



कोलकाता रेप-मर्डर मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज यानी मंगलवार को सुनवाई करते हुए कई निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के सुरक्षित कार्य स्थितियों पर सुझाव देने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया है. इसके साथ ही कोलकाता रेप मामले को लेकर सूबे की सरकार को फटकार लगाई है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी को लेकर आरजी कर अस्पताल के अधिकारियों पर भी कड़ी नाराजगी जताई.
टास्क फोर्स में कौन से लोग शामिल किए गए?
- सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन, महानिदेशक चिकित्सा सेवाएं (नौसेना)
- डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी
- डॉ. एम श्रीनिवास, निदेशक, AIIMS दिल्ली
- डॉ. प्रतिमा मूर्ति, निमहंस, बैंगलोर
- डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, AIIMS जोधपुर
- डॉ. सौमित्र रावत, सदस्य गंगाराम अस्पताल, दिल्ली
- प्रोफेसर अनीता सक्सेना, कुलपति, पंडित बीडी शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय
- डॉ. पल्लवी सैपले, जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स
- डॉ. पद्मा श्रीवास्तव, पारस अस्पताल गुड़गांव में न्यूरोलॉजी की अध्यक्ष
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि जो लोग अस्पताल के अंदर हुई तोड़फोड़ में शामिल थे, उनके खिलाफ कार्रवाई हो.
टास्क फोर्स का क्या काम होगा?
कोर्ट द्वारा बनाई गई टास्क फोर्स में भारत सरकार के कैबिनेट सचिव, गृह सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के अध्यक्ष भी होंगे. चीफ जस्टिस ने यह भी साफ किया कि टास्क फोर्स चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, भलाई और अन्य संबंधित मामलों पर विचार करेगी. इसका काम लिंग आधारित हिंसा को रोकना, इंटर्न, रेजिडेंट, नॉन रेजिडेंट डॉक्टरों के सम्मानजनक कामकाज के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करना होगा.
इन मुद्दों पर रिपोर्ट देगी कमेटी
- इमरजेसीं वार्ड के आस-पास अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत है या नहीं.
- हथियारों को प्रवेश करने से रोकने के लिए बैगेज स्क्रीनिंग की जरूरत पर निगरानी
- अगर कोई व्यक्ति मरीज नहीं है, तो उसे एक सीमा से ज्यादा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
- भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा
- डॉक्टरों के लिए विश्राम कक्ष और डॉक्टरों, नर्सों के आराम करने के लिए लिंग तटस्थ स्थान होना चाहिए
- ऐसे स्थानों में बायोमेट्रिक्स और चेहरे की पहचान होनी चाहिए
- हॉस्पिटल में सभी जगहों में उचित प्रकाश व्यवस्था, सभी स्थानों पर सीसीटीवी लगाना
- चिकित्सा पेशेवरों के लिए रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक परिवहन
- दुख और संकट से निपटने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन
- संस्थागत सुरक्षा उपायों का तिमाही ऑडिट
- आने वाले लोगों के पुलिस बल की स्थापना
- POSH अधिनियम चिकित्सा प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, इसलिए ICC का गठन किया जाना चाहिए
- चिकित्सा व्यवसाय की इमरजेंसी स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर।