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हिमाचल के कांगड़ा में भाजपा का चौका रोकने के लिए कांग्रेस को लगानी होगी दमदार फील्डिंग….

शिमला: हिमाचल प्रदेश की सियासत की दशा और दिशा तय करने वाला कांगड़ा जिला बेशक हर बार विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल को ही पटखनी देता रहा हो, मगर कांगड़ा-चंबा संसदीय सीट से पिछले नौ चुनावों में सात बार भाजपा जीती है। पिछले तीन चुनाव भाजपा ने लगातार जीते हैं।  शुरुआत में यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है। ऐसे में भाजपा के चौके को रोकने और फिर वर्चस्व बनाने के लिए कांग्रेस खूब माथापच्ची कर रही है। धर्मशाला से कांग्रेस के अयोग्य घोषित विधायक सुधीर शर्मा की बगावत के बाद यह सीट हॉट हो गई है। वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू तो कांगड़ा को पर्यटन राजधानी बनाने के ऐलान के साथ यहां के अन्य कांग्रेस विधायकों को संतुष्ट करने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। अभी प्रत्याशी न कांग्रेस का तय है और न ही भाजपा का, मगर चुनावी दंगल में यहां का मुकाबला रोचक होने वाला है।

कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र में आम चुनाव की सियासत का शुरुआती दौर कांग्रेस के दबदबे का गवाह है। आपातकाल में राजनीतिक दलों के समूह के रूप में उपजी जनता पार्टी ने कांग्रेस के इस विजय रथ को थामा। 1977 में जनता पार्टी के कंवर दुर्गा चंद ने जीत हासिल कर कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र में गैर कांग्रेसी दलों के पांव जमाने की जमीन तैयार की। हालांकि, अगले दो चुनाव में कांग्रेस मजबूती के साथ वापसी करने में कामयाब रही। इसके बाद कांग्रेस का दबदबा कम होता चला गया और हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के कुछ सालों बाद भाजपा ने मजबूत शुरुआत के साथ इस सीट पर अपनी पैठ बनाई। हिमाचल में मिलने के बाद कांगड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस के पहले सांसद विक्रम चंद महाजन बने। शांता कुमार ने 1989 में पहली बार सीट जीतकर भाजपा की झोली में डाली। शांता कुमार ने चार बार जीत हासिल कर संसद में कांगड़ा-चंबा का प्रतिनिधित्व किया। एक बार उन्हें हार का भी सामना करना पड़ा। कांग्रेस से हेमराज सबसे अधिक तीन बार विजयी रहे।

कुछ इस तरह हैं जातीय समीकरण
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के जातीय समीकरण सामान्य, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं के इर्द-गिर्द ही बनते-बिगड़ते रहते आए हैं। मतदाताओं में सामान्य वर्ग की 25 फीसदी, एसटी वर्ग की 30, ओबीसी वर्ग की 27 और एससी वर्ग की 18 प्रतिशत हिस्सेदारी मानी जाती है। चंबा के चार और कांगड़ा के तीन विस क्षेत्रों में गद्दी समुदाय के मतदाता अहम भूमिका में रहते हैं।
17 में से 12 विस क्षेत्रों में कांग्रेस विधायक
संसदीय क्षेत्र में आने वाले कांगड़ा जिले के 13 विस क्षेत्रों में से 10 में कांग्रेस के विधायक हैं। इनमें एक धर्मशाला से अयोग्य घोषित विधायक सुधीर शर्मा हैं। चंबा के चार विधानसभा क्षेत्रों में से दो में कांग्रेस विधायक हैं। कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र में भाजपा के 5 विधायक हैं। चंबा के भरमौर से भाजपा विधायक का क्षेत्र मंडी और कांगड़ा जिले के जसवां परागपुर से भाजपा विधायक का क्षेत्र हमीरपुर में आता है। देहरा से निर्दलीय विधायक हैं।
वर्ष           नाम                   पार्टी
1952     हेमराज                   कांग्रेस
1957     दलजीत सिंह           कांग्रेस
1962     हेमराज                   कांग्रेस
1967     हेमराज                    कांग्रेस
1971    विक्रम चंद महाजन     कांग्रेस
1977     कंवर दुर्गा चंद           जनता पार्टी
1980     विक्रम चंद महाजन     कांग्रेस
1984     चंद्रेश कुमारी कटोच    कांग्रेस
1989     शांता कुमार              भाजपा
1991     डीडी खनौरिया          भाजपा
1996     सत महाजन              कांग्रेस
1998     शांता कुमार             भाजपा
1999     शांता कुमार             भाजपा
2004     चंद्र कुमार               कांग्रेस
2009     राजन सुशांत            भाजपा
2014     शांता कुमार             भाजपा
2019     किशन कपूर            भाजपा

सात लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा को मिले वोट
वर्ष          पार्टी        वोट
1999    भाजपा      325066
कांग्रेस    224324
1998     भाजपा     334684
कांग्रेस     275449
1996    भाजपा     226293
कांग्रेस     263817
2004    कांग्रेस     314555
भाजपा     296764
2009    भाजपा     322254
कांग्रेस    3,01,475
2014    भाजपा     456163
कांग्रेस     286091
2019    भाजपा     725218
कांग्रेस       247595

भाजपा

सांसद किशन कपूर, भाजपा प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर, प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव भारद्वाज, पूर्व विधायक विशाल नैहरिया, पूर्व मंत्री राकेश पठानिया, राहुल सिंह पठानिया, विशाल चौहान।

कांग्रेस
प्रदेश कोषाध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा, विशाल चंबियाल, डॉ सुशील कुमार शर्मा, धर्मवीर सिंह राणा, नागेश्वर मनकोटिया। पूर्व सांसद एवं मंत्री चंद्र कुमार, पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आरएस बाली और पूर्व मंत्री आशा कुमारी में से किसी एक को हाईकमान बना सकता है प्रत्याशी।

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