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हिमाचल प्रदेश में होगी भांग की खेती! विधानसभा में समिति की रिपोर्ट को मिली मंजूरी…

शिमला: हिमाचल प्रदेश में जल्द भांग की खेती के वैध होने की संभावना है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है. इस दौरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन में प्रदेश में भांग के औषधीय और इंडस्ट्रियल इस्तेमाल की मंजूरी से जुड़ी रिपोर्ट की सिफारिशें पेश कीं. बता दें की राज्य सरकार ने प्रदेश में भांग की खेती को वैध बनाने के संबंध में 26 अप्रैल 2023 को एक 10 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. नियंत्रित वातावरण में औद्योगिक, वैज्ञानिक और औषधीय प्रयोजनों के लिए भांग की खेती को वैध बनाने से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें देने के लिए 10 सदस्यीय समिति ने रिपोर्ट पेश की.

रिपोर्ट में हिमाचल की आय में वृद्धि का दावा
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यों की कमेटी ने भांग की खेती को वैध करने के लिए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं. दावा किया गया है कि आने वाले समय में भांग की खेती को वैध करने से प्रदेश की आय में वृद्धि हो सकती है. 10 सदस्यों की कमेटी की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट को 19 सितंबर 2023 को सदन के समक्ष प्रस्तुत किया गया था और अब इसे मंजूरी मिल गई है. बता दें कि कमेटी ने चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू, सोलन और सिरमौर जिला का दौरा किया गया था. वहीं, कमेटी ने हिमाचल प्रदेश के बाहर भी इसे लेकर दौरा किया, जिनमें जम्मू, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश शामिल है.

कौन-कौन थे 10 सदस्यों की कमेटी में शामिल
26 अप्रैल 2023 को भांग की खेती को औषधीय इस्तेमाल के लिए वैध करने के लिए 10 सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया था. राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था. वहीं, चीफ पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी (सीपीएस) सुंदर सिंह ठाकुर, सीपीएस मोहनलाल ब्राक्टा, विधायक हंसराज, विधायक जनक राज, विधायक पूर्ण चंद ठाकुर, विधायक सुरेंद्र शौरी, विधायक केवल सिंह पठानिया, अधिवक्ता देवन खन्ना और राज्य कर एवं आबकारी विभाग के प्रशासनिक अतिरिक्त आयुक्त कमेटी में शामिल थे. इस कमेटी ने कई महत्वपूर्ण सिफारिशें सदन के सामने रखी है.

क्या हैं 10 सदस्यों की कमेटी की सिफारिशें
• 10 सदस्यों की कमेटी की सिफारिशों के मुताबिक, एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 10 के तहत राज्य सरकार को प्रदत शक्तियों के आधार पर नियंत्रित वातावरण में औषधीय और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की खेती, उत्पादन, निर्माण, कब्जा, परिवहन, आयात-निर्यात, बिक्री, खरीद खपत या भांग (चरस को छोड़कर) की खेती की अनुमति, नियंत्रण और विनियमन के लिए हिमाचल प्रदेश एनडीपीएस नियम, 1989 में संशोधन किया जाना चाहिए. वहीं, एनडीपीएस अधिनियम, 1985 की धारा 14 के तहत केवल फाइबर या बीज प्राप्त करने या बागवानी और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की अनुमति देने के लिए कुछ शर्तों के अधीन एक सामान्य या विशेष आदेश पारित होना चाहिए.

• इसके साथ ही खेती से लेकर उत्पादों के निर्माण की प्रक्रियाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं विकसित की जानी चाहिए. एक राज्य स्तरीय प्राधिकरण का गठन किया जाना चाहिए, जो गैर-मादक उद्देश्यों के लिए भांग की खेती को विनियमित करने में शामिल प्रक्रियाओं, जैसे बीज बैंक की स्थापना, बीज वितरण, उपज की खरीद और औद्योगिक और फार्मा इकाइयों की स्थापना के संबंध में निर्णय लेने के लिए एकल खिड़की प्रणाली की सुविधा दें.

• कृषि/बागवानी विभाग, अनुसंधान एवं विकास विशेषज्ञ और विश्वविद्यालयों के समन्वय से बीज बैंक विकसित किए जा सकते हैं. चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर और डॉ.वाई.एस. परमार विश्वविद्यालय, नौणी की सेवाओं का उपयोग कर अनुसंधान एवं विकास तकनीक विकसित की जा सकती है. भूमि की जियो टैगिंग राजस्व, आईटी और पर्यावरण, विज्ञान प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग करेगा. इसके अलावा आय का कुछ प्रतिशत अनुसंधान और विकास, जागरूकता अभियान और क्षमता निर्माण अभ्यास के लिए अलग रखा जाना चाहिए. अतिरिक्त काम करने के लिए राज्य आबकारी व कराधान विभाग को मौजूदा संख्या से अधिक विशेष कर्मचारी भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

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