



ISRO Chandrayaan 3 Mission LVM3-M4 Launch Live Streaming: देश के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की उलटी गिनती गुरुवार को शुरू हो गई। इसरो के मुताबिक, आज चंद्रयान-3 को 2 बजकर 35 मिनट पर एसडीएससी, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा.भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) शुक्रवार को श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3 रॉकेट पर चंद्रयान 3 अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के साथ चंद्रमा की सतह पर एक रोबोटिक लैंडर को उतारने का अपना दूसरा प्रयास शुरू करेगा। अगर सॉफ्ट-लैंडिंग सफल रही तो भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
चंद्रयान-3 मिशन की ऑनलाइन लाइवस्ट्रीम की सुविधा भी दी गई है जो कि इसरो के ऑफिशियल यू-ट्यूब पर देखने को मिलेगी। इसके अलावा दूरदर्शन पर भी इसका प्रसारण किया जाएगा। ISRO ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से जानकारी देते हुए बताया कि LVM3-M4/चंद्रयान-3 मिशन के व्हीकल इलेक्ट्रिक टेस्ट पूरे हो गए हैं। इसके साथ ही एक लिंक भी दिया, जहां आप खुद को रजिस्टर कर आसानी से लॉन्चिंग की लाइव स्ट्रीमिंग देख सकते हैं।
इसरो ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘एलवीएम3एम4-चंद्रयान-3 मिशन अपराह्न दो बजकर 35 मिनट पर किए जाने वाले प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू हो गई है.’ चंद्रयान-3′ कार्यक्रम के तहत इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल की मदद से चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ और चंद्र भूभाग पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करके नई सीमाएं पार करने जा रहा है. एलवीएम3एम4 रॉकेट इसरो के महत्वाकांक्षी ‘चंद्रयान-3’ को चंद्र यात्रा पर ले जाएगा. इस रॉकेट को पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था. भारी उपकरण ले जाने की इसकी क्षमता के कारण अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसे ‘फैट बॉय’ भी कहते हैं.
इसरो की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की योजना:इसरो ने अगस्त के अंत में ‘चंद्रयान-3’ की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की योजना बनाई गई है. उम्मीद है कि यह मिशन भविष्य के अंतरग्रही अभियानों के लिए सहायक होगा. चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है. मिशन एलवीएम3 की चौथी उड़ान, है जिसका उद्देश्य ‘चंद्रयान-3’ को भू-समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करना है.
- एक सौ किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा का चक्कर लगाने के बाद, ‘लैंडर’ का चंद्र सतह की ओर आना योजना के अनुसार था और 2.1 किमी की ऊंचाई तक यह सामान्य था. हालाँकि, मिशन अचानक तब समाप्त हो गया जब वैज्ञानिकों का ‘विक्रम’ से संपर्क टूट गया. ‘विक्रम’ का नाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक दिवंगत विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया था. ‘चंद्रयान-2’ मिशन चंद्रमा की सतह पर वांछित ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में विफल रहा, जिससे इसरो टीम को काफी दुख हुआ.
उस समय वैज्ञानिक उपलब्धि को देखने के लिए इसरो मुख्यालय में मौजूद रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तत्कालीन इसरो प्रमुख के. सिवन को सांत्वना देते देखा गया जो भावुक हो गए थे और वे तस्वीरें आज भी लोगों की यादों में ताजा हैं.