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10वीं का Board Exam देने गई छात्रा ने दिया बच्चे को जन्म, प्रिंसिपल ने कहा- पता नहीं कैसे हुई प्रेग्नेंट

ओडिशा: ओडिशा के जाजपुर जिले में कक्षा 10 की एक छात्रा ने बुधवार को एक बच्ची को जन्म दिया, जिससे इलाके में सनसनी फैल गई. प्रशासनिक अधिकारियों ने गुरुवार को इस घटना की पुष्टि की है जिसके बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है. न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक परिवार के सदस्यों के अनुसार, छात्रा को बुधवार को अचानक पेट में तेज़ दर्द हुआ, जिसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया. अस्पताल में इलाज के दौरान उसने एक बच्ची को जन्म दिया. इसको लेकर अतिरिक्त जिला चिकित्सा अधिकारी (एडीएमओ) एके शर्मा ने बताया कि बच्ची के जन्म के बाद उसकी तबीयत ठीक नहीं थी, जिसके चलते उसे बाल रोग आईसीयू (पीडियाट्रिक आईसीयू) में भर्ती कराया गया. बाद में मां और नवजात दोनों को जाजपुर जिला मुख्यालय अस्पताल रेफर कर दिया गया. घटना के पहले छात्रा माध्यमिक परीक्षा दे रही थी और उसने पहले दो विषयों की परीक्षा दी थी. गुरुवार को उसे गणित की परीक्षा में बैठना था, लेकिन इसी बीच उसने बच्ची को जन्म दिया. जाजपुर जिला बाल संरक्षण अधिकारी (डीसीपीओ) निरंजन कर ने बताया कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि छात्रा नाबालिग है या बालिग. ‘हम छात्रा की जन्मतिथि की पुष्टि के बाद ही उसकी उम्र के बारे में कुछ कह सकते हैं। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ओडिशा के मलकानगिरी जिले के चित्रकोंडा क्षेत्र में भी ऐसा ही मामला सामने आया था. वहां, अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा संचालित एक आवासीय बालिका विद्यालय की एक छात्रा ने छात्रावास में ही एक बच्ची को जन्म दिया था. वह भी माध्यमिक परीक्षा में शामिल थी. इस घटना के सामने आने के बाद शिक्षा और बाल संरक्षण विभाग में हड़कंप मच गया है. प्रशासनिक अधिकारी इस मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं. यदि छात्रा नाबालिग पाई जाती है, तो यह मामला यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दर्ज किया जा सकता है। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने कहा, “आदिवासी समुदाय से आने वाली 10वीं की छात्रा छात्रावास में रहती है, वह परीक्षा देने जाती है और एक बच्चे को जन्म देती है। यह राज्य और प्रशासन के लिए शर्मनाक बात है। प्रशासन के लोग हर महीने जाते हैं, स्कूल में बच्चों से बात करते हैं। आदिवासी बच्चों के स्कूलों का दौरा करना उनकी जिम्मेदारी है। आदिवासी स्कूलों और समुदायों से जुड़े अधिकार राज्यपाल के पास हैं। इसलिए राज्यपाल को आदिवासी बच्चों के पालन-पोषण की समीक्षा करनी चाहिए। एक निगरानी व्यवस्था है। विधानसभा में एससी एसटी समिति है, जिसे स्कूलों का दौरा करना चाहिए। भाजपा सरकार में, जब एक आदिवासी समुदाय की महिला राष्ट्रपति है और एक आदिवासी हमारा सीएम है, तो हम आदिवासी बच्चों के प्रति ऐसी लापरवाही की कड़ी निंदा करते हैं। छात्रा के माता-पिता ने स्कूल प्रशासन से जानना चाहा कि प्रसव पीड़ा शुरू होने तक उसके गर्भवती होने की बात कैसे छिपी रही। जिला कल्याण अधिकारी श्रीनिवास आचार्य ने कहा कि छात्रा संभवत: छुट्टियों में घर जाने के दौरान गर्भवती हो गई होगी। उन्होंने आगे बताया कि मामले की विभागीय जांच शुरू कर दी गई है और पुलिस ने छात्रा को गर्भवती करने के संदेह में एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है।

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