



लाइव हिमाचल/चंडीगढ़: हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री द्वारा शानन पावर प्रोजेक्ट के संबंध में दिए गए बयान को खारिज करते हुए पंजाब के बिजली मंत्री स. हरभजन सिंह ईटीओ ने शुक्रवार को स्पष्ट रूप से कहा कि शानन पावर प्रोजेक्ट पंजाब राज्य की संपत्ति है, इसलिए हिमाचल प्रदेश सरकार का इस पर कोई अधिकार नहीं है। ऊर्जा मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने यहां जारी बयान में कहा कि अग्निहोत्री को पहले शानन पावर प्रोजेक्ट के स्वामित्व से संबंधित तथ्यों की जानकारी होनी चाहिए, न कि बेबुनियाद बयानबाजी करनी चाहिए। तथ्यों की जानकारी के अभाव में अग्निहोत्री दोनों राज्यों के मजबूत आपसी संबंधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हरभजन सिंह ईटीओ ने हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं सहकारिता मंत्री अग्निहोत्री को याद दिलाया कि 1966 में पंजाब राज्य का पुनर्गठन किया गया था, उसके बाद भारत सरकार ने पुनर्गठित राज्यों की परिसंपत्तियों एवं देनदारियों के स्वामित्व के संबंध में 1 मई 1967 को अधिसूचना जारी की थी। उन्होंने कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 की धारा 67(4) के अनुसार भारत सरकार ने हाइड्रो पावर हाउस जोगिंदर नगर की परिसंपत्तियों और देनदारियों को पंजाब राज्य बिजली बोर्ड को आवंटित किया है, जो अब पंजाब राज्य में पीएसपीसीएल के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा है। बिजली मंत्री ने कहा कि संसद द्वारा बनाया गया अधिनियम कानून बन जाता है, जो एक ऐसा दस्तावेज है जिसे बिना किसी बदलाव के लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम राज्यों के अधिकारों को निर्धारित करता है, इसलिए शानन परियोजना पूर्ण रूप से पंजाब राज्य की संपत्ति है। हरभजन सिंह ईटीओ ने बताया कि सिंचाई एवं ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार ने अपने पत्र संख्या ईएल11.77(45)/71 दिनांक 22-03-1972 के माध्यम से सचिव, बहुउद्देशीय परियोजनाएं एवं ऊर्जा विभाग, हिमाचल प्रदेश सरकार को सूचित किया था कि विद्युत स्टेशनों के आबंटन के संबंध में 01 मई, 1967 की अधिसूचना को संशोधित नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा भी संपत्ति के स्वामित्व के बारे में मुद्दा विद्युत विभाग, ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के समक्ष उठाया गया था, जिसे वर्ष 1987 में भारत सरकार द्वारा पुनः स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया गया था। इससे स्पष्ट हो जाता है कि शानन विद्युत परियोजना का पंजाब राज्य को आबंटन पूर्णतः सही है, जो पंजाब से सम्बन्धित है।बिजली मंत्री ने कहा कि अग्निहोत्री ने कहा कि मंडी के शासक को भारत सरकार को 99 साल के पट्टे पर दिया गया था और मंडी कभी भी पंजाब का हिस्सा नहीं थी। उन्होंने अग्निहोत्री को यह भी याद दिलाया कि मंडी के शासक और ब्रिटिश सरकार के बीच हुए समझौते के अनुसार, साइट का निर्माण 1925 में शुरू हुआ था और 1932 में पूरा हो गया था। ईटीओ ने बताया कि भारत के गठन के बाद, हिमाचल का हर जिला पंजाब का हिस्सा था।