



दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे. वर्चुअल होने वाले इस शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अलावा रूस की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल होंगे. इनके साथ ही संगठन के अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधि में समित में शामिल होंगे. इस समित में सभी नेता क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और व्यापार जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करेंगे. नए सदस्य के रूप में ईरान भी पहली बार इस सम्मेलन में शिरकत करेगा. बता दें कि ये पहली बार है जब भारत एससीओ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है.
इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
सूत्रों के मुताबिक, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति, यूक्रेन संघर्ष और एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग, संपर्क और व्यापार बढ़ाने पर भी चर्चा होने की उम्मीद की जा रही है. बता दें कि भारत पहली बार एससीओ के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है. इससे पहले भारत ने मई 2023 में गोवा में हुए दो दिवसीय सम्मेलन में एससीओ के विदेश मंत्रियों की मेजबानी भी की थी. बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा गुट है जो दुनिया के सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में उभरा है.
2001 में हुई थी शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना
बता दें कि 22 साल पहले यानी 2001 में शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना हुई थी. जिसे रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने शंघाई में एक शिखर सम्मेलन के दौरान स्थापित किया गया था. इसके बाद साल 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसके स्थायी सदस्य बने. उससे पहले भारत को 2005 में एससीओ में एक पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल किया गया था और समूह की मंत्री स्तरीय बैठकों में भी शामिल हुआ था. जिसका मुख्य उद्देश्य यूरेशियन क्षेत्र में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग था.
रूस में वैगनर विद्रोह के बाद पुतिन की पहली बहुपक्षीय समिट
बता दें कि पिछले सप्ताह रूस में वैगनर आर्मी के विद्रोह के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहली बार किसी बहुपक्षीय समिट में शामिल हो रहे हैं. इस समित में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के जुड़ेंगे. जिससे पाकिस्तान के कई नेता भारत से सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं. क्योंकि इनदिनों पड़ोसी देश बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है. बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन का शिखर सम्मेलन तीन साल पहले पूर्वी लद्दाख में सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लड़ाई के बाद से चले आ रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि और पीएम मोदी के हाल के अमेरिकी दौरे के एक सप्ताह बाद होने जा रहा है.