सोलन : हिमाचल प्रदेश में गज़ब का व्यवस्था परिवर्तन है। राज्य सरकार ने केंद्र के नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के प्रोजेक्ट मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) एवं IAS अधिकारी को ही क्लीन-बोल्ड कर दिया है। सचिव स्वास्थ्य द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक MD को NHM की प्रोग्राम कमेटी में जगह नहीं दी गई। एक तरह से प्रोजेक्ट डायरेक्टर का रोल ही खत्म कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के सचिव को चेयरमैन बनाया गया। स्वास्थ्य विभाग के जॉइंट/डिप्टी डायरेक्टर को मेंबर सेक्रेटरी तथा संबंधित प्रोग्राम अधिकारी को कमेटी का मेंबर बनाया गया,जबकि यह प्रोग्राम भारत सरकार का है।
प्रोजेक्ट के सभी राष्ट्रीय कार्यक्रम स्वास्थ्य विभाग के जॉइंट व डिप्टी डायरेक्टर के बीच हेल्थ डायरेक्टर द्वारा विभाजित किए जाएंगे। इसी तरह अब संबंधित प्रोग्राम ऑफिसर द्वारा कोई भी नया प्रपोजल मेंबर सेक्रेटरी के माध्यम से चेयरमैन को भेजा जाएगा। सरकार के इन आदेशों के बाद NHM डायरेक्टोरेट में हड़कंप मच गया है। सूत्रों की माने तो यह मामला मुख्य सचिव के ध्यान में लाया जा चुका है, क्योंकि भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार, NHM के MD प्रोजेक्ट प्रमुख है। इनकी अनदेखी अपने आप में कई तरह के सवाल खड़े कर रही है।
केंद्र के निर्देशानुसार, NRHM में मिशन डायरेक्टर IAS अधिकारी को लगाया जाता है। सुक्खू सरकार ने मई महीने में ही IAS हेमराज बैरवा को बदलकर सुदेश कुमार मोक्टा को NHM में प्रोजेक्ट डायरेक्टर लगाया है। अब तक इस प्रोजेक्ट में मिशन डायरेक्टर ही सर्वेसर्वा रहे हैं। NRHM भारत सरकार का स्वास्थ्य सुधार कार्यक्रम है। इसके तहत प्रदेश में 18 से 20 कार्यक्रम चल रहे है। 80 फीसदी से ज्यादा कार्यक्रम NHM द्वारा रन किए जा रहे है। इस प्रोग्राम के अंतर्गत हिमाचल को हर साल लगभग 600 करोड़ रुपए का बजट मिलता है। इससे विभिन्न प्रोग्राम का कार्यान्वयन, दवाईयों व उपकरणों की खरीद इत्यादि की जाती है। अब सवाल उठने लगे है कि आखिर प्रदेश में ऐसा क्यों और किन अधिकारियों के इशारे पर किया गया।