स्तर में सुधार करना चाहते है तो आज के दिन आपको भगवान अनंत, यानि श्री विष्णु की पूजा के समय हल्दी से रंगा हुआ सफेद रंग का कपड़ा रखना चाहिए और रखते समय भगवान के मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है-‘ॐ अनंताय नम:’। फिर भगवान की विधि-पूर्वक पूजा करके उस हल्दी से रंगे हुये कपड़े को उठाकर अपने पास रख लें।
– अगर आपने दाम्पत्य रिश्ते में ऊष्मा बढ़ाना चाहते है तो आज के दिन आपको भगवान अनंत की गंध, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए और पूजा करते समय मन ही मन ‘ॐ अनंताय नम:’, ‘ॐ अनंताय नम:’ बोलना चाहिए। साथ ही उन्हें कच्चे केले का भोग लगाना चाहिए।
– आज के दिन आपको स्नान आदि के बाद एक जगह पर बैठकर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का ध्यान करते हुए, उनकी विधि-पूर्वक फल-फूल आदि से पूजा करनी चाहिए और पूजा के साथ उनके इस मंत्र का 11 बार जप करना चाहिए। मंत्र है-‘ॐ अनंताय नम:’।
– आज अनंत चतुर्दशी के दिन आपको स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए और व्रत करना चाहिए। व्रत करने के दौरान पूरे दिन में जब भी आपको मौका मिले, ‘ॐ अनंताय नम:’ का जप जरूर करें। साथ ही व्रत पूरा होने के बाद किसी सुपात्र ब्राह्मण को कुछ न कुछ दान जरूर करें।
– आज के दिन भगवान अनंत की पूजा के समय दो कच्चे केले लें। अगर कच्चे केले न मिले तो पके हुये केले लें और उन पर अलग-अलग मौली लपेटकर भगवान के सामने रख दें और रखते हुए अनंत भगवान का मंत्र जप करें। मंत्र है -‘ॐ अनंताय नम:’ इस प्रकार पूजा आदि के बाद उन केलों को किसी ब्राह्मण के घर या किसी मंदिर में दे आयें।
– आज के दिन आपको अनंत भगवान की पूजा के समय एक कटोरी में गेहूं भरकर रखने चाहिए। साथ ही उन गेहूं पर एक हल्दी की गांठ रखनी चाहिए और ये सब कार्यवाही करते हुए आपको ‘ॐ अनंताय नम:’ ‘ॐ अनंताय नम:’ बोलना चाहिए। फिर पूजा आदि के बाद उस गेहूं और हल्दी से भरी कटोरी को किसी मंदिर में दान कर दें।
आज के दिन आपको अनंत भगवान की पूजा आदि के बाद हल्दी, केसर या कुमकुम से रंगा हुआ चौदह गाठों वाला धागा अपनी बाजू पर बांधना चाहिए और धागा बांधते समय इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है-‘ॐ अनंताय नम:’।
– आज के दिन आपको स्नान आदि के बाद विधि-पूर्वक धूप-दीप आदि से भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करनी चाहिए और पूजा के समय चौदह गाठों वाला कच्चे सूत का धागा रखना चाहिए। जब पूजा समाप्त हो जाये तो उस धागे को वहां से उठाकर अपने जीवनसाथी की बाजू पर बांध दें और बांधते समय ये मंत्र पढ़ें- ‘ॐ अनंताय नम:’।
– आज के दिन आपको स्नान आदि के बाद एक मिट्टी का कलश लेकर, उस पर हल्दी से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर, उसकी रोली-चावल से पूजा करनी चाहिए और पूजा के वक्त ‘ॐ अनंताय नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए। इसके बाद उस कलश में पानी भरकर, थोड़ी-सी दूर्वा डालकर, दक्षिणा सहित उसे किसी ब्राह्मण के घर दान कर दें।
– अगर आप अपनी गोते लगाती जिन्दगी को ठीक रास्ते पर लाना चाहते हैं, तो श्री विष्णु को पीले पुष्प अर्पित करें और साथ ही उनके अनंत नाम का स्मरण करते हुए इस मंत्र का एक माला यानि 108 जप करें। मंत्र है-‘ॐ अनंताय नम:’।
अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में सुमंत नाम का एक ब्राह्मण अपनी पुत्री दीक्षा और सुशीला के साथ रहता था। जब सुशीला विवाह योग्य हुई तो उसकी माँ का निधन हो गया। सुमंत ने अपनी पुत्री सुशीला का विवाह ऋषि कौंडिन्य से कर दिया। कौंडिन्य ऋषि सुशीला के साथ अपने आश्रम जा रहे थे। लेकिन रास्ते में रात हो गई और वे एक जगह रुक गए। उस स्थान पर कुछ महिलाएं अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा कर रही थीं।
सुशीला ने भी स्त्रियों से उस व्रत की महिमा सीखी और उसने भी 14 गांठों वाला अनंत धागा पहना और ऋषि कौंडिन्य के पास आई लेकिन ऋषि कौंडिन्य ने उस धागे को तोड़कर आग में फेंक दिया। इससे भगवान अनंत सूत्र का अपमान हुआ। श्रीहरि के अनंत स्वरूप के अपमान के बाद कौंडिन्य ऋषि की सारी संपत्ति नष्ट हो गई और वो दुखी रहने लगे। तब ऋषि कौंडिन्य उस अनंत धागे को पाने के लिए जंगल में भटकने लगे। एक दिन वह भूख-प्यास के कारण भूमि पर गिर पड़े, तभी भगवान अनंत प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि कौंडिन्य तुम्हें अपनी गलती का पश्चाताप हो गया है। अब घर जाकर अनंत चतुर्दशी का व्रत करो और इस व्रत को 14 वर्ष तक करो। इसके प्रभाव से आपका जीवन सुखी हो जाएगा और आपकी संपत्ति भी वापस मिल जाएगी। ऋषि कौंडिन्य ने वैसा ही किया, जिसके बाद उनकी धन-संपत्ति वापस आ गई और जीवन खुशहाल हो गया।
इस साल कब है अनंत चतुर्दशी ?
अनंत चतुर्दशी तिथि का आरंभ 16 सितंबर को दिन में 3 बजकर 11 मिनट पर दोपहर बाद आरंभ होगा।
वहीं, 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त हो जाएगा।
अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त
लाभ चौघड़िया सुबह 10 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट तक। इस अवधि में आप पूजा कर सकते है।
अनंत चतुर्दशी पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्य उदय से पहले स्नान कर लें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।
वैसे तो अनंत चतुर्दशी की पूजा किसी पवित्र नदी, सरोवर के किनारे करने का विधान है। यदि आप किसी पवित्र नदी पर जा सकते है तो ठीक है वरना आप चाहें तो अपने घर के मंदिर में भी पूजा अर्चना कर सकते है।