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हिमाचल के सरकारी स्कूलों में ड्रेस कोड, भड़कीले कपड़े, जींस, टीशर्ट और टॉप पर लगी रोक…

लाइव हिमाचल/शिमला : हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब टीचर जींस, टी-शर्ट और रंगे बिरेंगे परिधानों में नजर नहीं आएंगे. काफी समय से चल रही जद्दोजेहद के बाद अब सरकार ने आदेश जारी किए हैं कि टीचर ड्रैस लागू करने के आदेश जारी किए हैं. हालांकि, शिक्षा विभाग ने अपने आदेशों में यह भी कहा कि यह स्वेच्छिक ड्रेस कोड के तहत निर्देश दिए गए हैं. 17 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश सरकार में शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव सुनील वर्मा की तरफ से आदेश जारी हुए हैं, जिनमें कहा कि  हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड संबंधी सलाह जारी की गई है. ऐसे में स्कूल इसे स्वेच्छा से अपना सकते हैं. हालांकि, यह अनिवार्य नहीं है और इसे अपनाना पूरी तरह से स्कूल प्राधिकरण के विवेक पर निर्भर है।

  1. हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों के कई शिक्षकों ने स्वेच्छा से ड्रेस कोड अपनाने की पहल की है. यह एक स्वागत योग्य कदम है और यह दिखाता है कि सरकारी स्कूलों में तैनात शिक्षक उदाहरण पेश करते हैं और अपने संस्थानों में गरिमा, शालीनता और अनुशासन को महत्व देते हैं. ऐसे उदाहरण बताते हैं कि इस अच्छी प्रथा को और बढ़ावा दिया जाना चाहिए और अन्य स्कूलों को भी इस अच्छे उदाहरण का पालन करना चाहिए.
  2. छात्र अपने शिक्षकों को “रोल मॉडल” के रूप में देखते हैं. अक्सर छात्र अपने शिक्षकों के पहनावे और व्यवहार की नकल करते हैं. शिक्षकों की ड्रेसिंग स्टाइल और व्यवहार का युवा मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. एक पेशेवर, गरिमापूर्ण और शालीन उपस्थिति न केवल शिक्षकों के प्रति सम्मान बढ़ाती है बल्कि छात्रों के लिए उनके आचरण और ग्रूमिंग में एक मानक भी स्थापित करती है.
  3. यह भी देखा गया है कि कुछ शिक्षक (हालांकि इनकी संख्या बहुत अधिक नहीं है) फैशनेबल, चमकदार और अनुपयुक्त कपड़े पहनते हैं, जो स्टाइल में बहुत भिन्न होते हैं (स्कूल के लिए बहुत फैशनेबल), रंग (चमकीले और भड़कीले) और औपचारिकता (कैजुअल पहनावा जो स्कूल के लिए उपयुक्त नहीं है, जो एक शिक्षण संस्थान है). इसका परिणाम न केवल पोशाक में एकरूपता की कमी में होता है बल्कि एक अनौपचारिक वातावरण भी बनता है जो एक शिक्षण संस्थान के अनुरूप नहीं है. सभी सहमत हैं कि शिक्षकों की पोशाक में शालीनता और पेशेवरता झलकनी चाहिए।

औपचारिक और पेशेवर जूते. बाल, नाखून और उपस्थिति के संबंध में निर्देशि गए गए हैं. कोई भी औपचारिक भारतीय पोशाक चुनी जा सकती है. मौसम के अनुसार उपयुक्त हेडगियर की अनुमति दी जा सकती है (अधिमानतः एक समान). और खेल आयोजनों/रैलियों/बाहरी गतिविधियों के दौरान उचित ट्रैक सूट/आउटडोर वियर की अनुमति दी जा सकती है. एडयवाजरी में कहा गया है कि जींस/डेनिम, कई जेबों वाली पैंट, टी-शर्ट और कैजुअल वियर. और चमकीले, भड़कीले रंग के कपड़े और अत्यधिक पैटर्न वाले आउटफिट टीचर नहीं पहेंगे. वहीं महिला टीचर बहुत अधिक ज्वेलरी नहीं पहनेंगी. विभाग ने अपने आदेशों के साथ एडवायजरी भी अटैच की है और इसमें कहा कि प्रधानाचार्यों और मुख्य शिक्षकों और शिक्षकों से अनुरोध है कि वे इस सलाह पर विचार करें और स्कूल के सभी शिक्षकों से परामर्श के बाद एक ड्रेस कोड अपनाएं. वे अपने संबंधित संस्थानों के लिए ड्रेस कोड तय करते समय निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रख सकते हैं. इसके तहत औपचारिक पैंट और शर्ट (सामान्यतः हल्के रंगों का चयन किया जा सकता है). महिला शिक्षकों के लिए औपचारिक भारतीय परिधान जैसे सलवार-कमीज के साथ पलाज़ो दुपट्टा/स्ट्रेट कमीज/साड़ी/चूड़ीदार सूट और/या औपचारिक पैंट और शर्ट अपनाए जा सकते हैं. औपचारिक ब्लेज़र (आमतौर पर, मैरून या नीले रंग के शेड्स औपचारिकता को दर्शाते हैं।

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