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चंद्रयान-3 में मंडी के साइंटिस्ट प्रषुम्न की भागीदारी

मंडी : चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की सफल लैंडिंग (landing) के बाद इस मिशन में काम करने वाले बहुत से छोटे-बड़े चेहरे इन दिनों सुर्खियों में हैं। मिशन की सफलता के बाद इस बात का पता चल रहा है कि इसे सफल बनाने में बहुत से लोगों का विभिन्न प्रकार से योगदान था।

ऐसा ही महत्वपूर्ण योगदान मंडी जिला के साइंटिस्ट प्रषुम्न ने भी दिया है। प्रषुम्न चंद्रयान-3 के क्रायोजेनिक इंजन बनाने वाली टीम का हिस्सा था। चंद्रयान-3 जिस रॉकेट पर सवार होकर पृथ्वी की कक्षा से बाहर गया उस रॉकेट का नाम मार्क-3 था और इस  रॉकेट में क्रायोजेनिक इंजन लगे थे। इन इंजनों को बनाने में प्रषुम्न का भी अहम योगदान रहा है।

प्रषुम्न के पिता घनश्याम ने बताया कि जैसे ही चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हुई तो वे बिस्तर पर जोर से उछल गए और तालियां बजाने लग गए। यह कुछ ऐसे क्षण थे, जिन्हें वे शब्दों में बयां नहीं कर सकते।
प्रषुम्न की माता ऋतु सुमन ने बताया कि सफल लैंडिंग के बाद उन्होंने अपने बेटे से वीडियो कॉल पर बात की। बेटा खुश था, लेकिन इस मिशन में अपनी भागीदारी को इसलिए नकार रहा था, क्योंकि बहुत से वैज्ञानिकों ने इसके लिए ज्यादा मेहनत की थी। लेकिन मां ने समझाया कि जो इंजन उसकी टीम ने बनाया अगर वो नहीं होता तो फिर चंद्रयान-3 कैसे आगे बढ़ता। उन्होंने अपने बेटे को बधाई दी और लगातार आगे बढ़ने का आशीवार्द दिया।

बचपन से मैकेनिक का शौक था
25 वर्षीय प्रषुम्न द्रंग विधानसभा क्षेत्र के गवारडू गांव का रहने वाला है। उसे बचपन से एस्ट्रोनॉट बनने का शौक था। पिता घनश्याम बताते हैं कि प्रषुम्न घर में रखी हर चीज को खोल कर देखता था। टेक्निकल इक्यूपमेंट के प्रति उसकी जिज्ञासा ऐसी थी कि आज वह इसरो जैसी संस्था के लिए बतौर साइंटिस्ट काम कर रहा है। प्रषुम्न इसरो में 25 जुलाई 2019 से अपनी सेवाएं दे रहा है। प्रषुम्न के पिता घनश्याम एलआईसी (LIC) अधिकारी हैं, जबकि माता ऋतु सुमन शिक्षिका हैं।

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