



. मां शूलिनी ने स्वीकारा मेला, प्राचीन पीठ्म से मंदिर में हुई विराजमान
. तीन दिवसीय मां शूलिनी मेला संपन्न
सोलन : तीन दिवसीय राज्य स्तरीय ‘शूलिनी मेला’ में प्राचीन लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली है। खास बात ये है कि इस बार मेले का निमंत्रण पत्र ही ‘नियूंदा’ था। स्थानीय भाषा का इस्तेमाल कर इसे क्राफ्ट किया गया था। “पालकी रा स्वागत” मुख्यमंत्री द्वारा “पराणी कचेहरी” पर शुक्रवार को किया गया था।
“दूजे व तीजे दिना रे पावणे” मनोरंजन से भरपूर थे। मेले में महाभारत काल की युद्ध शैली ‘ठोडो’ का जबरदस्त प्रदर्शन हुआ। बता दें कि महाभारत काल की युद्ध शैली को शिमला संसदीय क्षेत्र में आज भी जीवंत रखा गया है। शनिवार को नृत्य का मालरोड़ पर प्रदर्शन किया गया, इसे देखने के लिए हजूम उमड़ पड़ा था। इस नृत्य में न केवल विरोधी आक्रमण को झेलते हैं, बल्कि धनुष व बाण से जवाब भी देते हैं।
ठोड़ो नृत्य में थककर बाहर होने वाले को हारा माना जाता है। अहम बात ये है कि सतयुग से चल रही इस युद्धशैली को प्रशासन द्वारा भी जीवंत रखने के उद्देश्य से आयोजन किया जाता है। उल्लेखनीय है कि खेल में प्रयोग होने वाले तीर विशेष तरह की लकड़ी से बनते हैं। खिलाड़ी ढांगरू, सितारा व चमड़े के जूते पहनते हैं। महिलाओं की रस्साकशी प्रतियोगिता भी काफी आकर्षक थी।
बता दें कि इस बार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मेले का दर्जा राष्ट्रीय स्तरीय करने का भी ऐलान किया है। मेले की दूसरी सांस्कृतिक संध्या में नाटी किंग कुलदीप शर्मा ने पहाड़ी संस्कृति से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि शूलिनी मेला परंपराओं, लोक नाट्य सहित विभिन्न विधाओं को आमजन तक पहुंचाने में कारगर भूमिका निभा रहा है। शूलिनी मेले की प्रथम सांस्कृतिक संध्या मशहूर पंजाबी सिंगर जस्सी गिल के नाम रही थी। मेले के अंतिम दिन के सूबे के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। l