शिमला: रामपुर भारी बारिश का कहर…बादल फटने से तीन घरों को पहुंचा नुकसान

रामपुर : शिमला जिला के उपमंडल रामपुर में भारी बारिश का कहर लगाता जारी है। भारी बारिश के बीच कंधार गांव डाकघर सरपारा तहसील रामपुर में बादल फटने की खबर है। बादल फटने से वह तीन घर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। खबर के मुताबिक सुरेंद्र कुमार पुत्र विजय नंद,  मोहन पुत्र बाला नंद, नरेंद्र पुत्र कमलानंद इन तीन लोगों के घर बुरी तरह से तहस-नहस हो गए।

बादल फटने के चलते प्राथमिक पाठशाला भवन, महिला मंडल भवन, युवक मंडल भवन भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। अभी तक मिली जानकारी के अनुसार 15/20 भेड़ बकरियां व 7/8 गाय भी बह गईं व अभी तक किसी व्यक्ति के जानी नुकसान नहीं होने की सूचना है। पुलिस व प्रशासन मौका के लिए रवाना हो गया है।

सोलन : कारगिल विजय दिवस के अवसर पर शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित…

सोलन : उपायुक्त सोलन मनमोहन शर्मा ने आज कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ के अवसर पर कारगिल शहीद स्मारक पर शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं इस दौरान डीसी सोलन मनमोहन शर्मा ने इस कहा कि कारगिल विजय दिवस भारतीय सेना के वीर जवानों की बहादुरी, शौर्य और पराक्रम को याद करने का दिवस है। उन्होंने कहा कि यह दिवस असंख्य वीरों की वीरगति के उपरांत कारगिल जीत की स्मृति की याद दिलवाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को पूरे विश्व में अपनी बहादुरी, समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा के लिए जाना जाता है। भारतीय सेना ने विषम परिस्थितियों में भी सदैव जीत का ही वरण किया है। आज के दिन हम सभी भारतीय सेना को सच्चे हृदय से नमन करते हैं।

उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 जवानो ने अपने जीवन का बलिदान देकर राष्ट्र की अस्मिता की रक्षा की। भारतीय सेना के असंख्य शहीदों को यही सच्ची श्रद्धाजंलि होगी कि हम सभी अपना कार्य समर्पण और ईमानदारी से पूर्ण करे।

उपायुक्त ने विश्वास दिलाया कि ज़िला प्रशासन सदैव ज़िला के पूर्व एवं सेवारत सैनिकों तथा उनके परिजनों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस अवसर पर उपायुक्त मनमोहन शर्मा ने उपस्थित लोगों को देश के गौरवमय इतिहास की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा भी दिलवाई। नगर निगम की महापौर पूनम ग्रोवर, नगर निगम सोलन के पार्षदगण, जोगिन्द्रा सहकारी बैंक के अध्यक्ष मुकेश शर्मा, पुलिस अधीक्षक सोलन गौरव सिंह, अतिरिक्त उपायुक्त अजय यादव, उपमण्डलाधिकारी सोलन कविता ठाकुर, सेवानिवृत्त कर्नल सुरेश कुमार अग्निहोत्री सहित वरिष्ठ नागरिक एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा पूर्व सैनिक इस अवसर पर उपस्थित थे। इस अवसर पर ज़िला के सभी उपमण्डलों एवं विकास खण्डों में शहीद सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित किए गए और शपथ भी दिलाई गई।

Kargil Vijay Diwas: Kargil युद्ध में बेटा हुआ था शहीद, आज भी माँ निकालती है उसके नाम का खाना

KARGil विजय दिवस : 26 जुलाई की तारीख हर साल करगिल विजय दिवस के रूप में याद की जाती है. इन दिन करगिल युद्ध में देश के कई जांबाज अपने वतन पर मर मिटे थे. आज हम आपके लिए एक ऐसे ही बलिदानी बेटे उदय मान सिंह की कहानी लेकर आए हैं, जिसकी मां आज भी उसके नाम का खाना निकालती है. उदयमान का जन्म जम्मू-कश्मीर के शामा चक्क में 1978 को ओंकार सिंह और कांता देवी के परिवार में हुआ था. उनकी दो बड़ी बहनों के छोटे भाई थे. 

शहीद बेटे के लिए मां आज भी निकालती है खाना

उदय मान बचपन से ही सेना में सेवा करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की और अठारह साल की उम्र में अपना लक्ष्य हासिल कर लिया. जानकारी के मुताबिक वो 26 अगस्त, 1996 को भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. ट्रेनिंग समाप्त होने पर उन्हें 18 ग्रेनेडियर यूनिट में तैनाती मिली थी. जिस वक्त उनको पोस्टिंग मिली उस दौरान उनकी यूनिट गंगानगर में थी. इसके बाद उनकी यूनिट को कश्मीर भेजा गया था.

कारगिल युद्ध के बलिदानी उदय मान सिंह की शौर्य गाथा

कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें 4 जुलाई, 1999 को पाकिस्तानी फौज को रोकने की जिम्मेदारी दी गई थी. उनकी यूनिट को दो अन्य बटालियनों के साथ टाइगर हिल पर दोबारा कब्जा करना था. इसके लिए उदय अपनी यूनिट के साथ रात के अंधेरे में रस्सियों की मदद से दुर्गम चढ़ाई चढ़कर चोटी तक पहुंचे, और पांच जुलाई की सुबह विरोधियों से सीधा मुकाबला किया. इसी दौरान एक गोली उदय के सीने में लगी और वो शहीद हो गए थे.

उदय मान सिंह की मां जैसा ही है प्रेमपाल सिंह की मां का हाल

ग्रेनेडियर उदयमान सिंह की मां की तरह कागरिल युद्ध में वतन पर मर मिटने वाले प्रेमपाल सिंह की याद में उनकी मां वीरवती देवी हर रोज अपने बेटे के लिए दोनों वक्त खाने की थाली परोसती है. उनका मानना है कि उनका बेटा प्रेमपाल आज भी जिन्दा है. प्रेमपाल का जन्म अलीगढ़ की इगलास तहसील में गोरई क्षेत्र के गांव खेमकवास में हुआ था.प्रेमपाल सिंह का साहस और पराक्रम के किस्से आज भी लोग अपनी जुबान पर रखते हैं.

कारगिल युद्ध के शहीदों ने जिस तरह से मातृभूमि का कर्ज अपने प्राण देकर चुकाया. उसे न तो भारत मां भूलेगी और न ही जन्म देने वाली उनकी मां. भारत के वीर शहीदों को शत्-शत् नमन.

लोकसभा में मणिपुर पर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी:स्पीकर बोले- सभी दलों से बातचीत के बाद इस मसले पर बहस का वक्त तय करेंगे

दिल्ली : लोकसभा में आज बुधवार को कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने मंजूरी दे दी है।  कांग्रेस मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा चाहती है। पार्टी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मसले पर सदन में जवाब देना चाहिए। स्पीकर ने … Read more

मेरा माइक बंद कर दिया, मेरे सेल्फ रिस्पेक्ट को तोड़ा.. मेरा अपमान हुआ, जब राज्यसभा में भड़के मल्लिकार्जुन खरगे

. राज्यसभा में आज भी मणिपुर के मुद्दे पर जमकर शोरशराबा हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सदन में उनका अपमान हुआ है।

दिल्ली : संसद के मॉनसून सत्र में मणिपुर के मुद्दे को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच जमकर हंगामा हो रहा है। आज भी राज्यसभा में कुछ ऐसा ही नजारा था। विपक्ष के ‘धोखेबाज’ कहने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भड़क गईं। उन्होंने विपक्ष पर ताबड़तोड़ हमला किया। इसी बीच, सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने भी खुद के अपमान का मुद्दा उठाया। खरगे ने निर्मला के आरोप पर बोले कि इसीलिए मैं ये सोचकर उठा था कि मुझे मौका मिलेगा बात करने के लिए। मैं पूरे अपने इशूज को सदन के सामने रख रहा था, जब 50 लोग 267 पर बहस के लिए तैयार थे, उसपर सहमति थी लेकिन मुझे बोलने का मौका नहीं मिला। जब मैं बोल रहा हूं और अचानक मेरा माइक बंद करना, ये मेरा प्रिवलेज है, आपने प्रिवलेज को धमकाया, मेरा अपमान हुआ है। मेरे रेस्पेक्ट को आपने सेल्फ रेस्पेक्ट चैलेंज किया। अगर सरकार के इशारे पर अगर सदन चला तो मैं समझूंगा कि लोकतंत्र नहीं है। हालांकि खरगे के ये बोलने के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा।

हार्ट अटैक की स्थिति में CAB फॉर्मूला से ऐसे बचाई जा सकती है जान, जानिए ?

CAB For Heart Attack: हार्ट अटैक इस दौर में बड़ी समस्या बन गई है. इसके पीछे का कारण है खराब खानपान और खराब लाइफ़स्टाइल. क्योंकि पहले हार्ट अटैक जैसी बीमारी बड़े बुजुर्गों में हुआ करती थी लेकिन आज नौजवान भी इससे दो-चार हो रहे हैं. हर रोज अचानक से हार्ट अटैक से मौत की खबर आती है. कोई जिम में एक्सरसाइज करते समय अटैक का शिकार हो जाता है तो कोई घर में चलते फिरते हार्ट अटैक का शिकार हो जाता है. लेकिन अगर तुरंत ही मरीज को इलाज मिल जाए तो इससे जान बचाई जा सकती है.डॉक्टर के मुताबिक ऐसे मरीज को CAB दे दिया जाए तो जान बचाई जा सकती है.जानते हैं क्या है CAB फॉर्मूला…

क्या है CAB फॉर्मूला ?

हार्ट अटैक एक मेडिकल इमर्जेंसी है. रिपोर्ट की माने तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण 50 फ़ीसदी मरीज हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही जान गंवा देते हैं. क्योंकि मरीजों को हार्टअटैक आने के बाद फर्स्ट एड नहीं मिल पाता है. कई बार मरीज को ऐसी जगह पर हार्ट अटैक स्ट्रोक आ जाता है जहां पर ना तो कोई डॉक्टर मौजूद होता है और ना ही आसपास में अस्पताल मौजूद होता है. ऐसी स्थिति में सीएबी फॉर्मूले से मरीज की जान बचाई जा सकती है. इस फार्मूले के बारे में हर किसी को जानकारी होनी चाहिए. सीएबी फार्मूला मरीज के हार्ट में ब्लड फ्लो बढ़ाने के लिए मदद की जाती है. मरीज को स्ट्रोक या हार्ट अटैक आने की स्थिति में उसके मस्तिष्क तक ब्लड पंप करने के लिए छाती के बीच में 1 मिनट के अंदर 100 से 120 बार दबाव डालना होता है.कंप्रेशन देने के लिए दोनों हाथ मरीज के चेस्ट पर रखें अपने पूरी बॉडी वेट के साथ जस्ट पर प्रेशर दें. जो लोग इस में माहिर नहीं है वह तब तक कंप्रेशन दें. जब तक कि मरीज को मदद नहीं मिल जाती.ब्रीदिंग में पीड़ित की नाक बंद कर मूंह से सांस दें. यह फार्मूला सीपीआर जैसा ही है.

भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों का आंकड़ा

भारत में हार्ट अटैक से मरने वालों में 10 में से 4 की उम्र 50 साल से कम है. वहीं 10 साल में भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतें करीब 75 फ़ीसदी तक बढ़ गई है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत में होने वाली हर 100 में से 28 मौत का कारण दिल से जुड़ी बीमारियां ही है.बता दें कि जब हार्ट तक सही मात्रा में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो पाती है, तो हार्ट के टिशूज पर गहरा असर पड़ता है. इस वजह से मरीज को हार्टअटैक की समस्या होती है. हार्ट अटैक आने से पहले मरीज को कई तरह की परेशानियां होती है. जैसे सीने में बहुत ज्यादा दर्द, सांस लेने में तकलीफ और घबराहट, पसीने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

जुन्गा स्कूल में मनाया गया अलंकरण समारोह, नवनिर्वाचित विद्यार्थी परिषद सदस्यों को किया सम्मान

शिमला : राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला जुन्गा में नवनिर्वाचित विद्यार्थी परिषद के लिए अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया। सेवानिवृति विपणन अधिकारी एवं अध्यक्ष कांग्रेस सेवादल शक्त राम कश्यप ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्कूली छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। इस मौके पर नवनिर्वाचित विद्यार्थी परिषद के सदस्यों को 12वीं की छात्रा तनु ने शपथ दिलाई। तदोपरांत मुख्य अतिथि और प्रधानाचार्य सुमन चंदेल ने नवनिर्वाचित विद्यार्थी परिषद के सदस्य हेड ब्वॉय सूर्यांश, हेड छात्रा तनु, अनुशासन कैप्टन रोहन और भूमिका, सांस्कृतिक कैप्टन तनवी और गुंजन, स्पोर्ट्स कैप्टन सिद्धार्थ और स्मृति, बैंड कैप्टन सुजल को बैज लगाकर सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त सदन के सभी कैप्टन महक, तनीश, कीर्ति और कशिश और कक्षा मॉनिटर महक, नंदिनी, दिव्यांश, सृष्टि, सिमरन, जानवी और खुशबू को भी सम्मानित किया गया।

इससे पहले प्रधानाचार्य सुमन चंदेल ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और नवनिर्वाचित सदस्यों को अपनी शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों का उत्साहवर्धन होता है। वहीं बच्चों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

कार्यक्रम में एसएमसी अध्यक्ष पवन कुमार शर्मा, स्कूल के सभी शिक्षक एवं गैर शिक्षक वर्ग, एसएमसी के सभी सदस्य एवं पाठशाला के बच्चो ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। स्कूली छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करके कार्यक्रम को आकर्षक बनाया। हिंदी प्रवक्ता जीत राम ने मंच संचालन करके कार्यक्रम को रोचक बनाया गया।

 

Kargil Vijay Diwas: हर कदम बिखरा के अपना खून, अपनी बोटियां, जब शहीदों ने बचाई कारगिल की चोटियां

सोलन : विख्यात शायर अमर सिंह फिगार ने कारगिल शहीदों को बेहद मार्मिक शब्दों में याद किया है. उनकी रचना में दर्ज है- हर कदम बिखरा के अपना खून, अपनी बोटियां, जब शहीदों ने बचाई कारगिल की चोटियां…कारगिल की चोटियों में भारतीय सेना का शौर्य लहू के रूप में अनंतकाल तक चमकता रहेगा. कारगिल की इन्हीं चोटियों में हिमाचल के वीर बलिदानियों की शौर्य गाथा भी पत्थरों पर अमिट छाप के साथ-साथ यहां की मिट्टी के एक-एक कण में लिपटी हुई है. हिमाचल के वीर मेजर परमवीर चक्र विजेता सोमनाथ शर्मा ने जिस परंपरा की नींव रखी थी, उसे कैप्टन विक्रम बत्रा, राइफलमैन संजय कुमार (अब सूबेदार मेजर) जैसे वीरों ने अभेद मजबूती प्रदान की है. कारगिल विजय दिवस पर हिमाचल के वीरों की स्मृति बरबस ही हो आती है. देश अपने वीरों को लेकर किस कदर भावुक हो जाता है, उसकी बानगी हाल ही में मिली.

इंडिगो की फ्लाइट से परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर संजय कुमार पुणे की यात्रा पर थे. जहाज के क्रू ने संजय कुमार की मौजूदगी को अपना सम्मान मानते हुए यात्रियों को उनका परिचय दिया कि आज हमारे साथ भारत के महान सपूत यात्रा कर रहे हैं. सूबेदार मेजर संजय कुमार के सम्मान में यात्रियों ने करतल ध्वनि की. ट्विटर पर इंडिगो ने इससे जुड़ा वीडियो साझा किया तो यूजर्स ने बहुत भावुक कमेंट किए और पीवीसी संजय कुमार को सैल्यूट किया. ये दिखाता है कि भारतवासी अपने वीरों का दिल से सम्मान करते हैं. आइए, कारगिल के वीर सपूतों को आदर के साथ याद करते हैं. वर्ष 1999 में नापाक फौज ने भारत की वीरता को ललकारा था. भारतीय सेना ने दुश्मन को करारा जवाब देकर वो सबक सिखाया, जिसे पाकिस्तान हमेशा याद रखेगा. दुनिया के सबसे कठिन पहाड़ों पर हुए इस युद्ध में भारत के हर प्रांत के वीरों ने अपने अतुल्य साहस और युद्ध कौशल से दुश्मन को नाकों चने चबवाए थे. देश को पहला परमवीर देने वाले हिमाचल के सपूतों ने भी अपना लहू मातृभूमि को अर्पित किया. युद्ध के मैदान से बलिदानी सैनिकों की पवित्र देह आती तो, हजारों नम आंखें उन्हें आदरांजलि देने के लिए उमड़ पड़ती. युद्ध के दौर में ऐसा ही एक मार्मिक दृश्य शिमला में देखने को मिला. शिमला के रिज मैदान पर हजारों की भीड़ के बावजूद गहरी खामोशी थी. शिमला जिला के यशवंत सिंह रणभूमि में भारत मां पर बलिदान हुए थे. उनका पवित्र पार्थिव शरीर शिमला के रिज मैदान पर देशवासियों के दर्शन के लिए रखा था. हजारों की भीड़ नम आंखों से खामोश होकर अपने वीर सपूत का अंतिम दर्शन करने कतार में खड़ी थी. इस युद्ध में हिमाचल के दो शूरवीरों को परमवीर चक्र मिला. कैप्टन विक्रम बत्रा और राइफलमैन संजय कुमार. विक्रम बत्रा ने तो सर्वोच्च बलिदान देकर खुद को आकाश में अमिट सितारे के रूप में प्रतिष्ठित कर लिया, लेकिन राइफलमैन संजय कुमार (अब सूबेदार मेजर) कारगिल युद्ध की गाथा सुनाने के लिए हम सबके बीच मौजूद हैं.

क्रम बत्रा का अदम्य साहस देख थर्राया पाकिस्तान: इसी युद्ध में हिमाचल के 52 जांबाजों ने अपने प्राण मातृभूमि की सेवा में अर्पित किए थे. महान योद्धा कैप्टन विक्रम बत्रा का अदम्य साहस देखकर नापाक दुश्मन थर्रा गया था. इन्हीं विक्रम बत्रा के लिए तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने कहा था-काश! कैप्टन बत्रा बलिदान न होते तो देश को सबसे युवा सेना अध्यक्ष बनते. संजय कुमार के साहस की कहानियां देश के हर निवासी को प्रेरित करती है. इस युद्ध में भारत मां को प्राणों की बलि देने वाले हिमाचल के 52 वीर सपूत थे. कैप्टन बत्रा भारतीय सेना के ताज में जड़े बेमिसाल हीरों में से एक हैं.

विक्रम ने साथियों संग प्वॉइंट 5140 की चोटी पर किया कब्जा: हिमाचल में कांगड़ा जिला के पालमपुर के गांव घुग्गर में 9 सितंबर 1974 को विक्रम बत्रा का जन्म हुआ था. बचपन में पिता से अमर शहीदों की गाथाएं सुनकर विक्रम को भी देश की सेवा का शौक पैदा हुआ. वर्ष 1996 में वे मिलेट्री अकादमी देहरादून के लिए सिलेक्ट हुए. कमीशन हासिल करने के बाद उनकी नियुक्ति 13 जैक राइफल में हुई. जून 1999 में कारगिल युद्ध छिड़ गया. ऑपरेशन विजय के तहत विक्रम बत्रा भी मोर्चे पर पहुंचे. उनकी डैल्टा कंपनी को प्वॉइंट 5140 को कैप्चर करने का आदेश मिला. दुश्मन सेना को ध्वस्त करते हुए विक्रम बत्रा और उनके साथियों ने प्वॉइंट 5140 की चोटी को कब्जे में कर लिया. इस महान नायक ने युद्ध के दौरान कई दुस्साहसिक फैसले लिए.

जुलाई 1999 की 7 तारीख थी. कई दिनों से मोर्चे पर डटे विक्रम को उनके ऑफिसर्स ने आराम करने की सलाह दी थी, लेकिन वे नहीं माने. इसी दिन वे प्वॉइंट 4875 पर युद्ध के दौरान मां भारती पर बलिदान हो गए. सर्वोच्च बलिदान देने से पहले वे भारतीय सेना के समक्ष आने वाले सारे अवरोध दूर कर चुके थे. युद्ध के दौरान उनका नारा ये दिल मांगे मोर था, जिसे उन्होंने सच कर दिखाया. वहीं, बिलासपुर जिला के बकैण गांव के संजय कुमार ने भी करगिल युद्ध में अदम्य शौर्य दिखाया. करगिल की प्वॉइंट 4875 चोटी पर पाकिस्तान ने भारतीय सेना के इस योद्धा का साहस देखा. संजय का सामना पाकिस्तानी सैनिकों की ऑटोमैटिक मशीनगन से हो गया था. संजय कुमार ने निहत्थे ही उनकी मशीनगन ध्वस्त कर सैनिकों को मार गिराया था. संजय के साहस से घबराए पाकिस्तानी सैनिक अपनी यूनिवर्सल मशीनगन छोड़ कर भाग गए थे.

संजय कुमार को मिला परमवीर चक्र: 13 जैक राइफल के संजय कुमार को इस शौर्य के लिए परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया था. संजय कुमार 3 मार्च 1976 को जन्मे थे. वे आरंभ से ही भारतीय सेना का हिस्सा बनना चाहते थे. भारतीय सेना के महत्वपूर्ण नाम ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह कारगिल हीरो के नाम से चर्चित हैं. उन्होंने कठिन समय में अपने वीरों को प्रेरित कर पाकिस्तानी सेना को सबक सिखाया. खुशाल ठाकुर कारगिल युद्ध के समय कैप्टन के रूप में 18 ग्रेनेडियर का नेतृत्व कर रहे थे. उनकी कमान में 13 जून 1999 की रात को 18 ग्रेनेडियर व 2 राजपूताना राइफल्स ने 24 दिन के संघर्ष के बाद तोलोलिंग पर कब्जा किया था. ब्रिगेडियर खुशाल सिंह युद्ध सेवा मेडल से अलंकृत हैं.

डोलाराम ने अकेले 17 पाकिस्तानियों को किया ढेर: आनी के बलिदानी सैनिक डोलाराम ने अकेले 17 पाकिस्तानियों को ढेर किया था. डोलाराम एक शानदार बॉक्सर भी थे और पर्वतारोहण में भी महारत रखते थे. डोलाराम ने अपने सीने पर 5 गोलियां झेली और भारत मां पर बलिदान हो गए. ऐसे अदम्य साहस की कहानियां युगों तक आने वाली पीढ़ी के सैनिकों को प्रेरित करती रहेगी. इन्हीं योद्धाओं को कारण हिमाचल को वीरभूमि कहा जाता है. पिछले पांच साल का आंकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2017 से 2022 तक प्रति दस लाख की जनसंख्या में हिमाचल से 402 युवा सेना में भर्ती हुए. ये देश में औसत के लिहाज से सर्वाधिक है. दूसरे नंबर पर उत्तराखंड, तीसरे पर जेएंडके, चौथे पर पंजाब आता है.

स्मृतियों में अमिट हैं ये वीर सितारे:कारगिल वॉर में कांगड़ा जिला से जिन वीरों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया उनमें कैप्टन विक्रम बत्रा, सौरभ कालिया, बजिंद्र सिंह, राकेश कुमार, वीर सिंह, अशोक कुमार, सुनील कुमार, लखवीर सिंह, ब्रह्मदास, जगजीत सिंह, संतोख सिंह, सुरेंद्र सिंह, पदम सिंह, सुरजीत सिंह, योगेंद्र सिंह का नाम शामिल है. मंडी जिला से बलिदानियों में दीपक गुलेरिया, खेमचंद राणा, कृष्ण चंद, सरवण कुमार, टेक सिंह मस्ताना, राकेश चौहान, नरेश कुमार, हीरा सिंह, पूर्ण चंद, गुरदास सिंह, मेहर सिंह, अशोक कुमार का नाम अमर है.

इन वीरों ने भी मां भारती के लिए दी शहादत: जिला हमीरपुर से हवलदार कश्मीर सिंह, हवलदार राजकुमार, हवलदार स्वामीदास चंदेल, सिपाही राकेश कुमार, राइफलमैन प्रवीण कुमार, सिपाही सुनील कुमार, राइफलमैन दीपचंद का नाम शामिल है. इसी तरह बिलासपुर जिला से बलिदान हुए वीरों में वीर चक्र विजेता मंगल सिंह, विजय पाल, राजकुमार, अश्विनी कुमार, प्यार सिंह व मस्तराम का नाम श्रद्धा से स्मरण किया जाता है. जिला शिमला से सबसे पहले बलिदान का अमृत चखने वाले यशवंत सिंह थे. उनके साथ वीर चक्र विजेता श्याम सिंह, नरेश कुमार व अनंतराम का नाम है.

नाहन के जवाहर नवोदय विद्यालय का “पीएम श्री योजना” में चयन

नाहन : पीएम श्री स्कूल योजना (प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) के तहत जवाहर नवोदय विद्यालय नाहन का चयन हुआ है, ये स्कूल प्रबंधन की बड़ी उपलब्धि है। अब विद्यालय को केन्द्र सरकार द्वारा आधुनिक तरीके से तैयार किया जाएगा।  साथ ही विद्यालय का संपूर्ण विकास संभव होगा। यह जानकारी मंगलवार को जवाहर नवोदय विद्यालय के प्रिंसिपल सुरेंद्र कुमार तिवारी ने स्कूल परिसर में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष 2022 में घोषणा करते हुए पी.एम.-श्री योजना का शुभारंभ किया था। इसी योजना के लिए विद्यालय का भी चयन हुआ है। इसमें शिक्षा को लेकर अलग से फंडिंग का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि योजना में शामिल होने से स्कूल में नवीनतम तकनीक, स्मार्ट कक्षा, खेल और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर सहित संपूर्ण विकास के तहत कार्य किए होंगे।  प्रिंसिपल ने बताया कि केंद्र सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को तीन वर्ष पूरे हो गए है।

हरिपुरधार में रोलर का टायर चुराने वाले बाहुबली चोर गिरफ्तार

संगड़ाह : हिमाचल प्रदेश में संगड़ाह उपमंडल में बाहुबली चोर गिरफ्तार हो गए है। हरिपुरधार में हेलीपैड के समीप से करीब एक टन से अधिक वजन वाले रोड़ रोलर टायर को चुराने वाले शिमला जिला के कुपवी उपमंडल के रहने वाले दो आरोपियों को पुलिस ने थाना प्रभारी संगड़ाह बृजलाल मेहता के नेतृत्व में गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस द्वारा चोरी में इस्तेमाल की गई जेसीबी मशीन को भी कब्जे में लिया गया है अन्य चोरों की तलाश जारी है। भारी भरकम टायर चोरी की घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई हुई थी।

डीएसपी  संगड़ाह मुकेश डडवाल ने बताया कि, चोरी में चौपाल तहसील के बोरा गांव के 21 वर्षीय जेसीबी ऑपरेटर अरविंद कुमार व काफलां के 24 वर्षीय उसके हेल्पर अरुण कुमार को गिरफ्तार किया जा चुका है और अन्य की तलाश जारी है।