



नेशनल डेस्क: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से जापान की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर रवाना होंगे, जहां वे जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा से पहली बार आमने-सामने मुलाकात करेंगे। इस यात्रा के केंद्र में भारत-जापान की विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को नए आयाम देना है। यह प्रधानमंत्री मोदी की जापान की आठवीं यात्रा होगी, और उनके नेतृत्व में द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊर्जा मिलने की उम्मीद है।
भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज ने कहा
प्रधानमंत्री मोदी की आगामी जापान यात्रा पर, जापान में भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज ने कहा, “QUAD की शुरुआत 2004 में सुनामी के दौरान हुई थी और तब से, हमने देखा है कि इसने एक लंबा सफर तय किया है। इसके शिखर सम्मेलन होते हैं, विदेश मंत्रियों की बैठकें होती हैं, लेकिन इसका एक बहुत ही ठोस, सकारात्मक एजेंडा है जिसके साथ यह पिछले कुछ वर्षों से काम कर रहा है। इसलिए हम इसे आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। भारत पर 50% अमेरिकी टैरिफ के बारे में, उन्होंने कहा, “भारत और जापान हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दो महत्वपूर्ण देश हैं, और वे QUAD के भी दो बहुत महत्वपूर्ण देश हैं। जब वे मिलेंगे, तो नेतृत्व भू-राजनीतिक स्थिति और भू-आर्थिक स्थिति पर चर्चा करेगा। निश्चित रूप से, ये सभी मुद्दे बातचीत के दौरान उठेंगे। जैसे बुलेट ट्रेन पटरियों पर रफ्तार से दौड़ती है, वैसे ही भारत-जापान के संबंधों को भी अब नई रफ्तार मिलने जा रही है। इस यात्रा में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग, आर्थिक भागीदारी, प्रौद्योगिकी, नवाचार और सांस्कृतिक संबंधों को लेकर व्यापक चर्चा होगी। भारत की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं में जापानी तकनीकी और पूंजी निवेश निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
भारत में होगा जापान का अब तक का सबसे बड़ा निवेश
जापान की प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी क्योडो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जापान भारत में लगभग 10 ट्रिलियन येन (लगभग 68 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के निवेश की योजना पर विचार कर रहा है। यह निवेश भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रीन एनर्जी, हाईटेक मैन्युफैक्चरिंग और स्टार्टअप इकोसिस्टम को मजबूती देने के लिए किया जाएगा। इससे पहले मार्च 2022 में जापान ने 5 ट्रिलियन येन के निवेश की घोषणा की थी, जिसे अब दोगुना करने की तैयारी है।
सेमीकंडक्टर क्रांति की ओर बढ़ता भारत-जापान गठजोड़
तेजी से बदलती वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में सेमीकंडक्टर्स की भूमिका बेहद अहम हो चुकी है। इसी को ध्यान में रखते हुए, भारत और जापान एक नए रणनीतिक ढांचे पर सहमति बना सकते हैं, जिसमें आवश्यक खनिज, स्वच्छ ऊर्जा और सेमीकंडक्टर निर्माण जैसे क्षेत्र शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री इशिबा जापान के सेंडाई शहर का दौरा कर सकते हैं, जो अपने सेमीकंडक्टर अनुसंधान और उत्पादन के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
स्टार्टअप और एआई क्षेत्र में नई पहल
भारत के तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की संभावनाओं को देखते हुए, दोनों देश उभरती तकनीकों को लेकर एक नई AI सहयोग पहल की घोषणा कर सकते हैं। इसका उद्देश्य जापानी और भारतीय स्टार्टअप्स के बीच तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा देना और दोनों अर्थव्यवस्थाओं में नवाचार को बढ़ावा देना होगा। इस द्विपक्षीय वार्ता में केवल आर्थिक और तकनीकी मुद्दे ही नहीं, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, और वैश्विक स्थिरता जैसे विषयों पर भी गहन चर्चा होगी। भारत और जापान दोनों ही लोकतांत्रिक मूल्य आधारित विश्व व्यवस्था के समर्थक हैं, और यह यात्रा उन साझा मूल्यों को मजबूती देने का एक अवसर बन सकती है।