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Sakat Chauth 2025 Date: कब है सकट चौथ, आज या कल? जानें सही तारीख, मुहूर्त, तिलकुट चतुर्थी के 3 फायदे

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Sakat Chauth 2025 Date: सकट चौथ का व्रत संतान की सुरक्षा और संकटों से रक्षा के लिए करते हैं. सकट चौथ को तिलकुट चौथ, तिल चौथ, तिलकुट चतुर्थी, माघ चतुर्थी, माघ संकष्टी चतुर्थी आदि नामों से भी जानते हैं. इस दिन माताएं अपनी संतान के सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा करती हैं. सकट चौथ का व्रत हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखते हैं. इस साल सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी को है या फिर 18 जनवरी को?

सकट चौथ की सही तारीख 2025
सबसे पहले बात करते हैं सकट चौथ के लिए जरूरी माघ कृष्ण चतु​र्थी तिथि की. पंचांग के अनुसार, माघ कृष्ण चतु​र्थी तिथि 17 जनवरी को सुबह 04:06 बजे से लेकर 18 जनवरी को सुबह 05:30 बजे तक है. अब 17 और 18 जनवर, दोनों दिन सुबह में चतुर्थी तिथि देखकर लोगों के मन में सवाल उठता है कि सकट चौथ का व्रत किस दिन रखें?

ऐसे में सकट चौथ का व्रत रखने के लिए उदयातिथि की मान्यता को देखते हैं. उदयातिथि का अर्थ है कि सूर्योदय के समय मिलने वाली तिथि. 17 जनवरी को सूर्योदय सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर होगा. उस समय माघ कृष्ण चतुर्थी तिथि होगी, 18 जनवरी को चतुर्थी तिथि सूर्योदय से पहले ही खत्म हो जा रही है. ऐसे में सकट चौथ का व्रत 17 जनवरी शुक्रवार को रखा जाएगा. यह व्रत की सही तारीख है।

सकट चौथ 2025 मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 05:27 ए एम से 06:21 ए एमअभिजीत मुहूर्त: 12:10 पी एम से 12:52 पी एमचर-सामान्य: 07:15 ए एम से 08:34 ए एमलाभ-उन्नति: 08:34 ए एम से 09:53 ए एमअमृत-सर्वोत्तम: 09:53 ए एम से 11:12 ए एमशुभ-उत्तम: 12:31 पी एम से 01:51 पी एम

सौभाग्य योग: प्रात:काल से लेकर देर रात 12:57 तकशोभन योग: देर रात 12:57 बजे से अगली सुबहमघा नक्षत्र: दोपहर 12:45 पी एम तकपूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र: 12:45 पी एम से पूरी रात तक

सकट चौथ 2025 चंद्रोदय समय
सकट चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा करके अर्घ्य देते हैं. इसके बिना सकट चौथ का व्रत पूर्ण नहीं होता है. सकट चौथ के दिन चंद्रमा रात 09:09 बजे निकलेगा.

चन्द्रमा और गणेश होते हैं प्रसन्न
मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी गणेश जी के संयोग के परिणामस्वरुप इस चतुर्थी व्रत के करने से मानसिक शांति, कार्य सफलता, प्रतिष्ठा में बुद्धि और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर करने में सहायक सिद्ध होती है। इस दिन किया गया व्रत और पूजा पाठ वर्ष पर्यंत सुख शान्ति और पारिवारिक विकास में सहायक सिद्ध होता है। यह उत्तर भारतीयों का प्रमुख पर्व है। शास्त्र परंपरा के अनुसार इस दिन गुड और तिल का पिंड बनाकर उसे पर्वत रूप समझकर दान किया जाता है। गुड़ से गौ की मूर्ति बनाकर जिसे गुड़-धेनु कहा जाता है का दान रात्रि में चंद्रमा और गणेश की पूजा के उपरांत अगले दिन प्रासदस्वरुप दान करना चाहिए।

सकट चौथ का महत्व

चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ से भगवान गणेश जीवन में सभी तरह बाधाएं को दूर करते हैं। माघ महीने की सकट चौथ व्रत मुख्य रूप से महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के संकट खत्म हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे मान्यता है भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा सकट चौथ के ही दिन की थी जिस कारण से इस व्रत का विशेष महत्व होता है।

सकट चौथ पूजा विधि
गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य, ऋतु फल आदि से गणेश जी का षोडशोपचार बिधि से पूजन करें और चंद्रमा को अर्घ्य भी दें। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय ॐ चन्द्राय नमः। ॐ सोमाय नमः। मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए। व्रती को इस दिन चन्द्रमा के उदय की विशेष प्रतीक्षा रहती है। व्रत करने वालों के लिए यदि संभव हो तो दस महादान जिनमें अन्नदान, नमक का दान, गुड का दान, स्वर्ण दान, तिल का दान, वस्त्र का दान, गौघृत का दान, रत्नों का दान, चांदी का दान और दसवां शक्कर का दान करें। ऐसा करके प्राणी दुःख-दारिद्रता, कर्ज, रोग और अपमान के विष से मुक्ति पा सकता है।

यदि यह सभी दान संभव न भी तो भी तिल और गुड से बना पिंड (पर्वत) का ही दान करके ईष्ट कार्य की प्राप्ति और संकट हरण भगवान गणेश की कृपा का पात्र बन सकते है। इसदिन गौ और हाथी को गुड खिलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। विद्यार्थी वर्ग गणेश चतुर्थी के दिन ॐ गं गणपतये नमः का 108बार जप करके प्रखर बुद्धि और विद्या प्राप्त कर सकते हैं। ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धी महि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात। का जप जीवन के सभी संकटों और कार्य बाधाओं को दूर करेगा।

 

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