दिल्ली : पाकिस्तान की आईएसआई (ISI) कश्मीर में आतंकवाद को फिर से जिंदा करने के काम में जुटी है। जी-20 सम्मेलन (G-20 Summit) के सफलतापूर्वक आयोजन के बाद आईएसआई व पाकिस्तान आर्मी बौखलाई हुई है। घाटी में अल्पकाल के लिए आतंकवादी घटनाओं पर अंकुश लग गया था, मगर आईएसआई फिर से घाटी के युवाओं को बरगला रही है। अनंतनाग (Anantnag) के कोकरनाग (Kokarnag) में एक स्थानीय युवक उजैर खान आर्मी अफसरों व जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अफसर को निशाना बनाने में ऑपरेशन को लीड कर रहा था। यही नहीं, आर्मी व जे एंड के पुलिस को उनके स्थानीय इंफॅार्मर ने भी गुमराह किया। गलत सूचना से ऑफिसर उनके ट्रैप में फंस गए, जिसकी परिणीती स्वरूप तीन अधिकारी शहीद हो गए।
डर इस बात का भी है कि पाकिस्तान के साथ इस छदम युद्ध में चीन ने भी उसके साथ पूरी तरह से हाथ मिला लिया है। बीते दिनों बारामुला के उरी सेक्टर में मारे गए आतंकवादियों के पास से जितने हथियार मिले, वो सभी मेड इन चाइना (Made in China) थे।
1990 के दशक की मॉडस ऑपरेंडी…
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई कश्मीर में आतंकवादियों को धकेलने के लिए 1990 की नीति अपना रही है। घुसपैठ के लिए पुंछ व राजौरी जिलों के जंगलों में आतंकवादी पनाह ले रहे हैं। यहां घने जंगलों में पत्थर की बड़ी-बड़ी गुफाएं हैं, जिससे आतंकवादी घात लगाकर सेना को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
कहीं-कहीं उग्रवादी आईईडी ब्लास्ट (IED Blast) से तो कहीं घने जंगलों की चोटियों से आर्मी के सर्च ऑपरेशन पार्टियों पर हमला कर रहे हैं। अनंतनाग व शोपियां को अलग करने वाली पीर पंजाल रेंज (Pir Panjal Range) के घने जंगलों में सैंकड़ों घुसपैठिए आतंकवादी वारदातों को अंजाम देने के लिए सक्रिय हैं, जो भारतीय सुरक्षा बलों के लिए खतरे की घंटी है।
इस छदम युद्ध में पाकिस्तान आतंकवाद की आग को भड़काने के लिए अब ड्रग्स व हथियारों की खेप भी कश्मीर में पहुंचा रहा है। युद्ध क्षेत्रों व आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने वाली पत्रिका ‘ग्लोबल वॉच एनालिसिस’ (‘Global Watch Analysis’) में रोलेंड जैकार्ड लिखते हैं कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद व हिजबुल आतंकी संगठनों के कई लॉन्च पैड पर पाक अधिकृत कश्मीर में नए आतंकवादियों को कश्मीर में घुसपैठ के लिए तैयार किया जा रहा है।
इस छदम युद्ध में पाकिस्तान आतंकवाद की आग को भड़काने के लिए अब ड्रग्स व हथियारों की खेप भी कश्मीर में पहुंचा रहा है। युद्ध क्षेत्रों व आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने वाली पत्रिका ‘ग्लोबल वॉच एनालिसिस’ (‘Global Watch Analysis’) में रोलेंड जैकार्ड लिखते हैं कि लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद व हिजबुल आतंकी संगठनों के कई लॉन्च पैड पर पाक अधिकृत कश्मीर में नए आतंकवादियों को कश्मीर में घुसपैठ के लिए तैयार किया जा रहा है।
इसके साथ कश्मीर में नार्को आतंकवाद भी चलाया जा रहा है। इस समय पीओके (POK) में 140 से 145 आतंकी इन कैंपों में मौजूद हैं, जो कश्मीर में घुसने के लिए सर्दी के मौसम का इंतजार कर रहे हैं। पीओके में करीब 18 आतंकी केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें मुजफराबाद, नीलम घाटी, खानिम, मकरी और नियाजपुरा के पास कुछ महीनों पहले नए आतंकी कैंप शुरू हुए हैं। अनंतनाग में हुए हमले में पीओके से आदेश मिलने की बात भी सामने आई है।
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार हुर्रियत नेता सैय्यद अली शाह गिलानी की मौत के बाद से घाटी में आतंकवाद को पनाह देने वाला कोई भी व्यक्ति नहीं बचा था। सेना की सख्ती से कश्मीर घाटी में इनके कैंप लगभग समाप्त हो गए हैं। खुफिया एजेंसियों की सूचना के अनुसार आतंकी संगठनों के नाम भी बदले जा रहे हैं, जिसमें रजिस्टेन्स फ्रंट, द ट्रिपल एंटी फासिस्ट फोर्स, कश्मीर टाइगर्स व कश्मीर जांबांज फोर्स जैसे कुछ और स्थानीय लड़कों के आतंकी संगठन तैयार किए गए हैं।
आधुनिक हथियारों से लैस करने के अलावा पाक खुफिया एजेंसी घाटी के जंगलों में सक्रिय आतंकवादियों को ड्रोन के माध्यम से भी हथियार सप्लाई कर रही है। डिजिटल मैप (Digital Map) जैसे आधुनिक उपकरण उग्रवादी प्रयोग कर रहे हैं। सुरक्षा बलों को अपने इंफॉर्मर की भी नई फौज तैयार करनी पड़ रही है, क्योंकि कोकरनाग में हुई घटना में एक स्थानीय इंफॉर्मर ने गलत सूचना देकर गुमराह किया।
अब भारतीय खुफिया एजेंसियों को भी दोबारा से सक्र्रिय होना पड़ेगा। साथ ही विश्वसनीय नेटवर्क स्थापित करने के लिए नए सिरे से कोशिश करनी होगी।