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सूखी पड़ी थी सतलुज नदी, खेल रहे थे बच्‍चे, सायरन बजाकर डैम से छोड़ दिया पानी…

मंडी/बिलासपुर:  हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के खंगर गांव में बुधवार शाम को सतलुज नदी में अचानक आए उफान में दो बच्चे फंस गए. इन बच्‍चों को स्थानीय ग्रामीणों और एनटीपीसी की कोलडैम परियोजना के अधिकारियों ने जैसे तैसे कर सुरक्षित बाहर निकाल लिया. घटना के दौरान तीन बच्चे कृष (8), उसकी बहन मन्नत (10) और अनुज ठाकुर (12) नदी के किनारे खेल रहे थे.. कोलडैम परियोजना से बिजली उत्पादन के लिए सायरन बजाकर पानी छोड़ दिया, जिसके कारण सतलुज नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया. जलस्तर बढ़ते ही कृष और अनुज नदी में एक बड़े पत्थर पर बैठ गए, जबकि मन्नत पानी से बाहर निकलने में सफल रही. मन्नत ने शोर मचाया, जिससे बड़ी संख्या में लोग नदी के दोनों ओर जमा हो गए. लोअर भटेड़ पंचायत की वार्ड सदस्य अंजना कुमारी भी घटना की जानकारी मिलने पर तुरंत मौके पर पहुंचीं और बांध अधिकारियों से संपर्क किया. अधिकारियों ने तुरंत बांध के गेट बंद कर दिए, जिससे पानी का बहाव कम हो गया. पानी का स्तर कम होने पर निचली भटेड़ गांव निवासी राजेंद्र कुमार (55) रस्सियों की मदद से बच्चों के पास पहुंचे और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया। दरअसल, जल स्तर कम होते ही राजेंद्र कुमार ने बहते पानी के बीच रस्सियों के सहारे बच्चों तक पहुंचकर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला. तब तक बच्चे करीब दो घंटे यानी शाम 5 बजे से 7 बजे तक नदी में फंसे रहे थे.​ बच्चों की जान बचाने के लिए एनटीपीसी को अपने जलविद्युत संयंत्र का गेट बंद करना पड़ा, जिससे बिजली उत्पादन पूरी तरह बंद हो गया. इसका सीधा असर बिजली आपूर्ति पर पड़ा और बिजली कटौती की नौबत आ गई. इस दौरान एनटीपीसी को करोड़ों रुपये की पेनल्टी और उत्पादन में नुकसान का सामना करना पड़ा. बावजूद इसके, कंपनी ने मानवता को प्राथमिकता दी और आर्थिक हानि की परवाह न करते हुए समय पर कदम उठाया. गांव के लोगों ने एनटीपीसी के इस साहसी और मानवीय कदम की सराहना की. विशेष रूप से एनटीपीसी प्रबंधन ​की भूमिका को सराहा गया. लोगों का कहना है कि यदि समय रहते पानी का बहाव नियंत्रित न किया जाता, तो बच्चों को जिंदा बचा पाना नामुमकिन होता।

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