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शिमला : बिना अधिग्रहण किए नहीं बनाई जा सकती सड़क…

शिमला : हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बिना भूमि अधिग्रहण किए किसी व्यक्ति की भूमि को सड़क के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने लक्ष्मण सिंह की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि भूमि मालिक जमीन से जाने वाले मार्ग को कानूनी तौर पर रोक सकता है।
कोर्ट ने कहा कि सरकार व ग्रामवासी निजी भूमि के मालिक को सड़क बनाने के लिए बिना कानूनन अधिग्रहण किए बाध्य भी नहीं कर सकते। मामले के अनुसार बिलासपुर जिला के तहत अपर भगेड़ से कल्लर सारटी सड़क निर्माण में बाधा पहुंचाने को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। गौरतलब है कि कोर्ट को यह बताया गया था कि सरकार ने प्रदेश में संपर्क मार्ग और एंबुलेंस सड़क निर्माण का निर्णय लिया था।बिलासपुर जिला की 10 सड़कों में से इस सड़क का निर्माण प्रस्तावित किया था। सरकार ने इस सड़क के निर्माण के लिए 34.60 लाख रुपये इस शर्त के साथ स्वीकृत किए थे कि स्थानीय लोगों को निशुल्क भूमि देनी होगी। सभी ग्रामवासियों ने भूमि लोक निर्माण विभाग के नाम कर दी। प्रतिवादियों ने भी भूमि लोक निर्माण विभाग के नाम कर दी थी लेकिन सड़क का निर्माण उस भूमि पर नहीं किया गया।
जिस भूमि से सड़क निकाली गई उसे प्रतिवादियों ने दान नहीं किया था। इसकी वजह से प्रतिवादी ने सड़क निर्माण में बाधा डाल दी। कोर्ट ने पुलिस विभाग उपायुक्त और उपमंडलाधिकारी नागरिक की रिपोर्ट का अवलोकन करने पर पाया कि याचिकाकर्ता बिना किसी अधिकार के प्रतिवादियों की भूमि को सड़क बनाने के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। कोर्ट ने याचिका को आधारहीन और न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग पाते हुए खारिज कर दिया।

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