



शिमला: हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को वीरवार को वेतन मिलेगा, जबकि पेंशनधारकों को 10 सितंबर को पेंशन दी जाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर की ओर से व्यवस्था के प्रश्न के तहत वेतन और पेंशन का मामला उठाए जाने के बाद वक्तव्य देकर इसे स्पष्ट किया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगले महीने एक तारीख को वेतन देने पर विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने वेतन और पेंशन देरी से देने का कारण बताते हुए कहा कि कर्ज के अनावश्यक ब्याज से बचने के लिए यह कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को कहा, वह सदन को अवगत करवाना चाहते हैं कि प्रदेश के कर्मचारियों को इस महीने वेतन 5 सितंबर और पेंशनरों को पेंशन 10 सितंबर को देंगे। इसका कारण यह है कि सरकार खर्चों की प्राप्तियों के साथ मैपिंग करके वित्तीय संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहती है। यह सरकार के कुशल वित्तीय प्रबंधन को दर्शाता है। इस तरह के प्रबंधन से सरकार की ओर से उठाए जाने वाले कर्ज पर ब्याज राशि को बचाने का प्रयास होगा। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि यह व्यवस्था सरकार के बोर्डों और निगमों के लिए नहीं होगी, जो अपने संसाधनों का आकलन करके सही निर्णय ले सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने सदन में बजट के गणित को समझाते हुए कहा कि सरकार को वेतन और पेंशन की अदायगी हर महीने पहली तारीख को करनी पड़ती है। भारत सरकार से राजस्व घाटा अनुदान के रूप में 520 करोड़ रुपये मिलते हैं, जबकि 10 तारीख को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर 740 करोड़ रुपये मिलते हैं। पहली तारीख को वेतन और पेंशन की अदायगी के लिए सरकार को बाजार से 7.50 प्रतिशत की दर से अग्रिम ऋण उठाकर अनावश्यक रूप से ब्याज का बोझ उठाना पड़ता है। वर्तमान सरकार व्यय की प्राप्तियों के साथ मैपिंग कर हर माह लगभग तीन करोड़ रुपये बचाएगी। एक साल में इससे 36 करोड़ की बचत होगी।
वेतन पर 1.25 और पेंशन पर 1.60 प्रतिशत दिया जा रहा ब्याज
बाजार से कर्ज उठाने की सीमा केवल 2,317 करोड़ रुपये ही बची
सीएम ने सदन को बताया कि भारत सरकार से प्राप्त अनुमति के अनुसार बाजार से ऋण उठाने के लिए 2,317 करोड़ रुपये की ही सीमा बची है, जिसका सरकार को आगामी चार महीनों यानी सितंबर से दिसंबर तक विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करना होगा।