Home » ताजा खबरें » शिमला में ग्रीन टैक्स लगाने पर जल्द फैसला ले हिमाचल सरकार, हाईकोर्ट की प्लास्टिक कचरे पर सख्ती

शिमला में ग्रीन टैक्स लगाने पर जल्द फैसला ले हिमाचल सरकार, हाईकोर्ट की प्लास्टिक कचरे पर सख्ती

लाइव हिमाचल/शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को शिमला में ग्रीन टैक्स लगाने पर जल्द निर्णय लेने को कहा है। प्लास्टिक कचरे पर सख्ती बरतते हुए कोर्ट ने डिजिटल चालान प्रणाली का कड़ाई से प्रयोग करने को कहा। प्लास्टिक कचरे पर मोबाइल एप से किए चालानों का ब्योरा भी मांगा। कोर्ट ने संस्थागत कार्यों को अंतिम रूप तक पहुंचाने का निर्देश भी दिया। मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी। हाईकोर्ट ने ठोस कचरा प्रबंधन और प्लास्टिक कचरे पर नियंत्रण को लेकर दो विस्तृत आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं। सुलेमान बनाम भारत सरकार व अन्य सहित कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सरकारी कार्यप्रणाली की समीक्षा की और पंचायतों, नगर निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर व्यावहारिक समाधान भी सुझाए। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने मोबाइल एप के माध्यम से जारी किए गए चालानों का ब्योरा न्यायालय में प्रस्तुत करने को कहा है। खंडपीठ ने पंचायतों में चालान प्रशिक्षण की प्रगति और पुनर्वास कार्यों की जानकारी भी मांगी है। पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, शहरी विकास विभाग, पंचायत राज विभाग व ग्रामीण विकास विभाग के बीच समन्वय स्थापित करने का निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि इससे न केवल स्वच्छता में सुधार होगा, बल्कि नागरिकों की जीवन गुणवत्ता और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा। 13 मई के आदेश में न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह हिमाचल प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1994 की धारा 13(के) और 100 के तहत आवश्यक उपविधियां बनाए। इसमें उपयोगकर्ता शुल्क, कचरे को अलग करने, संग्रहण और वित्तीय स्थायित्व के लिए नीति शामिल हो। अदालत ने अधिवक्ता की ओर से प्रस्तुत मॉडल उपविधियों और स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के दिशानिर्देशों का उपयोग करने की अनुमति दी है। न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि पंचायतें ऐसे हॉट स्पॉट चिह्नित करें, जहां अव्यवस्थित रूप से कचरा जमा होता है। ऐसे क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमएफआर) या कचरा पृथक्करण शेड के रूप में विकसित किया जाए। सरकार की ओर से 21 जून के आदेश में अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार ने एक मोबाइल एप और वेब पोर्टल विकसित किया है, जिसके माध्यम से हिमाचल प्रदेश गैर-बायोडिग्रेडेबल कचरा (नियंत्रण) अधिनियम, 1995 के तहत डिजिटल चालान जारी किए जा सकेंगे। अधिकारी मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से लॉगइन कर सकेंगे।

Leave a Comment