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Delhi :दिल्ली में नए कानून से 90 फीसदी तक घट गई सरोगेसी, आईवीएफ सेंटर भी घटे

Delhi : surrogacy decreased by 90 percent due to new law in delhi

प्रतीकात्मक तस्वीर

विस्तार

सरोगेसी को लेकर आए नए कानून के बाद से दिल्ली में इसके मामलों में 90 फीसदी तक की गिरावट आई है। आईवीएफ सेंटर भी घट रहे हैं। नए कानून के तहत देशभर में सरोगेसी को लेकर सख्ती की गई है। इसमें स्पष्ट कर दिया गया है कि सरोगेसी की सुविधा केवल उन्हीं लोगों को मिल सकेंगी, जिनकी उम्र (पुरुष 55 महिला 50) कम है। इसके अलावा अन्य शर्तें भी रखी गई हैं। 

दरअसल दिल्ली में गायनी, सरोगेसी और आईवीएफ से जुड़े दिल्ली के डॉक्टरों का संगठन आकृति की बैठक हुई। इस बैठक में डॉक्टरों को कानूनी जानकारी देने, सुरक्षा सहित अन्य विषयों पर चर्चा हुई। बैठक में डॉक्टरों के लिए कानून में सुधार की मांग भी की है। बैठक के बारे में डॉक्टर रीता बक्शी ने बताया कि देश में हर साल 2020-21 तक औसतन 750 बच्चे सरोगेसी से पैदा होते थे। नए नियम लागू होने के बाद यह घटकर औसतन 75 रह गए हैं। 

उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत यह सुविधा केवल उन्हीं लोगों को मिलेगी जिनकी उम्र 55 से कम हो। इसके अलावा जिनके पास एक बच्चा हो, अकेला आदमी हो उन्हें यह सुविधा नहीं मिलेगी। वहीं इस मामले में जुर्माना भी काफी बढ़ा दिया गया है। ऐसे में इसमें काफी कमी हो गई है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर कई बार कानूनी समस्या में फंस जाते हैं, उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं होती है। ऐसे समस्याओं से बचाने के लिए उन्हें कार्यक्रम में जानकारी दी गई। साथ ही गर्भपात, आईवीएफ सहित अन्य नियमों पर चर्चा की गई। 

मारपीट की घटनाओं की रोकथाम की मांग  

बैठक में डॉक्टरों ने कहा कि उपचार के दौरान अक्सर तिमारदार मारपीट की घटना कर देते हैं। इसे रोकना चाहिए और अस्पतालों में पर्याप्त सुरक्षा देनी चाहिए। बता दें कि बीते दिनों दिल्ली सरकार के कई अस्पतालों में डॉक्टरों से मारपीट हुई।

15 दिन से अधिक का नहीं बनेगा मेडिकल सर्टिफिकेट

बैठक में दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी ने कहा कि डॉक्टर किसी भी मरीज को 15 दिनों से अधिक समय के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं देंगे। मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने से पहले व्यक्तिगत तौर पर मरीज से मुलाकात करेंगे। साथ ही मरीज की पहचान मेडिकल सर्टिफिकेट पर लिखेंगे। उन्होंने कहा कि बीते दिनों एक डॉक्टर का नाम सामने आया था जिन्होंने जेल में बंद कैदी के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर दिया। इसके अलावा देखने में आया है कि कई बार दो-तीन माह के लिए भी मेडिकल सर्टिफिकेट जारी हो रहा है। 

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