



Papankusha Ekadashi 2024 Shubh Muhurat: सनातन धर्म में भगवान विष्णु की आराधना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक माह की एकादशी तिथि के दिन व्रत का पालन करने से और भगवान विष्णु की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट व दुख दूर हो जाते हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, 13 अक्टूबर 2024, रविवार के दिन पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन किया जाएगा. 13 अक्टूबर के दिन स्मार्त संप्रदाय के लोग एकादशी व्रत का पालन करेंगे. वहीं वैष्णव संप्रदाय में इस व्रत का पालन 14 अक्टूबर के दिन किया जाएगा. आइए जानते हैं, पापांकुशा एकादशी व्रत, पूजा मुहूर्त और विधि.
पापांकुशा एकादशी व्रत 2024 शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 अक्टूबर सुबह 09:10 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 14 अक्टूबर सुबह 06:40 पर हो जाएगा. इस दिन अभिजीत मुहूर्त में भगवान विष्णु की उपासना का विधान है. अभिजीत मुहूर्त का समय दोपहर 11:45 से दोपहर 12:30 के बीच रहेगा, इसी दौरान पूजा-पाठ को उत्तम माना जाता है. एकादशी व्रत का पारण 14 अक्टूबर के दिन किया जाएगा.
पापांकुशा एकादशी व्रत पूजा विधि
शास्त्रों में यह बताया गया है कि एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु को स्मरण करके सूर्य देव को जल प्रदान करें. ऐसा करने के बाद साफ वस्त्र धारण करके ईशान कोण में चौकी स्थापित करें और उस पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद मंत्र उच्चारण और गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि से भगवान विष्णु की उपासना करें और इस दौरान भगवान विष्णु के स्त्रोत व चालीसा का पाठ जरूर करें. पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती के साथ पूजा संपन्न करें.
क्या है पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व?
शास्त्रों में एकादशी व्रत के महत्व को विस्तार से बताया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति एकादशी व्रत का पालन करता है, उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष का मार्ग उनके लिए खुल जाता है. इसके साथ शास्त्रों में यह बताया गया है कि एकादशी व्रत का पालन करने से मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है और श्री हरि के चरणों में स्थान प्राप्त होता है. इसके साथ एकादशी व्रत के दिन दान-पुण्य को भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करने से व्यक्ति को अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है.