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मनरेगा योजना के कार्यों की टाइम से पेमेन्ट ना होने से रहती है पेंडेंसी : बलवंत ठाकुर

कसौली (हेमेन्द्र कँवर) : ग्रामीण क्षेत्रों में बरसात के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने मनरेगा योजना के तहत भले ही अलग से स्पेशल मनरेगा शेल्फ मंजूर किया हो लेकिन पिछले डेढ़ वर्ष से पंचायतो में केवल 20 वर्क के ही होने की शर्त आड़े आ रही है।ग्रामीण पंचायतो में मनरेगा योजना के तहत बरसात के दौरान सार्वजनिक रास्ते,सम्पर्क मार्ग, कुहले बुरी तरह नष्ट हो चुके है तथा इन्हें मनरेगा योजना के तहत करवाने के लिये पंचायतों से सेल्फ तैयार कर प्रशासन को भेजा था। प्रशाशन से सेल्फ़ मंजूर होकर तो आ गया है लेकिन अब ग्रामीणों को कहा जा रहा है कि एक समय मे केवल 20 वर्क ही चेलेगें। ऐसे में पंचयात प्रतिनिधि अमंजस में है कि किसका काम करे तथा इसका काम छोड़े। ऐसे में पंचयात प्रतिनिधियों को ग्रामीणों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है अधिकतर पंचायतों का क्षेत्रफल बहुत बड़ा है फलस्वरूप ऐसी पंचायतो में बरसात के दौरान हुए नुकसान को समय से पूरा करना किसी चुनौती से कम नहीं है। ग्रामीणों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह से मांग की है कि पंचायतों से मनरेगा योजना के तहत केवल 20 वर्क ही होने की शर्त को हटाया जाए ताकि बरसात में भारी वर्षा के दौरान क्षतिग्रस्त हुए रास्तों, कुहले, सम्पर्क मार्ग को बहाल किया जाये। उधर इस विषय मे खंड विकास अधिकारी धर्मपुर को बार बार फ़ोन करने पर फ़ोन नहीं उठाया गया। वहीँ खड़ कार्यलय के कंप्यूटर ऑपरेटर गगन सहगल ने बताया कि मनरेगा में एक पंचायत में 20 वर्क ही चल सकते है। अगर पंचायत में ज्यादा वर्क है तो परमिशन का प्रस्ताव प्रशासन को भेज सकते है। वहीं दूसरी ओर खंड विकास कार्यालय के तकनीकी सहायक राकेश कुमार ने बताया कि पंचायतो में 20 वर्क के चलने की शर्त है जो पंचायतें बहुत बड़ी है व इस बारे में प्रशासन को लिख सकते है। वहीं इस बारे में प्रधान परिषद धर्मपुर के अध्यक्ष बलवंत ठाकुर ने बताया कि मनरेगा योजना के कार्यों की टाइम से पेमेन्ट ना होने से पेंडेंसी रहती है जिस कारण ऑनलाइन वर्क पेंडिंग दीखते है जबकि साइड पर वर्क पूरे होते है उन्होंने बताया कि मनरेगा में बीस कार्य होने की कोई गाइड लाइन नहीं है जनता को गुमराह किया जा रहा है। प्रशासन को इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

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