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सुखदेव ने मुख्यमंत्री से लगाई इच्छा मृत्यु की गुहार, कहा-‘नर्क बनकर रह गया मेरा जीवन’

. सड़क हादसे में खो चुके हैं दोनों पैर, इलाज में जमीन भी बिक गई।

. दिव्यांग होने के बाद भी नहीं मिला किसी सरकारी योजना का लाभ।

बिलासपुर : झंडूता विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत कलोल के रहने वाले सुखदेव (62) पुत्र भागूराम ने मुख्यमंत्री से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है। दिव्यांग सुखदेव का कहना है कि उनका जीवन नर्क से भी बदतर हो गया है। शरीर पूरी तरह से अकड़ चुका है, न चल सकते हैं, न बैठ सकते हैं और न ही ठीक से लेट सकते हैं। किसी भी सरकारी योजना का लाभ उन्हें आज तक नहीं मिला और अब उनकी जीने की कोई चाह नहीं बची है। घुमारवीं में लोगों से 2 या 5 रुपए मांगने पहुंचे सुखदेव ने बताया कि करीब 32 साल पहले उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी। उसकी दो बेटियां व एक बेटा है। वह स्वयं शादियों में बाजा बजाकर परिवार का निर्वहन कर रहा था, लेकिन 4 साल पहले जुखाला में पलटी जीप ने उसके जीवन को ही पलट दिया। दुर्घटना में उसकी दोनों टांगें बेकार हो गईं। सुखदेव ने बताया कि डॉक्टर ने उसका इलाज किया, लेकिन अब हालात ये हैं कि वह बैठ ही नहीं सकता तथा आसानी से लेट भी नहीं सकता। गरीबी परिवार पर इस कदर हावी है कि उसका बेटा है मजदूरी कर अपने परिवार काे ही मुश्किल से पाल रहा है, ऐसे में बेटे के ऊपर आश्रित होना भी बहुत मुश्किल है। वह स्वयं खाना खाने से भी लाचार है क्योंकि शरीर काम ही नहीं करता है। सुखदेव ने बताया कि घुमारवीं से नेहा समाज सेवा संस्था के प्रबंधक पवन बरूर उनकी गरीबी पर दया कर उन्हें 1000 रुपए मासिक देते थे, लेकिन वह भी अब कुछ समय से बंद पड़ा है। सुखदेव ने बताया कि एक बार उनके गांव में मेडिकल कैंप लगा था जहां दिव्यांग पास बनाए जाने थे, लेकिन उसकी फरियाद को डॉक्टर ने भी नहीं सुना तथा वह आज तक इस सुविधा से भी वंचित है। ग्राम पंचायत कलोल के प्रधान राजकुमार ने बताया कि सुखदेव को आज तक कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिल पाई है, जबकि वह इन कल्याणकारी योजनाओं का सही रूप से पात्र भी है। गांव में ही कुछ समय पहले एक चिकित्सा शिविर लगाया गया था, जिसमें दिव्यांग लोगों के प्रमाण पत्र बने थे, लेकिन सुखदेव का दिव्यांग प्रमाण पत्र नहीं बन सका। सुखदेव को कोई पैंशन आदि भी नहीं लगी है, जिससे उसका गुजर-बसर हो सके। हालांकि अब उन्होंने आईआरडीपी परिवार में डालने के लिए आवेदन किया है।

क्या बोले पंचायत प्रतिनिधि
ग्राम पंचायत कलोल के प्रधान राजकुमार ने भी स्वीकार किया कि सुखदेव को कोई सरकारी सुविधा आज तक नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि अब उसे आईआरडीपी सूची में डालने के लिए अर्जी दी गई है। वहीं, पंचायत सचिव प्रेम लाल ने कहा कि सुखदेव वास्तव में अत्यंत गरीब है और अब उसका नाम चयन प्रक्रिया में शामिल कर दिया गया है। शीघ्र ही जरूरी कार्रवाई की जाएगी।

नेहा संस्था की प्रतिक्रिया
नेहा मानव सेवा संस्था के प्रबंधक पवन बरूर ने बताया कि मार्च तक सुखदेव को 1000 प्रतिमाह की सहायता दी गई थी। वर्तमान में संस्था पात्र लाभार्थियों के दस्तावेजों की दोबारा जांच कर रही है, जिसके बाद राहत बहाल की जाएगी।

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