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दुनिया की सबसे नई करेंसी जारी, सरकारी विभागों ने ही स्वीकारने से किया इनकार, कहां हुआ ये कारनामा

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दिल्ली. जिम्बाब्वे ने मंगलवार को एक नयी मुद्रा ‘जिग’ का प्रचलन शुरू किया। इस मुद्रा को पुरानी मुद्रा की जगह लाया गया है, जो मूल्यह्रास और लोगों का भरोसा खत्म हो जाने से प्रभावित हुई है. अप्रैल की शुरुआत में जिग को इलेक्ट्रॉनिक रूप से पेश किया गया था, लेकिन अब लोग बैंकनोट और सिक्कों के रूप में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. यह दक्षिणी अफ्रीकी देश की लंबे समय से चल रहे मुद्रा संकट को रोकने की ताजा कोशिश है. सरकार ने पहले जिम्बाब्वे डॉलर को बदलने के लिए विभिन्न विचार पेश किए थे, जिसमें मुद्रास्फीति को रोकने के लिए सोने के सिक्के और एक डिजिटल मुद्रा को लाने जैसे विकल्प शामिल थे. जिग, जिम्बाब्वे गोल्ड का संक्षिप्त रूप है और देश के स्वर्ण भंडार द्वारा समर्थित है. हालांकि, इसके बावजूद लोग इस पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. कुछ सरकारी विभागों ने भी इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया है.

2009 के बाद छठी करेंसी
जिग छठी मुद्रा है, जिसका उपयोग जिम्बाब्वे ने 2009 में जिम्बाब्वे डॉलर के पतन के बाद से किया है. इस संकट से निपटने के लिए पहले अमेरिकी डॉलर को वैध मुद्रा का दर्जा दिया गया, फिर उस पर प्रतिबंध लगाया गया और फिर प्रतिबंध हटाया गया. लोग अभी भी जिग को लेने से इनकार कर रहे हैं. उन्हें अमेरिकी डॉलर अभी भी सुरक्षित लग रहा है. सरकार ने गैस स्टेशनों जैसे कुछ व्यवसायों को जिग को स्वीकार करने से मना करने की अनुमति दी है। पासपोर्ट विभाग जैसे कुछ सरकारी कार्यालय भी केवल अमेरिकी डॉलर स्वीकार कर रहे हैं.

5 अरब परसेंट बढ़ी महंगाई
2009 में जिम्बाब्वे में महंगाई 50 अरब परसेंट बढ़ गई जिसके बाद वहां अर्थव्यवस्था का पतन हो गया. इसे जिंदा करने के लिए कई बार करेंसी जारी की गई. लेकिन अभी तक वहां के हालात सुधरे नहीं है. जिम्बाब्वे ने एक बार अमेरिकी डॉलर को भी अपने यहां की करेंसी बनाया था. इस पर बाद में प्रतिबंध लगा दिया गया. फिर यह प्रतिबंध हटा भी दिया गया है. इस नई करेंसी पर अब वहां के लोग भरोसा नहीं कर रहे हैं. मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक सब्जी विक्रेता ने कहा कि वह भले अपनी सब्जियां नहीं बेचेगा लेकिन नई करेंसी को स्वीकार नहीं करेगा।

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