



Tea History: चाय हमारे देश की संस्कृति में इस तरह से रच-बस गई है कि अंदाजा ही नहीं होता कि यह भारतीय नहीं है. आज से तीन-चार सौ साल पहले चाय के बारे में भारत में कोई भी नहीं जानता था. लेकिन आज चाय पूरे भारत को चाय संस्कृति के एक धागे में पिरोती है. भारत दुनिया में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है औ और बड़ी बात यह है कि अपने इस प्रोडक्शन में से 70 फीसद चाय स्वयं हम भारतीय ही गटक जाते हैं. आइए चाय की चुस्की लेते हुए जानते हैं चाय की अनोखी यात्रा के बारे में.
प्रचलित कथाओं के अनुसार चीन में चाय के बारे में जानकारी 2700 ईसा पूर्व से है. सदियों तक चाय की पत्तियों को गर्म पानी में उबालकर एक औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन तीसरी सदी के आसपास इस दैनिक पेय के तौर पर लिया जाने लगा. चाय के पौधे उगाने, चाय की पत्तियों की प्रोसेसिंग और चाय पीने के संबंध में पहला ऐतिहासिक प्रमाण 350 ईसवी का मिलता है. सन 800 में चाय का बीज जापान पहुंचा. इसके बाद जैसे-जैसे औपनिवेशिक साम्राज्य बढ़ता गया, चाय भी दूसरे देशों और महाद्वीपों में पहुंच गई.
भारत में चाय की शुरुआत
भारत में चाय का इतिहास 1662 से दिखता है. कुछ रिकॉर्ड के अनुसार भारत में सूरत के व्यापारी 1689 में बिना चीनी के चाय का सेवन करते थे. वह इसमें सूखे हुए नींबू के साथ ही कुछ मसालों का भी इस्तेमाल करते थे. उस समय चाय का सेवन सिरदर्द, पेटदर्द आदि से छुटकारा पाने के लिए किया जाता था. हालांकि आज भी सिरदर्द होने पर हम भारतीयों को सबसे पहले चाय का ही ध्यान आता है. लेकिन माना जाता है कि संभवत: समय चाय की पत्तियां चीन से मंगवाई जाती थीं.
चाय भारत को अंग्रेजों की देन
भारत जब अंग्रेजो का गुलाम था तो उस समय ब्रिटेन और चीन के बीच ट्रेड वार चल रही थी. अंग्रेजों को चाय का शौक था, लेकिन चाय का उत्पादन सिर्फ चीन में होता था. इसलिए उन्होंने चाय उगाने के लिए दूसरी जगहें तलाशना शुरू किया. अंग्रेजों ने भारत और श्रीलंका को चाय के उत्पादन के लिए चुना और उस समय कहा जाता है उन्होंने भारत में 80 हजार बीज लगवाए थे. माना जाता है कि चाय का भारत के साथ असली रिश्ता 1840 के आसपास शुरू हुआ.
ऐसे मिला चाय को अपना रूप और स्वाद
माना जाता है कि अंग्रेजों ने भारत में चाय के व्यापार को बढ़ाने और भारतीयों को चाय की लत लगाने के लिए रेलवे स्टेशनों पर मुफ्त में चाय पिलाना शुरू किया. धीरे-धीरे चाय में गुड़ डालकर मीठा किया जाने लगा और काढ़ा जाने लगा. इस तरह से हमारी आज की चाय को अपना यह सुनहरा रूप और स्वाद मिला.
ऐसे शुरू हुआ चाय का उत्पादन
1820 के आसपास ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के असम में बड़े पैमाने पर चाय का उत्पादन शुरू किया. 1826 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस क्षेत्र को यांडबू संधि के तहत अहोम राजा से अपने कब्जे में ले लिया. 1837 में उत्तरी असम के चाबुआ में पहला इंग्लिश टी गार्डन बनाया गया. 1840 में असम टी कंपनी में इस क्षेत्र में चाय का व्यावसायिक उत्पादन शुरू किया.
कभी हाई क्लास ड्रिंक थी चाय
भारत में पैदा हुई चाय ब्रिटेन में खासी मशहूर हुई. खासतौर पर उसके अद्भुद स्वाद और ब्रिटिश एम्पायर में उगी होने के कारण अंग्रेज इसके साथ भावनात्मक रूप से भी जुड़े थे. शुरुआत में चाय बहुत ही हाईक्लास ड्रिंक मानी जाती थी. लेकिन धीरे-धीरे जब उत्पादन बढ़ा तो इसकी कीमतें कम हुईं और यह वर्किंग क्लास में भी मशहूर हो गई. विक्टोरिया काल में चाय सभी वर्गों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला ड्रिंक था.
यहां उगती है चाय
आज भारतीय चाय कंपनियां दुनियाभर की कई चाय बनाने वाली कंपनियों का अधिग्रहण कर चुकी हैं. ब्रिटिश ब्रांड टेटली और टाइफू का भी भारतीय कंपनियां अधिग्रहण कर चुकी हैं. भारत में असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, सिक्किम, नगालैंड, उत्तराखंड, मणिपुर, मिजोरम और मेघालय में चाय उत्पादन होता है.
भारत चाय का सबसे बड़ा उत्पादक
भारत आज दुनियाभर में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा चाय भारत में ही उगाई जाती है. असम और दार्जिलिंग की चाय अपनी खुशबू और रंग के लिए दुनियाभर में मशहूर है. इसके अलावा दक्षिण भारत में नीलगिरी की पहाड़ियों में भी चाय की कुछ बहुत ही खास किस्मों का उत्पादन होता है.
70 फीसद चाय का सेवन करते हैं हम
भारत भले ही चाय का सबसे बड़ा उत्पादक हो, लेकिन हमारे देश में उगने वाली चाय का 70 फीसद हम खुद ही पी जाते हैं. यानी एक बहुत छोटा सा हिस्सा ही हम विदेशों को निर्यात करते हैं. इसका कारण आपको अपने घर में ही नजर आ जाएगा. जब भी कोई घर आता है तो चाय के बिना उस मेहमान का स्वागत अधूरा सा लगता है. अगर किसी को चाय न पिलाएं तो बातें भी बनती हैं कि उसने तो चाय तक नहीं पूछी.
टीबोर्ड की है अहम भूमिका
भारत में उत्पादित होने वाली चाय आज दुनियाभर के लोगों को अपने अरोमा से मोहित करती है. भारत में बहुत से चाय ब्रांड हैं, जो दुनियाभर के लोगों के पसंदीदा ब्रांड हैंय भारत में चाय के उत्पादन, सर्टिफिकेशन, एक्सपोर्ट और चाय से जुड़े सभी तरह के व्यापार टी बोर्ड ऑफ इंडिया की देखरेख में होते हैं।