



MP Omkareshwar Jyotirling : सावन माह की शुरुआत हो चुकी है। शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है। हिंदू धर्म में ज्योर्तिलिंग का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि सावन माह में ज्योतिर्लिंग के दर्शन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। विश्व में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यहां आपको चतुर्थ ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर का महत्व बताते हैं।
कहां स्थित है ओंकारेश्वर
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित है। यह मंदिर नर्मदा नदी के किनारे बना हुआ है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
क्या है मान्यता
ओंकारेश्वर एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जहां तीनों पहर आरती की जाती है। मान्यता है कि इस दौरान भगवान शिव और पार्वती मंदिर में उपस्थित रहते हैं। संध्या आरती के बाद यहां भगवान शिव और मां पार्वती शयन के लिए आते हैं और चौसर भी खेलते हैं। संध्या आरती के बाद पुजारी द्वारा मंदिर के गर्भगृह में चौसर सजाई जाती है और मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और अगले दिन प्रातः आरती के समय मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। कपाट बंद होने के बाद किसी को भी मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता। दैविक काल से इस परंपरा को निभाया जा रहा है। कहा जाता है कि कहा जाता है कि अगले दिन जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तब चौसर बिखरी हुई मिलती है, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि मानों किसी ने यहां चौसर खेली है।
कैसे पहुंचे ओंकारेश्वर
आप ओंकारेश्वर मंदिर हवाई, रेल और सड़क मार्ग के जरिए पहुंच सकते हैं। इंदौर से ओंकारेश्वर की दूरी करीब 78 किलोमीटर है। आपको हवाई मार्ग के जरिए इंदौर एयरपोर्ट पहुंचना होगा, इसके बाद आप सड़क मार्ग से ओंकारेश्वर आ सकते हैं। इसके अलावा अलग-अलग शहरों से खंडवा के लिए ट्रेन भी चलती है, जिसके जरिए भी आप ओंकारेश्वर के दर्शन के लिए आ सकते हैं।