



शिमला : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एशिया का सबसे लंबा रोप-वे बनेगा. शिमला रोपवे प्रोजेक्ट 5 साल बाद यानी 2029 तक बनकर तैयार हो सकता है. हिमाचल सरकार का यह काफी महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. सूबे के उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने हाल ही में प्रदेश सचिवालय में प्रेसकॉन्फेंस के दौरान इस प्रोजेक्ट को लेकर जानकारी दी. डिप्टी सीएम ने बताया कि यह रोपवे तकरीबन 1,555 करोड़ की लागत से बनेगा. इसकी लंबाई 13. 79 किलोमीटर होगी. शिमला में बन रहा ये रोप-वे दुनिया का दूसरा सबसे लंबा और एशिया का सबसे लंबा रोप-वे होगा. प्रोजेक्ट को लेकर जानकारी देते हुए उप मुख्यमंत्री ने बताया कि इस रोपवे के रूट पर 13 स्टेशन बनाए जाएंगे. निर्माण के बाद रोपवे में तकरीबन 660 केबिन बनेंगे. लोगों को हर 2 से 3 मिनट के अंतराल में केबिन में मिल जाएगी. इतना ही नहीं यहां मैट्रो ट्रेन की तरह इसमें रेड, ग्रीन और ब्लू लाइन होंगी. यात्री अपने सफर के हिसाब से इंटरचेंज कर सकेंगे. सरकार के मुताबिक इस रोपवे से हर कोई बस के किराए पर सफर कर सकेगा.
बता दें कि परवाणु से शिमला तक करीब 6800 करोड़ रुपये खर्च कर 38 किलोमीटर लंबा रोपवे बनाने की योजना है. तो वहीं चिंतपूर्णी माता मंदिर के लिए 75 करोड़, जाबली से कसौली 253 करोड़, नारकंडा से हाटू पीक 172 करोड़, पालमपुर से थथली 585 करोड़, बाबा बालकनाथ मंदिर में 65 करोड़, बीड़ बिलिंग के लिए 156 करोड़ की लागत से पीपीपी मोड पर रोपवे बनाया जाएगा. सरकार का कहना है कि रोपवे प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद शिमला को ट्रैफिक जाम से निजात मिलेगी. अगले 40 साल की चुनौतियों को देखते हुए इसका निर्माण होगा. ढाई साल में प्रोजेक्ट का पहला फेज पूरा कर 250 केबिन के साथ इसे शुरू करने की प्लानिंग सरकार कर रही है.