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हिमाचल प्रदेश में घटिया दवाइयां बनाने वाले 10 उद्योंगों पर लगा ताला, BBN में 8 सिरमौर में 2 यूनिटों पर हुई तालाबंदी….

सोलन : हिमाचल प्रदेश में घटिया क्वालिटी की दवाइयां बनाने वाली कंपनियों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। स्टेट ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी ने गुणवत्ता के मानकों पर खरा नहीं उतरने वाले 10 उद्योगों में दवा बनाने पर रोक लगा दी है। जिनमें बद्दी-बरोटीवाला व नालागढ़ (BBN) के 8 और सिरमौर के 2 उद्योग शामिल हैं। आपको बता दें की राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने रिस्क बेस्ड निरीक्षण के तीसरे चरण में सिरमौर, सोलन, बीबीएन, ऊनाकांगड़ा के दवा उद्योगों में कई अनियमितताएं पाई हैं। इनमें वे उद्योग भी शामिल हैं, जिनमें निर्मित दवाएं सीडीएससीओ की पड़ताल में बार-बार सबस्टैंडर्ड निकल रही हैं। जिस पर राज्य दवा नियामक की कार्रवाई से बेलगाम दवा निर्माताओ में अब हडक़ंप मच गया है। उल्लेखनीय है कि हिमाचल में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) व राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण द्वारा चिन्हित दवा निर्माण इकाइयों का तीसरे चरण का रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन किया जा रहा है।

वहीं स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल ने भी दवाइयों के सैंपल फेल होने पर ऐसे लोगों पर सख्ती बरतने को कहा है, क्योंकि हिमाचल में निर्मित दवाइयां न केवल देश
बल्कि विदेशों में भी सप्लाई की जाती हैं। जिससे हिमाचल
का नाम भी बदनाम हो रहा है ।
वहीं स्टेट ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह ने कहा कि क्वालिटी पर खरा नहीं उतरने की वजह से यह कार्रवाई की गई है। स्टेट ड्रग कंट्रोलर अथॉरिटी ने यह कार्रवाई नालागढ़ में स्थापित टेस्टिंग लैब में परीक्षण के बाद की है। इसमें टेस्टिंग के बाद ही दवाओं को बाजार में उतारा जाता है। आपको बता दें कि सितंबर माह में भी राज्य दवा नियामक ने हिमाचल की 12 प्राइवेट ड्रग टेस्टिंग लैब का निरीक्षण करते हुए सात लैब को अनियमितता पाए जाने पर बंद कर दिया था। उनमें से अभी तक तीन लैब ने ही कमियों को दूर किया है, जिनमें दोबारा से टेस्टिंग शुरू हो गई है, जबकि चार लैब अभी बंद हैं। गौरतलब है कि इन टेस्टिंग लैब में परीक्षण के बाद ही दवाओं को बाजार में उतारा जाता है। आरोप है कि कुछ लैब भ्रष्टाचार कर बिना टेस्टिंग के ही दवाओं को पास कर रही हैं। वही राज्य दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह ने कहा कि गुणवत्ता पूर्ण दवा निर्माण सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार दवा निर्माण में गुणवत्ता को लेकर जीरो टोलरेंस नीति के तहत कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन के तीसरे चरण में 10 दवा उद्योगों और एक लैब पर कार्रवाई की गई है।

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