



लाइव हिमाचल/ठियोग : ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता विमल नेगी की मौत के मामले में भाजपा संगठनात्मक जिला महासू ने प्रदेश प्रवक्ता बलबीर वर्मा के नेतृत्व में ठियोग में कैंडल मार्च निकालकर प्रदर्शन किया। भाजपा ने इस मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की है। जिलाध्यक्ष अरुण फाल्टा ने बताया कि कैंडल मार्च में अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष राकेश डोगरा, अजय श्याम, शशि बाला, कौल नेगी, जिला के सभी मंडल अध्यक्षों सहित अन्य पदाधिकारी शामिल रहे। अखिल भारतीय विद्युत इंजीनियरिंग फेडरेशन के संरक्षक व ऊर्जा निगम के पूर्व प्रबंध निदेशक सुनील ग्रोवर ने हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम लिमिटेड (एचपीपीसीएल) के मुख्य अभियंता विमल नेगी मौत मामले की जांच कर रहे अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को शपथपत्र सौंपा। इसमें ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक आइएएस अधिकारी हरिकेश मीणा और ऊर्जा निगम के निलंबित निदेशक देसराज पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने शपथ पत्र में लिखा कि विमल नेगी ईमानदारी के लिए जाने जाते थे और हमेशा समर्पित और आज्ञाकारी कर्मचारी रहे। उन्होंने लिखा है कि विश्वसनीय स्रोतों से पता चला है कि पिछले छह माह से उन्हें एक दिन की भी छुट्टी नहीं दी गई थी। सुनील ग्रोवर ने 450 मेगावाट शोंगटोंग कड़छम एचईपी (किन्नौर जिले में निर्माणाधीन) और हाल ही में ऊना जिला में चालू की गई 32 मेगावाट पेखुबेला सौर ऊर्जा परियोजना की खामियों और अनियमितताओं को उठाया है। ग्रोवर ने जांच कमेटी को दिए शपथपत्र में “दैनिक जागरण” में प्रकाशित तरुण श्रीधर के आलेख का भी जिक्र किया है। ग्रोवर ने आरोप लगाया है कि लागत बढ़ाने के लिए डीपीआर में हेरफेर किया गया था। आश्चर्य की बात यह कि बोलियां भी उसी सीमा में थीं। परियोजना के लिए निविदाएं मार्च, 2023 में आमंत्रित की गई थीं और खोलने की तिथि चार अप्रैल, 2023 थी। उस समय, सौर पीवी माड्यूल की लागत 28 रुपये/किलोवाट प्रति यूनिट थी। ठेका दिए जाने के समय यानी 15 मई, 2023 को, कीमतों में 20 प्रतिशत की गिरावट आई थी और उसके बाद अगले 15 दिन में कीमतों में 50 प्रतिशत तक की कमी आई यानी लगभग 14 रुपये प्रति किलोवाट प्रति यूनिट, लेकिन एचपीपीसीएल ने इन तथ्यों पर विचार करते हुए दरों पर बातचीत नहीं की।
उच्चस्तरीय अधिकार समिति (एचएलपीसी) का गठन किया गया
एचपीपीसीएल ने 32 मेगावाट की यह सौर परियोजना 220 करोड़ रुपये की असाधारण रूप से अत्यधिक लागत पर प्रदान की, जिससे औसत दर 6.8 करोड़ प्रति मेगावाट हो गई, जबकि राष्ट्रीय औसत 3.5 से 4 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट है। आरोप है कि एक उच्चस्तरीय अधिकार समिति (एचएलपीसी) का गठन किया गया तथा उसे समय विस्तार (ईओटी) की सिफारिश करने के लिए बाध्य किया गया, जबकि प्रारंभिक रिपोर्टों में यह कहा गया था कि फर्म की ओर से देरी हुई थी।