धर्मशाला: अदालत ने एग्रीकल्चर प्रमाण पत्र बनाने की एवज में रिश्वत लेते पकड़े आरोपी पटवारी को तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है। राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने शनिवार को आरोपी को न्यायालय में पेश किया था। पटवार सर्कल अंबाड़ी तहसील नगरोटा बगवां में कार्यरत पटवारी कपिल देव को विजिलेंस टीम ने शुक्रवार को 20 हजार रुपये घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। पटवारी ने मनोज कुमार से एग्रीकल्चर प्रमाण पत्र की एवज में 20 हजार रुपये रिश्वत की मांग की है। इसकी शिकायत मिलने पर विजिलेंस ने रिश्वत लेते हुए पटवारी को पकड़ा था, जिसे शनिवार को न्यायालय में पेश किया गया। उधर, एएसपी विजिलेंस बद्री सिंह ने बताया कि पटवारी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। अब सोमवार को दोबारा पटवारी को न्यायालय में पेश किया जाएगा।
Day: October 13, 2024
AIMIM नेता ने पहले किया हिमाचली सेब का बहिष्कार, फिर मांगी माफी, जानिए क्या है पूरा मामला …
Himachal Pradesh News: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता शोएब जमई ने मुस्लिम व्यापारियों से हिमाचल प्रदेश के सेबों का बहिष्कार करने की अपील की. इस पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि सेब उत्पादक उनकी धमकियों से डरने वाले नहीं हैं. पिछले महीने भी जमई ने विवादित संजौली मस्जिद से एक वीडियो बनाकर विवाद खड़ा कर दिया था. उन्होंने कहा था कि वह एक जनहित याचिका दायर कर पूछेंगे कि आसपास की चार से ज्यादा मंजिलों वाली दूसरी इमारतों को गैरकानूनी क्यों नहीं माना गया.
क्या बोले AIMIM के नेता?
जमई ने खुद को AIMIM का दिल्ली प्रमुख बताते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “बहुत हो गया, अब हमें आर्थिक बहिष्कार शुरू करना चाहिए. मैं मुस्लिम व्यापारियों से, जो लगभग 80 प्रतिशत हैं, हिमाचल के सेबों का बहिष्कार करने की अपील करता हूं. खुदा के वास्ते इस नफरत के बाजार से कुछ भी न खरीदें.” जमई ने कहा, “सर्दी के दौरान हम उनसे कुछ भी नहीं खरीदेंगे. पूरे देश के धर्मनिरपेक्ष समाज को इस नफरत को हराने के लिए एक साथ आना होगा.” जमई ने सरकार से हिमाचल प्रदेश से दिल्ली आने वाले सभी हिमाचलियों के आधार कार्ड देखने की अपील की. हालांकि बाद में जमई ने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी.
भाजपा की प्रतिक्रिया
जमई की अपील पर रिएक्शन देते हुए भाजपा की राज्य इकाई के प्रवक्ता चेतन बरागटा ने एक बयान में कहा कि सेब उत्पादक उनकी धमकियों से डरने वाले नहीं हैं और एक खास समुदाय से हिमाचल के सेब न खरीदने की उनकी अपील हैरान करने वाली है. बरागटा ने कहा कि सेब की खेती हिमाचलियों का पुश्तैनी पेशा है और वे इसे चलाने, संभालने और अपना खुद का बाजार बनाने में सक्षम हैं. बरागटा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सु्क्खू से जमई के बयानों का संज्ञान लेने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया।
जमई ने मांगी माफी
आलोचनाओं का सामना कर रहे जमई ने बाद में एक दूसरी पोस्ट में अपनी अपील पर खेद जाहिर करते हुए कहा कि वह “भावनाओं में बह गए थे.” उन्होंने लिखा, “किसी भी समुदाय के लिए कोई नफरत नहीं. बिल्कुल नहीं. मैं हमेशा समाज के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने में विश्वास करता हूं. पूरा भारत एक है. सभी से प्यार करो. पिछले ट्वीट का गलत मतलब निकाला गया.” जमई ने कहा कि संजौली मस्जिद को टूटने से बचाने की कानूनी प्रक्रिया के सिलसिले में उन्होंने वहां कुछ मुस्लिम व्यापारियों से मुलाकात की थी और “जब वे अकेले महसूस कर रहे थे, तो मैं उनकी आवाज को बुलंद करना चाहता था.” जमई ने यह भी कहा कि वह शिमला में “धर्मनिरपेक्ष हिंदू समुदाय के आभारी हैं कि उन्होंने हमारा सपोर्ट किया. कुछ उम्मीद जगी है।
चूड़धार चोटी पर 22 वर्षों बाद शिरगुल महाराज के मंदिर में ऐतिहासिक कुरुड़ स्थापित…
नाहन : चूड़धार चोटी पर शिरगुल महाराज के प्राचीन मंदिर में 22 वर्षों के बाद हुए इस ऐतिहासिक और पवित्र आयोजन में कुरुड़ की स्थापना, हिमाचल प्रदेश के शिमला और सिरमौर जिलों के धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। शिरगुल महाराज, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है, इन क्षेत्रों के आराध्य देवता हैं, और उनकी पूजा विशेष रूप से इन जिलों में गहरी आस्था और श्रद्धा से की जाती है।
कुरुड़ स्थापना का महत्व
कुरुड़, एक प्रकार का धार्मिक प्रतीक या देवता का मुकुट है, जो मंदिर के शिखर पर स्थापित किया जाता है। यह स्थापना किसी भी देव प्रतिमा या मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की अंतिम और अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है। जब कुरुड़ को मंदिर के शीर्ष पर स्थापित किया जाता है, तो मंदिर का कार्य पूर्ण माना जाता है। इसी धार्मिक परंपरा का निर्वहन चूड़धार के इस पवित्र स्थल पर किया गया। चूड़धार चोटी, जो समुद्र तल से 12,000 फीट से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित है, इस आयोजन का साक्षी बनी, और हजारों श्रद्धालुओं ने इस अद्वितीय क्षण को देखा।
इस महायज्ञ और कुरुड़ स्थापना के लिए व्यापक तैयारियां की गई थीं। चूडेश्वर सेवा समिति और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर लगभग 25,000 से 30,000 श्रद्धालुओं के लिए ठहरने और भोजन की व्यवस्था की। कालाबाग में 1000 से अधिक टैंट लगाए गए थे, जहाँ श्रद्धालुओं ने ठंड और बर्फीली हवाओं के बीच रात बिताई। इस ऐतिहासिक आयोजन के दौरान, श्रद्धालुओं ने रात भर देवता की भक्ति में डूबकर धार्मिक गीतों और पारंपरिक नृत्यों का आनंद लिया। सर्द मौसम और पहाड़ी हवाओं के बीच, लोगों ने आग जलाकर खुद को गर्म रखा और साथ ही साथ लोकल गीतों और नृत्यों में भाग लिया। पारंपरिक लोकगीत, जो देवताओं की महिमा और स्थानीय वीरगाथाओं को बयां करते हैं, गाए गए, और लोग उत्साह के साथ नृत्य करते रहे। इस रात ने एक ओर जहां श्रद्धालुओं की भक्ति को और मजबूत किया, वहीं दूसरी ओर हिमाचली संस्कृति की समृद्धि और लोक परंपराओं की गूंज सुनाई दी। इसके साथ ही, चौपाल, कुपवी, नेरवा और हामल आदि पंचायतों के लोग आयोजन की तैयारी और सफल संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। 11 अक्तूबर की सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना जारी था। श्रद्धालु, देव पालकियों के साथ घने जंगलों से होते हुए चूड़धार की ओर बढ़ रहे थे। देवता के प्रति गहरी आस्था और भक्ति का प्रदर्शन श्रद्धालुओं ने देव पालकियों और कुरुड़ की झलक पाने के लिए किया, जो कालाबाग में रखी गई थीं। जैसे ही पालकियां चोटी पर पहुंचीं, श्रद्धालुओं ने पालकियों के निर्देशों का पालन करते हुए सम्मानपूर्वक अपने स्थानों पर बैठ गए।
धार्मिक अनुष्ठान और कुरुड़ की स्थापना
आयोजन को लेकर समय सुबह 11:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे के बीच निर्धारित किया गया था, लेकिन ऐसा माना जाता है कि देवता स्वयं शुभ मुहूर्त तय करते हैं। अंततः, दोपहर 12:56 बजे कुरुड़ की स्थापना का कार्य शुरू हुआ। पहले से तैयार किए गए कुरुड़ को श्रद्धालुओं द्वारा हाथोंहाथ उठाकर मंदिर के शिखर तक पहुंचाया गया। इस दौरान शिरगुल महाराज के जयकारों से चोटी की वादियां गूंज उठीं, और पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। यह महायज्ञ शांति और धैर्य से भरा हुआ था, जिसे ‘शांत महायज्ञ’ कहा गया। इसके साक्षी बने हजारों श्रद्धालु न केवल इस दिव्य अनुष्ठान का हिस्सा बने, बल्कि उन्होंने शिरगुल महाराज की असीम शक्ति का अनुभव भी किया।
चूड़धार का विहंगम दृश्य और स्थानीय सहभागिता
चूड़धार चोटी से चारों ओर का दृश्य बेहद अद्भुत और दैवीय था। पहाड़ियों के बीच फैली धुंध और बादलों के बीच स्थित मंदिर ने इस आयोजन को और भी भव्य बना दिया। चारों ओर बैठे श्रद्धालुओं ने पहाड़ों के इस प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक माहौल का आनंद लिया। शिरगुल महाराज के प्रति श्रद्धा और आस्था का यह प्रदर्शन क्षेत्र की धार्मिक परंपराओं का सम्मान था।
सोलन: भाई-बहन की जोड़ी ने डांस रियल्टी शो में दिखाया दमखम….
सोलन: खुंडीधार स्थित टैगोर इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल सोलन में पढऩे वाले भाई-बहन की जोड़ी ने डांस रियल्टी शो “किसमें कितना है दम” में अपनी नृत्य प्रतिभा का लोहा मनवाया। टैगोर इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा सोनाक्षी पुंडीर और उसके भाई योगेंद्र पुंडीर ने डांस रियलिटी शो में बेहतरीन प्रदर्शन कर सोलन व अपने स्कूल का नाम रोशन किया है। सिरमौर जिला के भराड़ी गांव निवासी कृष्ण दत्त पुंडीर की बेटी सोनाक्षी पुंडीर और बेटा योगेंद पुंडीर ने नृत्य प्रतिभा के दम पर यह मुकाम हासिल किया। डांस के लोकप्रिय टीवी रियलिटी शो किसे कितना है दम के ग्रैंड फिनाले में भाग लेने वाली छात्रा सोनाक्षी पुंडीर ने सोलो डांस में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वही सोनाक्षी के भाई योगेंद्र पुंडीर शो के प्रथम उपविजेता रहे। इस रोमांचक मुकाबले में दोनों ने अपनी बेहतरीन प्रतिभा और डांस में निपुणता के दम पर प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए ट्रॉफी अपने नाम की। शो के दौरान, सोनाक्षी और योगेंद्र ने अपने ज्ञान और रणनीति के साथ विभिन्न चुनौतीपूर्ण खेलों में भाग लिया। दर्शकों के बीच उनकी जोड़ी ने हर चुनौती को एक नई ऊँचाई पर पहुंचाया। पंजाबी टीवी के डांस शो किसमे कितना है दम ने न केवल प्रतिभागियों को एक मंच दिया, बल्कि दर्शकों को भी शानदार मनोरंजन प्रदान किया। टैगोर इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या ललिता पंवार ने बच्चों के प्रदर्शन की सराहना की और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। सोनाक्षी और योगेंद्र को शो की ट्रॉफी के साथ-साथ नकद इनाम भी मिला मिला, जो उनकी मेहनत और संघर्ष का परिणाम है। स्कूल के निदेशक डॉ.बीएस पंवार और प्रिंसिपल ललिता पंवार ने दोनों छात्रों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी और उनके मंगल भविष्य की कामना की।
Aaj Ka Panchang 2024: पापांकुशा एकादशी के साथ रविवार व्रत, शाम को भद्रा और पंचक, जानें मुहूर्त, रवि योग, राहुकाल
Papankusha Ekadashi 2024 Shubh Muhurat: सनातन धर्म में भगवान विष्णु की आराधना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक माह की एकादशी तिथि के दिन व्रत का पालन करने से और भगवान विष्णु की उपासना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट व दुख दूर हो जाते हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, 13 अक्टूबर 2024, रविवार के दिन पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन किया जाएगा. 13 अक्टूबर के दिन स्मार्त संप्रदाय के लोग एकादशी व्रत का पालन करेंगे. वहीं वैष्णव संप्रदाय में इस व्रत का पालन 14 अक्टूबर के दिन किया जाएगा. आइए जानते हैं, पापांकुशा एकादशी व्रत, पूजा मुहूर्त और विधि.
पापांकुशा एकादशी व्रत 2024 शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 अक्टूबर सुबह 09:10 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 14 अक्टूबर सुबह 06:40 पर हो जाएगा. इस दिन अभिजीत मुहूर्त में भगवान विष्णु की उपासना का विधान है. अभिजीत मुहूर्त का समय दोपहर 11:45 से दोपहर 12:30 के बीच रहेगा, इसी दौरान पूजा-पाठ को उत्तम माना जाता है. एकादशी व्रत का पारण 14 अक्टूबर के दिन किया जाएगा.
पापांकुशा एकादशी व्रत पूजा विधि
शास्त्रों में यह बताया गया है कि एकादशी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु को स्मरण करके सूर्य देव को जल प्रदान करें. ऐसा करने के बाद साफ वस्त्र धारण करके ईशान कोण में चौकी स्थापित करें और उस पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद मंत्र उच्चारण और गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि से भगवान विष्णु की उपासना करें और इस दौरान भगवान विष्णु के स्त्रोत व चालीसा का पाठ जरूर करें. पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती के साथ पूजा संपन्न करें.
क्या है पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व?
शास्त्रों में एकादशी व्रत के महत्व को विस्तार से बताया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति एकादशी व्रत का पालन करता है, उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष का मार्ग उनके लिए खुल जाता है. इसके साथ शास्त्रों में यह बताया गया है कि एकादशी व्रत का पालन करने से मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है और श्री हरि के चरणों में स्थान प्राप्त होता है. इसके साथ एकादशी व्रत के दिन दान-पुण्य को भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करने से व्यक्ति को अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है.
आज का राशिफल 13 अक्टूबर 2024 : शुक्र गोचर से आज मिलेगा, वृषभ, तुला और वृश्चिक समेत कई राशियों को लाभ, जानें अपना आज का भविष्यफल
Aaj Ka Rashifal 13 October 2024 : 13 अक्टूबर का राशिफल ज्योतिषीय गणना के अनुसार वृषभ, तुला और वृश्चिक राशि के जातको के लिए लाभदायक रहेगा। दरअसल आज शुक्र का राशि परिवर्तन तुला से वृश्चिक में होने जा रहा है। जबकि आज चंद्रमा दिन रात कुंभ राशि में शनि के साथ होंगे। ऐसे में आज … Read more