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आखिर गंगा में ही क्यों प्रवाहित की जाती हैं अस्थियां, क्या है इसके पीछे की जुड़ी मान्यता, जानिए ?

हिंदू धर्म के अनुसार गंगा नदी में स्नान करने से लोगों को उनके पापों से मुक्ति मिलती है. वहीं हिंदू धर्म में गंगा नदी को मोक्षदायिनी माना जाता है. हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति को मरने के बाद मोक्ष दिलाने के लिए उसकी अस्थियां गंगा में प्रवाहित करी जाती है. हिंदू धर्म में जो 16 संस्कार बताए गए हैं. उनमें सबसे आखिरी में संस्कार मृत्यु के बाद किए जाने वाला अंतिम संस्कार है. जिसकी गरूड़ पुराण में पूरी विधि बताई गई है. वहीं गरूड़ पुराण में ही बताया गया है कि मरने के बाद इंसान की अस्थियां गंगा में प्रवाहित की जाती है.

श्री कृष्ण ने बताया महत्व 

हिंदू धर्म के अनुसार गंगा में अस्थियां प्रवाहित करना श्री कृष्ण ने बताया था. राजा भागीरथ के काफी प्रयासों के बाद जब गंगा पृथ्वी पर आई, तब श्री कृष्ण ने गंगा स्नान का महत्व बताया था. कृष्ण ने बताया कि मृत इंसान का शव काफी पुणय करने के बाद ही गंगा के अंदर जा सकता है. जितने दिनों तक इंसान की एक-एक हड्डी गंगा में रहती है, उतने समय तक वह वैकुंठ में वास करता है. इसके अलावा कृष्ण बताते है कि अगर कोई मूर्ख व्यक्ति भी अगर गंगा को छू कर मरता है तो उस पर भी श्री कृष्ण की कृपा से परम पद का अधिकार मिलता है. वहीं अगर इंसान कहीं भी मरते वक्त गंगा का नाम लेता है तो श्री कृष्ण उसे भी सालोक्य पद प्रदान करते है. वह ब्रह्मा की आयु जितने समय तक वहां रहता है.

ये है वैज्ञानिक कारण 

वहीं वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो गंगा का जल अम्लीय होता है, साथ ही इसमें सल्फर(Sulfur)के साथ मरकरी( Mercury)होता है. वहीं हड्डियों में कैल्शियम और फास्फोरस होता है. जो कि गंगा में घुल जाता है.  जिसकी वजह से गंगा के जल में होने से हड्डियां जल्दी गल जाती हैं. वहीं दूसरे किसी पानी में अस्थियां गलने में आठ से दस साल का समय लग जाता है।

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