



सोलन : कांग्रेस की परंपरागत गढ़ रही शिमला लोकसभा सीट (आरक्षित) पर भाजपा ने मौजूदा सांसद सुरेश कश्यप को फिर चुनावी मैदान में उतार दिया है। सुरेश कश्यप दूसरी बार भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। सुरेश कश्यप प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रहे हैं। वह सिरमौर जिला से ताल्लुक रखने वाले सुरेश कश्यप को जमीन से जुड़ा नेता माना जाता है। वह सिरमौर की पच्छाद सीट से दो बार भाजपा के विधायक भी रहे हैं। शिमला लोकसभा सीट पर पिछले एक
दशक से भाजपा का कब्जा है। ऐसे में कांग्रेस कद्दावर और
दमदार उम्मीदवार को टिकट देने के लिए मंथन कर रही है।शिमला लोकसभा सीट पर सुक्खू सरकार के पांच मंत्रियों की अग्निपरीक्षा होगी। मंत्रियों पर अपने-अपने चुनावी हलकों में कांग्रेस उम्मीदवार को लीड दिलाने का दवाब रहेगा। 14 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र के 17 विधानसभा क्षेत्रों में 13 में कांग्रेस को जीत मिली है। वर्तमान इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा के तीन विधायक हैं। वहीं एक ने निर्दलीय चुनाव जीता था। निर्दलीय विधायक के एल ठाकुर ने हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के हक में वोट किया था। यही नहीं, शिमला संसदीय क्षेत्र से सुक्खू सरकार में पांच मंत्री हैं, जबकि एक डिप्टी स्पीकर है। साथ ही दो मुख्य संसदीय सचिव भी हैं। पांच में से दो मंत्री हर्षवर्धन चौहान व विक्रमादित्य तेजतर्रार हैं। अन्य मंत्रियों में धनीराम शांडिल रोहित ठाकुर और अनिरुद्ध सिंह हैं। इसके अलावा संसदीय सचिव संजय अवस्थी और राम कुमार को भी अपने हलकों में कांग्रेस को बढ़त दिलवाने की चुनौती होगी।
आरक्षित शिमला संसदीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति व जनजाति का बोलबाला है। संसदीय क्षेत्र की कुल जनसंख्या का 26.51 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जाति से संबंधित है। सिरमौर जिले के बड़े इलाके में अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं। सोलन में 28.35 फीसदी अनुसूचित जाति, जबकि 4.42 फीसदी लोग अनुसूचित जनजाति के हैं। सिरमौर में 30.34 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं।
कांग्रेस बना चुकी है लगातार छह चुनाव जीतने का रिकार्ड शिमला संसदीय सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस के नाम लगातार छह लोकसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड है। कांग्रेस के कृष्णदत्त सुल्तानपुरी वर्ष 1980 से 1998 तक इस सीट पर लगातार छह मर्तबा विजयी रहे।वर्तमान में उनके बेटे बिनोद सुल्तानपुरी कांग्रेस के विधायक वर्ष 1999 में हिमाचल विकास कांग्रेस के धनीराम शांडिल ने कांग्रेस के इस गढ़ को ध्वस्त किया था। साल 2004 में धनीराम शांडिल कांग्रेस के टिकट पर फिर मैदान में उतरे और जीत हासिल की। इसके बाद भाजपा के वीरेंद्र कश्यप ने कांग्रेस प्रत्याशी को पटकनी देकर भाजपा को विजय दिलाई। 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर वीरेंद्र कश्यप भाजपा की सीट बचाने में कामयाब रहे।