



Javed akhtar 79 Birthday: जावेद अख्तर जब नेहरू से अपनी पहली मुलाकात से जुड़ा किस्सा याद कर रहे थे तो उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी. वैसे तो ये किस्सा 77 साल के हो चुके जावेद के स्कूल के दिनों का है. लेकिन इस किस्से से जावेद समय के बदलने की गवाही देते हैं. वे कहते हैं कि जनाब वो भी क्या जमाना था जब पीएम के पास तक कोई भी शख्स आसानी से जा सकता था. और ये भी एक जमाना है.
जावेद अख्तर की जिंदगी पर लिखी किताब ‘जादूनामा’ 9 जनवरी को लॉन्च हुई. इस किताब को अरविंद मंडलोई ने लिखा है. इसी के चलते जावेद अख्तर, अरविंद मंडलोई के साथ दी लल्लनटॉप के स्पेशल शो गेस्ट इन द न्यूजरूम में आए. जावेद अख्तर ने अपनी किताब, जिंदगी और सिनेमा से जुड़े अनसुने किस्से सुनाए. यहीं उन्होंने अपने स्कूल के दिनों में पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़ा ये किस्सा याद किया.
जावेद बताते हैं,
“ये उन दिनों की बात है जब हम अलीगढ़ के मिंटो सर्कल स्कूल में पढ़ते थे. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी की नींव रखने के लिए तबके प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू आ रहे थे. तो यूनिवर्सिटी वालों ने अपने यहां के बच्चों के अलावा बाहर से भी कुछ बच्चे राष्ट्रगान के लिए बुलाए. हमारे स्कूल ने मुझे और मेरे दोस्त फरहान को इसके लिए चुना. हम राष्ट्रगान गाने वाले थे, इसीलिए हम स्टेज के पास थे, VVIP के आने-जाने के लिए जो जगह थी वो भी वहीं थी.
जब नेहरू आए तो वे स्टेज पर स्पीच देने लगे. फिर स्पीच के बाद जब वे VVIP गेट के पास अपनी गाड़ी पर पहुंचे तो मैं ऊधर भागा. मुझे पता था कि वहां ऑटोग्राफ लेना मना है, क्योंकि इतनी भीड़ में अफरातफरी भी मच सकती है. लेकिन फिर भी मेरे जेब में मेरी ऑटोग्राफ बुक तैयार थी. मैं नेहरू जी की गाड़ी के पास पहुंचा और गाड़ी के फुट बोर्ड पर चढ़कर ऑटोग्राफ बुक से निकालकर एक पन्ना उन्हें दे दिया.”
जावेद बताते हैं कि उनके पड़ोस में एक बच्ची आपा रहती थीं. जिन्होंने जावेद अख्तर को एक पेपर पर नेहरू की फोटो के साथ तिरंगा पेंट करके दिया था. जावेद अख्तर ने बताया कि उन्होंने जब पन्ना दिया तो नेहरू एक सेकेंड को तो चौक गए, लेकिन फिर उन्होंने देखा कि पेपर पर तिरंगा बना है और उनकी तस्वीर है. तो नेहरू जी ने जेब से पेन निकाला और ऑटोग्राफ दे दिया. जावेद ये किस्सा सुनाते हुए सवाल करते हैं,
“उस जमाने में अलीगढ़ में मैं अकेला ही ऐसा शख्स था जिसके पास पीएम का ऑटोग्राफ रहा हो. अब वो भी एक जमाना था, क्या आज के समय में कोई ऐसे पीएम के पास जा सकता है?”
जावेद उस दिन को याद करते हुए कहते हैं कि मैं कोई 13 साल का रहा होऊंगा. अब उस समय कोई ऐसे पीएम की गाड़ी के पास जा सके, कोई खास सुरक्षा नहीं, कोई पीछे खींचने वाला नहीं लेकिन अब तो जमाना बदल गया है. जावेद कहते हैं कि आज तो ऐसा सोचना भी असंभव है.