



Himachal News: केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 के खिलाफ हिमाचल प्रदेश के वकील सड़कों पर उतर आए हैं। प्रदेश के ठियोग, रामपुर, किन्नौर, बिलासपुर, मंडी, धर्मशाला, कांगड़ा, सोलन और हमीरपुर सहित सभी जिलों में वकील लगातार दो दिनों से अदालतों का बहिष्कार कर प्रदर्शन कर रहे हैं। बता दें, केंद्र सरकार एडवोकेट अधिनियम 1961 में संशोधन करने जा रही है, जिससे वकीलों में गहरी नाराजगी है। वकीलों का कहना है कि यह संशोधन उनकी स्वतंत्रता को सीमित कर देगा और पेशे में सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देगा। जानकारी के अनुसार गुरुवार को शिमला में वकीलों ने राजभवन के लिए मार्च निकाला और राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजकर इस बिल को वापस लेने की मांग की।
बिल के विवादित प्रावधान
1. धारा 35A: वकीलों या वकीलों के संगठनों को हड़ताल, कोर्ट का बहिष्कार या वर्क सस्पेंड करने से रोकती है। यदि कोई वकील इसका उल्लंघन करता है, तो इसे पेशेवर दुर्व्यवहार (मिसकंडक्ट) माना जाएगा और उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकेगी।
2. धारा 33A: अदालतों, ट्रिब्यूनलों और अन्य न्यायिक संस्थानों में वकालत करने वाले सभी वकीलों को उस बार एसोसिएशन में अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा, जहां वे प्रैक्टिस करते हैं।
3. धारा 2 में बदलाव, अब कॉर्पोरेट वकील, इन-हाउस लीगल एडवाइजर और विदेशी कानूनी फर्मों में काम करने वाले वकील भी “कानूनी व्यवसायी” माने जाएंगे। ऐसे में, वर्तमान में केवल कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को ही कानूनी व्यवसायी माना जाता है।
4. बार काउंसिल में सरकारी हस्तक्षेप: बार काउंसिल ऑफ इंडिया में केंद्र सरकार अपने तीन प्रतिनिधि भेजना चाहती है, जिससे बार काउंसिल की स्वायत्तता समाप्त हो सकती है।
हिमाचल में वकीलों का आंदोलन तेज
जानकारी के अनुसार, हिमाचल की समन्वय समिति ने 5 और 6 मार्च को अदालतों के कामकाज का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। वकीलों की मांग है कि इस बिल को कृषि कानूनों की तर्ज पर पहले होल्ड किया जाए और फिर पूरी तरह वापस लिया जाए। गुरुवार को शिमला में हजारों वकीलों ने राजभवन के लिए मार्च निकाला और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। वकीलों का कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।