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गांव बागी रख स्थित मांहू नाग का मंदिर आज भी अपनी धार्मिक महत्व को दर्शा रहा है

लाइव हिमाचल/कसौली :  हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है और यहां कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, जिनका अपना विशेष धार्मिक महत्व है। इनमें कई महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल हिमाचल प्रदेश में स्थित है। धार्मिक स्थलों से जो घटनाएं और पौराणिक कथाएं जुड़ी है। वह बहुत ही दिलचस्प है। वैसे भी भारत त्योहारों का देश कहा जाता है। सदियों पुरानी परंपराओं और संस्कृतियों का घर है। जिन्हें पूरी दुनिया मानती है और यही बात भारत को अद्वितीय और अतुलनीय बनाती है। हर धार्मिक स्थल का एक विशेष महत्व होता है और उनको पीछे एक दिलचस्प कहानी होती है जो हमारी संस्कृति और देश के प्रति सम्मान को बढ़ाती है। वैसे हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है, यहां लोगों की देवी देवताओं में गहरी आस्था और श्रद्धा है। यहां के मंदिर, मेले और त्योहार बहुत महत्व रखते हैं। यह स्थान आज भी भारतीय संस्कृति के अज्ञात तथ्यों के बारे में बहुत कुछ जानने में मदद करता है। इसी प्रकार का उभरता हुआ धार्मिक स्थल गांव बागी रख स्थित मांहू नाग का मंदिर आज अपनी धार्मिक महत्व को दर्शा रहा है। जो की कसौली से मात्र 15 किलोमीटर सोलन से 50 किलोमीटर एवं जगजीत नगर से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। पौराणिक मिथकों दंत कथाओं एवं स्थानीय जनमानस के अनुसार बागी रख मे मांहू नाग जी का मूल स्थान माना जाता है। ग्रामीणों का मानना है कि यहां पर मांहूनाग महाराज जी का साक्षात पेहरा है। आज दिन तक का यह इतिहास रहा है इस जंगल,(रख )में कभी भी किसी प्रकार का प्राकृतिक प्रकोप नहीं हुआ। अर्थात कभी इस रख में आग़ नहीं लगी कहीं आसपास लगती भी है तो उसे दैविक स्थान तक कभी नहीं पहुंची। यह स्थान आज दैविक शक्तियों से भरपूर है। स्थानीय लोगों ने इस स्थान की दैविक और धार्मिक महत्व को देखते हुए इस स्थान का जीर्णोद्धार हेतु अपने स्तर पर यहां एक मैदान एवं मांहूनाग जी का छोटा सा मंदिर चौकी के रूप में स्थापित किया है। जहां प्रतिदिन पर दर्शन एवं अपनी मनोकामना के लिए काफी संख्या में भक्त लोग आने शुरू हो गए हैं। यह स्थान अपने आप में बहुत ही रमणीय एवं चारों तरफ से उतंग पहाड़ी शैलियों से घिरा हुआ प्राकृतिक स्थल है। इस धार्मिक स्थल से हरिपुर एवं जोहड़ जी में स्थित गुरुद्वारा का स्थान एवं मां चंडी का मंदिर भी स्पष्टदिखाई देता है जो इसके धार्मिक निष्ठा एवं श्रद्धा को बढ़ा देता है। जो अपने आप में इसकी महतता को दर्शाता है और स्थानीय लोगों का का ऐसा मानना है कि इस स्थान पर आकर के सच्चे भाव के साथ मथा टेकने से उनकी मनोकामना आवश्यक पूर्ण होती है। आज यह स्थान अभी तक प्रचार प्रसार से काफी दूर है वह दिन दूर नहीं जब यह स्थान पर्यटन एवं धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण स्थान बनाकर के हिमाचल प्रदेश के मानचित्र पर उभरकर सभी को अपनी तरफ आकर्षित करेगा।

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