



नेशनल डेस्क: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बुधवार को कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा के लिए स्वदेशी तकनीकों में निवेश और निर्माण करना बहुत जरूरी है। उन्होंने खासकर यूएएस-रोधी (ड्रोन विरोधी) प्रणालियों के महत्व पर प्रकाश डाला जो हमारे देश के लिए जरूरी हैं।
विदेशी तकनीकों पर निर्भर रहने से तैयारियां कमजोर होंगी
दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि विदेशी तकनीकों पर निर्भर रहने से हमारी तैयारियां कमजोर होती हैं और हमें जरूरी पुर्जों की कमी का सामना करना पड़ता है। इससे हमारे हथियारों और प्रणालियों की उपलब्धता पर असर पड़ता है। जनरल चौहान ने 7 मई को शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर का उदाहरण दिया, जिसमें स्वदेशी रूप से विकसित यूएएस-रोधी सिस्टम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि ये प्रणालियां भारत के भूभाग और हमारी जरूरतों के हिसाब से बनाई गई हैं, इसलिए हमारी रक्षा में मददगार हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन के दौरान भारत के खिलाफ ड्रोन और मंडराते हुए हथियारों का इस्तेमाल किया, लेकिन ये भारतीय सैन्य या नागरिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को नुकसान नहीं पहुंचा पाए। भारतीय सशस्त्र बलों ने गतिज (फिजिकल) और गैर-गतिज (इलेक्ट्रॉनिक) उपायों से इन ड्रोन को रोक दिया और कुछ ड्रोन तो बिना नुकसान के भी बरामद किए गए। सीडीएस ने कहा कि ड्रोन तकनीक युद्ध में विकासात्मक बदलाव ला रही है। इनका उपयोग लगातार बढ़ रहा है और सेना ने इन्हें युद्ध में बहुत असरदार तरीके से इस्तेमाल किया है। कार्यक्रम के दौरान जनरल चौहान ने मानेकशॉ सेंटर में विदेशी कंपनियों से आयात हो रहे यूएवी (ड्रोन) और काउंटर-यूएएस तकनीकों के कई महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण की प्रदर्शनी का भी दौरा किया। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि हमें अपनी सुरक्षा के लिए देश में ही ड्रोन रोकने वाली तकनीकें बनानी और उस पर पैसा लगाना होगा। विदेशी तकनीकों पर निर्भर रहने से हमारी सेना कमजोर होती है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में हमारे देश की बनाई ड्रोन रोकने वाली तकनीकों ने बहुत मदद की। पाकिस्तान ने ड्रोन भेजे, लेकिन वे न तो हमारे सैनिकों को नुकसान पहुंचा पाए और न ही हमारी नागरिक जगहों को। हमारी सेना ने उन्हें फिजिकल और इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरीकों से नाकाम किया। ड्रोन तकनीक युद्ध में धीरे-धीरे बदलाव ला रही है, और सेना ने इसका अच्छा इस्तेमाल किया है। साथ ही, विदेश से आने वाले कई जरूरी हिस्सों को भारत में ही बनाना शुरू करना चाहिए, ताकि हम मजबूत बन सकें।