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सोनिया गांधी ने शिक्षा नीति पर उठाए सवाल, कहा 3 ‘सी’ बिगाड़ रहे बच्चों का भविष्य

दिल्ली: कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की शिक्षा नीति की सोमवार को आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि इस सरकार का मुख्य एजैंडा सत्ता का केंद्रीकरण, शिक्षा का व्यावसायीकरण तथा पाठ्यपुस्तकों का सांप्रदायिकरण है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष ने एक लेख में कहा कि ये तीन ‘सी’ आज भारतीय शिक्षा को परेशान कर रहे हैं और भारत की सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली का यह ‘ह्रास’ बंद होना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि ये तीन ‘सी’ बच्चों का भविष्य बिगाड़ रहे हैं। गांधी ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित लेख ‘द ‘3सी’ दैट हॉन्ट इंडियन एजुकेशन टुडे’ (तीन ‘सी’ जो भारतीय शिक्षा के लिए आज चिंता का विषय हैं) में कहा कि हाई-प्रोफाइल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की शुरुआत ने एक ऐसी सरकार की वास्तविकता को छिपा दिया है जो भारत के बच्चों और युवाओं की शिक्षा के प्रति बेहद उदासीन है। उन्होंने कहा, ‘पिछले दशक में केंद्र सरकार ने स्पष्ट रूप से दिखाया कि उसे शिक्षा के क्षेत्र में केवल 3 मुख्य एजैंडे के सफल क्रियान्वयन की चिंता है-केंद्र सरकार के पास सत्ता का केंद्रीकरण, शिक्षा में निवेश को निजी क्षेत्र को सौंपना एवं इसका व्यावसायीकरण तथा पाठ्यपुस्तकों, पाठ्यक्रम एवं संस्थानों का सांप्रदायिकरण करना।’ गांधी ने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्ष में इस सरकार के कामकाज की पहचान ‘अनियंत्रित केंद्रीकरण’ रही है, लेकिन इसके सबसे हानिकारक परिणाम शिक्षा के क्षेत्र में हुए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई), जिसमें केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के शिक्षा मंत्री शामिल हैं, की बैठक सितंबर 2019 से नहीं बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 के माध्यम से शिक्षा में बड़े बदलाव करने और इसे लागू करते समय भी सरकार ने इन नीतियों के कार्यान्वयन पर राज्य सरकारों से एक बार भी परामर्श करना उचित नहीं समझा।

गांधी ने लिखा, ‘यह सरकार के इस एकल संकल्प का प्रमाण है कि वह भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में शामिल विषय पर भी अपनी आवाज के अलावा किसी और की आवाज नहीं सुनती।’ उन्होंने कहा, ‘संवाद की कमी के साथ-साथ ‘धौंस जमाने की प्रवृत्ति’ भी है। इस सरकार द्वारा किए गए सबसे शर्मनाक कार्यो में से एक काम यह है कि राज्य सरकारों को समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत मिलने वाले अनुदान को रोककर मॉडल स्कूलों की पीएम-श्री (या ‘पीएम स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया’) योजना को लागू करने के लिए मजबूर किया गया।’ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार शिक्षा प्रणाली का खुलेआम व्यावसायीकरण कर रही है। उन्होंने दावा किया कि देश के गरीबों को सार्वजनिक शिक्षा से बाहर कर दिया गया है और उन्हें बेहद महंगी एवं कम विनियमित निजी स्कूल प्रणाली के हाथों में सौंप दिया गया है।

राज्यसभा सदस्य गांधी ने कहा, ‘केंद्र सरकार का तीसरा जोर सांप्रदायिकता पर है जो शिक्षा प्रणाली के माध्यम से नफरत पैदा करने और उसे बढ़ावा देने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भाजपा की लंबे समय से जारी विचारधारा के अनुरूप है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूली पाठ्यक्रम की रीढ़ राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की पाठ्यपुस्तकों में भारतीय इतिहास के कुछ हिस्सों को हटाने के इरादे से बदलाव किया गया है। गांधी ने कहा, ‘महात्मा गांधी की हत्या और मुगल भारत से संबंधित अनुभागों को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। इसके अलावा, भारतीय संविधान की प्रस्तावना को पाठ्यपुस्तकों से तब तक हटाए रखा गया जब तक कि जनता के विरोध ने सरकार को इसे एक बार फिर शामिल करने के लिए बाध्य नहीं किया।

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