



लाइव हिमाचल/कसौली : विकास खंड पट्टा महलोग के तहत ग्राम पंचायत भावगुडी के गाँव बानी के रहने वाले डॉ. मुकेश कुमार वर्मा दक्षिण अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वाज़ुलू-नटाल में शोध कार्य करने जा रहे हैं। उनका यह शोध कार्य नैनो टेक्नोलॉजी के उपयोग से ऑर्गेनिक डाई के फोटोकैटलिटिक डिग्रेडेशन पर केंद्रित होगा। इस शोध का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल (ग्रीन सिंथेसिस) विधियों को अपनाकर जल प्रदूषण की समस्या का समाधान निकालना है।
सामाजिक और वैज्ञानिक क्षेत्र में होगा बड़ा योगदान
डॉ. वर्मा का यह शोध कार्य न केवल अकादमिक जगत के लिए बल्कि औद्योगिक शोध और आम जनता के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। उनके अनुसंधान से जल शुद्धिकरण की नई तकनीकों का विकास होगा, जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण को कम किया जा सकेगा। विशेष रूप से टेक्सटाइल और केमिकल इंडस्ट्री में उपयोग होने वाले हानिकारक डाई को अधिक प्रभावी और टिकाऊ तरीकों से नष्ट करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह शोध उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान में नए आयाम स्थापित करेगा। यह छात्रों और शोधकर्ताओं को हरित (इको-फ्रेंडली) तकनीकों की दिशा में प्रेरित करेगा और औद्योगिक जगत में व्यावहारिक उपयोग के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा।
युवाओं और समाज के लिए प्रेरणा
डॉ. मुकेश कुमार वर्मा न केवल एक वैज्ञानिक बल्कि समाजसेवी भी हैं। वे शहीद नरेन्द्र कुमार युवा मंडल बांध के अध्यक्ष के रूप में सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं। उनके इस उपलब्धि से पूरे युवक मंडल को गर्व की अनुभूति हो रही है। उनके इस सफर से क्षेत्र के युवाओं को विज्ञान और शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
परिवार और युवक मंडल को दिया सफलता का श्रेय
अपनी इस सफलता का श्रेय डॉ. वर्मा ने अपने माता-पिता और युवक मंडल के सतत समर्थन को दिया है। उन्होंने कहा कि उनके परिवार और समाज के सहयोग ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुँचने में मदद की है। उनकी इस उपलब्धि से न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे गाँव और क्षेत्र में हर्ष का माहौल है।