राज्यस्तरीय मां शूलिनी मेले की वॉलीबाल प्रतियोगिता का कल होगा आगाज़….

सोलन: राज्यस्तरीय मां शूलिनी मेले की वॉलीबाल प्रतियोगिता का कल 20 जून को 10 बजे शुभारंभ होगा। जानकारी देते हुए खेल समिति के सयोंजक कुनाल सूद ने कहा कि शूलिनी मेला 2024 के उपलक्ष्य में कल वॉलीबाल प्रतियोगिता का आगाज़ हो रहा है जिसमें इस प्रतियोगिता में कुल 12 टीम भाग ले रही है।

माँ शूलिनी मेला के संबंध में डीसी सोलन मनमोहन शर्मा ने आवश्यक दिशा निर्देश किए जारी….

सोलन: राज्य स्तरीय शूलिनी मेला-2024 के दृष्टिगत जिला दण्डाधिकारी सोलन मनमोहन शर्मा ने आमजन की सुविधा तथा यातायात व्यवस्था को बनाए रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। जिला दण्डाधिकारी द्वारा भारतीय मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 115 तथा 117 के अंतर्गत प्रदत शक्तियों का उपयोग करते हुए यह आदेश जारी किए गए हैं। यह आदेश 21 जून, 2024 को शूलिनी माता की झांकियों के लिए प्रयोग किए जा रहे वाहनों पर लागू नहीं होंगे। इन वाहनों पर प्रतिबंधित क्षेत्र के लिए 07 दिसम्बर, 2009 को जारी किए गए आदेश भी लागू नहीं होंगे।

ज़िला दण्डाधिकारी द्वारा जारी आदेशों के अनुसार ज़िला सिरमौर के राजगढ़ की ओर से चण्डीगढ़ जाने वाले तथा चण्डीगढ़ की ओर से शामती होकर राजगढ़ जाने वाले वाहन नए बाई-पास से आवागमन करेंगे। शिमला से चण्डीगढ़ जाने वाले वाहन बाई पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 05 से जाएंगे।
सिरमौर से सोलन शहर की ओर आने वाले वाहनों तथा बसों से यात्रियों को कोटलानाला चौक पर उतारा जाएगा। इन वाहनों को शामती की ओर सुविधा अनुसार खड़ा किया जाएगा। शिमला-चायल-कण्डाघाट इत्यादि की ओर से पुराना बस अड्डा सोलन आने वाले बसें अम्बुशा होटल सोलन के समीप खुले स्थान पर रूकेंगी। मेला अवधि में यह बसें इसी स्थान से वापिस जाएंगी। अम्बुशा होटल के समीप मार्ग को अवरूद्ध किया जाएगा। मेले में आने वाले निजि वाहन एवं बसों इत्यादि को यहां पर यात्रियों को उतारने के उपरांत पार्किंग के लिए बाई-पास पर भेजा जाएगा। इन आदेशों के अनुसार 21 जून, 2024 से 23 जून, 2024 तक प्रातः 8.00 बजे से रात्रि 11.00 बजे तक पुराना उपायुक्त कार्यालय चौक से पुराना बस अड्डा सोलन एवं मॉल रोड सोलन पर दोपहिया तथा तिपहिया वाहनों सहित सभी प्रकार के वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। इस समयावधि में पुराना उपायुक्त कार्यालय चौक से क्षेत्रीय अस्पताल चौक तक प्रातः 11.00 बजे से रात्रि 11.00 बजे तक सभी प्रकार के वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी। आपातकालीन वाहनों सहित अन्य आवश्यक वाहनों पर यह आदेश लागू नहीं होंगे।
राजगढ़ मार्ग पर देवभूमि अपार्टमेंट के समीप मार्ग को अवरूद्ध किया जाएगा। यहां से वाहनों शामती होकर नए बाई-पास से भेजा जाएगा। दोहरी दीवार सपरुन के समीप भी मार्ग को अवरूद्ध किया जाएगा। यहां सुरक्षा की दृष्टि से वाहनों की जांच की जाएगी। पुराना उपायुक्त कार्यालय से क्षेत्रीय अस्पताल से होकर सभी वाहनों की आवाजाही पर दोपहर 12.00 बजे तक पाबंदी रहेगी। आवश्यक सेवाओं के लिए प्रयुक्त वाहन, रोगी वाहन, अग्निशमन वाहन, कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने में प्रयोग किए जा रहे वाहन, मेला अवधि में शहर की सफाई व्यवस्था के लिए नगर निगम सोलन द्वारा प्रयोग में लाए जा रहे वाहन, मेला ड्यूटी के लिए प्रयोग में लाए जा रहे स्टिकर युक्त वाहनों पर यह आदेश लागू नहीं होंगे।
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ई.वी.एम. तथा वी.वी.पैट. मशीनों की प्रथम स्तरीय जांच आयोजित…..

सोलन: भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार 51-नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र के उप-चुनाव के दृष्टिगत आज ज़िला पंचायत अधिकारी कार्यालय सोलन में स्थित ज़िला पंचायत संसाधन केन्द्र में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों (ई.वी.एम.) तथा वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वी.वी.पैट) की प्रथम स्तरीय जांच कड़ी सुरक्षा के बीच में अतिरिक्त उपायुक्त अजय कुमार यादव की अध्यक्षता में की गई। इस अवसर पर राष्ट्रीय भारतीय कांग्रेस की संधीरा सीनू सिंह, भारतीय जनता पार्टी से राजपाल, बहुजन समाज पार्टी राकेश बराड़ सहित तहसीलदार निर्वाचन ऊषा चौहान मौजूद रहे।

10 जुलाई से पहले होगा नगर निगम सोलन में मेयर का चुनाव, कांग्रेस-भाजपा की रणनीति को झटका….

सोलन: नगर निगम सोलन में मेयर का चुनाव 10 जुलाई से पूर्व होगा। राज्य स्तरीय शूलिनी मेले के बाद चुनाव की घोषणा होगी। इससे कांग्रेस व भाजपा की रणनीति को जबरदस्त झटका लगा है। माना जा रहा है कि नगर निगम के 3 वार्डों के उपचुनाव के बाद ही फुल हाऊस में मेयर का चुनाव होगा लेकिन एम.सी. एक्ट के अनुसार मेयर का पद एक महीने से अधिक समय के लिए रिक्त नहीं रह सकता। इससे पूर्व ही मेयर का चुनाव करना होगा। शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने मेयर सहित पूर्व मेयर की पार्षद की सदस्यता को 10 जून को अयोग्य करार दिया था। इस आदेश को 10 जुलाई को एक महीना पूरा हो जाएगा। प्रशासन के पास मेयर का चुनाव करवाने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं बचा है।

कांग्रेस की इसलिए बढ़ गई हैं चिंताएं
वहीं कांग्रेस की चिंताएं एक बार फिर बढ़ गई हैं क्योंकि नगर निगम में वर्तमान में पार्षदों की संख्या 17 में से केवल 14 है। इसमें कांग्रेस के 7 पार्षद हैं और विधायक की वोट के साथ कांग्रेस बहुमत के 8 के आंकड़े को आसानी से पार कर रही है लेकिन यह इतना आसान नहीं है। इसमें कांग्रेस के 2 पार्षद वे भी हैं जिनके खिलाफ कांग्रेस ने दल-बदल कानून के तहत नगर निगम आयुक्त को शिकायत की थी। अब कांग्रेस को नगर निगम में अपना मेयर बनाने के लिए इन 2 पार्षदों के समर्थन की जरूरत पड़ गई है।

भाजपा के लिए भी राह आसान नहीं
दूसरी ओर भाजपा में भी मेयर के लिए सहमति बनने की राह आसान नहीं है लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल अपने पार्षदों को एकजुटता की घुट्टी पिला सकते हैं। निर्दलीय पार्षद के समर्थन से भाजपा की संख्या 7 है। यदि भाजपा कांग्रेस के 1 या 2 पार्षदों में सेंध लगाने में कामयाब रही तो मेयर पर भी कब्जा कर सकती है। नगर निगम में वार्ड नम्बर 5, वार्ड नम्बर 8 व वार्ड नम्बर 12 में उपचुनाव होना है। इसकी डेट अभी फाइनल नहीं हुई है। जब तक यह चुनाव होगा तब तक सोलन को नया मेयर मिल जाएगा।

एमसी एक्ट में है प्रावधान : एकता 
नगर निगम आयुक्त एकता काप्टा ने बताया कि मेयर का चुनाव 10 जुलाई से पहले होगा। राज्य स्तरीय शूलिनी मेले के बाद कभी भी चुनाव की घोषणा हो सकती है। एमसी एक्ट में स्पष्ट है कि मेयर का पद एक महीने ज्यादा समय तक खाली नहीं रह सकता। 10 जून को मेयर सहित पूर्व मेयर की पार्षद की सदस्यता को अयोग्य करने के आदेश जारी हुए थे। इस आदेश को जारी हुए 10 जुलाई को एक महीना हो जाएगा, इससे पूर्व ही चुनाव करवाना पड़ेगा।

व्हिप से भी नहीं रुकेगी क्रॉस वोटिंग 
नगर निगम में मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में व्हिप जारी होने के बाद भी क्रॉस वोट पर अंकुश लगना संभव नहीं है। 7 दिसम्बर 2023 को मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव में कांग्रेस की ओर से क्रॉस वोटिंग हुई थी। कांग्रेस ने 4 पार्षदों की शिकायत भी की थी जिसमें से 2 के खिलाफ ही दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की गई जबकि 2 सबूतों के अभाव में बच गए। जिन 2 के खिलाफ कार्रवाई हुई उसमें से एक ने मेयर का चुनाव लड़ा जबकि दूसरे ने उनका नाम प्रस्तावित किया था। सबूत थे, कार्रवाई हुई जबकि 2 के खिलाफ ऐसा कोई सबूत नहीं था। डिप्टी मेयर के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को कांग्रेस के 5 में से एक पार्षद ने वोट किया था जिसका आज तक पता नहीं चला।

हिमाचल प्रदेश में पति-पत्नी और मित्रों की सरकार कर रही काम : बिंदल

नाहन: हिमाचल प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी को कांग्रेस द्वारा चुनावी मैदान में उतारने को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. साथ ही कांग्रेस की मौजूदा सरकार पर भी निशाना साधा है.

पति-पत्नी और मित्रों की सरकार कर रही काम
पत्रकारों से बातचीत करते हुए राजीव बिंदल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहले मित्रों की सरकार चल रही थी, लेकिन अब यहां पति-पत्नी और मित्रों की सरकार काम कर रही है. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार सिर्फ परिवार और मित्रों के लिए समर्पित है. इस सरकार को प्रदेश की कोई चिंता नहीं है.

राजीव बिंदल ने देहरा को जिला पुलिस की घोषणा करने पर भी उठाए सवाल 

राजीव बिंदल ने कांगड़ा जिला के देहरा को जिला पुलिस की घोषणा करने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है. इस बीच देहरा को जिला पुलिस घोषित करना संविधान का उल्लंघन है. सीधे तौर पर चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

देहरा में जिला पुलिस की घोषणा के लिए बुलाई गई थी कैबिनेट
राजीव बिंदल ने यह भी कहा कि अगर मुख्यमंत्री की पत्नी देहरा से चुनाव नहीं लड़तीं तो देहरा को जिला पुलिस नहीं बनाया जाता और कैबिनेट भी सिर्फ देहरा में जिला पुलिस की घोषणा के लिए बुलाई गई थी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को अगर अपने ससुराल देहरा की इतनी चिंता थी तो वह इस विधानसभा क्षेत्र में अन्य सुविधाएं जुटाते जो सरकार नहीं जुटा पाई है.

राजीव बिंदल ने चुनाव आयोग की भूमिका पर उठाए सवाल

राजीव बिंदल ने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग हाथ पैर हाथ रखकर बैठा हुआ है. साथ ही कहा कि प्रदेश में हाल में हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान भी चुनाव आयोग की भूमिका पूरी तरह से संदेह के घेरे में रही है.

राजस्थान के स्काउट एंड गाइडस सदस्यों ने हिमाचल की लोक संस्कृति की ली जानकारी

धर्मशाला: राजस्थान प्रदेश के सभी जिलों के स्काउट गाइड के सदस्य शैक्षिक शिविर में हिमाचल प्रदेश की लोक संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन स्थल, खान-पान, रहन सहन की जानकारी ले रहे हैं। शिविर के संचालक बीएस. राजपुरोहित ने जानकारी देते हुए बताया कि पांच दिवसीय शैक्षिक शिविर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला डाढ में आयोजित किया जा … Read more

कांग्रेस-बीजेपी को ABVP ने चुनावों के दौरान SPU को लेकर किए वादों की दिलाई याद

मंडी: एसपीयू मंडी की एबीवीपी इकाई के अध्यक्ष हर्षित मिन्हास ने कांग्रेस-बीजेपी को चुनावों के दौरान एसपीयू को लेकर किए वादों की एबीवीपी ने याद दिलाई। उन्होंने कहा कि चुनावों में दोनों दलों ने एसपीयू को बनाया था, अब उन वादों को पूरा करने का समय है। उन्होंने कहा कि चुनावों के बाद इस यूनिवर्सिटी को न्याय दिलाने के लिए अब कोई नेता पहल नहीं कर रहा है। चुनाव खत्म होते ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने राजनीतिक दलों को सरदार पटेल यूनिवर्सिटी को लेकर चुनावों के दौरान किए वादों को याद दिलाया। विद्यार्थी का कहना है कि चुनावों के दौरान कांग्रेस व बीजेपी के द्वारा एसपीयू के दायरे को बढ़ाने को लेकर कई तरह के वादे किए थे। यह समय अब उन वादों को पूरा करने का है। यह मांग विद्यार्थी परिषद ने मंडी में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान की है। प्रेस वार्ता के दौरान एसपीयू एबीवीपी इकाई अध्यक्ष हर्षित मिन्हास ने प्रदेश सरकार पर मंडी के साथ सौतेला व्यवहार करने के आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने सत्ता में आते ही सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के दायरे को कम कर दिया है।

प्रदेश सरकार को नव शिशु की भांति इस यूनिवर्सिटी को संभालना चाहिए, लेकिन उनका इस विश्वविद्यालय के लिए नकारात्मक रवैया रहा। यूनिवर्सिटी के सभी विभागों में स्टाफ की कमी है। उन्होंने प्रदेश सरकार से एसपीयू में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति, गैर शिक्षकों की भर्ती करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सरदार पटेल विश्वविद्यालय ही एक मात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जहां अध्यरत्त लड़कों के लिए हॉस्टल की सुविधा नहीं है। इन मांगों को लेकर विद्यार्थी परिषद दो बार सूबे के सीएम को मांग पत्र भी प्रेषित कर चुकी है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कि कहा कि चुनावों में कांग्रेस-बीजेपी ने इस यूनिवर्सिटी को मुद्दा बनाकर केवल वोट बैंक की राजनीति की। लेकिन अब इस यूनिवर्सिटी को न्याय दिलाने के लिए कोई भी नेता आगे नहीं आ रहा है।

हिमाचल में बनी बीपी, संक्रमण और बुखार के 7 दवाओं के सैंपल फेल….

बद्दी/सोलन: हिमाचल में बनीं सात दवाओं समेत देशभर की 50 दवाएं मानकों पर सही नहीं उतरी हैं। मई माह में ड्रग अलर्ट में इसका खुलासा हुआ है। प्रदेश में संक्रमण, उच्च रक्तचाप, मांसपेशियों की कमजोरी, बुखार, अल्सर और खांसी की दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। सोलन जिले की चार, सिरमौर जिले की दो व ऊना के एक दवा उत्पादकों के सैंपल मानकों पर सही नहीं उतरे हैं। केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन ने देशभर के दवा उद्योगों से सैंपल लिए थे। इनमें हिमाचल के सात सैंपल सही नहीं पाए गए। हिमाचल में औद्योगिक क्षेत्र झाड़माजरी की अमेस्टर लैब कंपनी की संक्रमण की दवा सेफिक्सीम, सिरमौर के कालाअंब स्थित विद्याशय फार्मास्युटिकल कंपनी की उच्च रक्तचाप की दवा कार्वेडिलोल, बद्दी के संडोली स्थित हेल्थ बायोटेक कंपनी की मांसपेशियों की कमजोरी की दवा नियोस्टिग्माइन मिथाईल, सिरमौर के कालाअंब स्थित कासपेन फार्मास्युटिकल कंपनी की बुखार की दवा डाईफेंहाइड्रमिन, बद्दी के मानपुरा स्थित वीआईपी फार्मास्युटिकल कंपनी की अल्सर की दवा रेबिप्रोजोल, ऊना जिले की स्विश गेम्स बायोटेक कंपनी की उच्च रक्तचाप की दवा टेलमीसार्टन, साई रोड़ बद्दी स्थित एमडीसी फार्मास्युटिकल कंपनी की खांसी की दवा एसिटाइलसिस्टी एब्रोक्सोल दवा के सैंपल मानकों पर सही नहीं पाए गए। राज्य ड्रग नियंत्रक मनीष कपूर ने सैंपल फेल होने की पुष्टि करते हुए बताया कि विभाग ने जिन उद्योगों के सैंपल फेल हुए है ,उन्हें नोटिस जारी कर दिए हैं। इन उद्योगों को बाजार से स्टॉक वापस मंगवाने को कहा गया है। विभाग की ओर से अपने स्तर पर इन दवाओं के सैंपल भी लिए जाएंगे।

देहरा में पूरी होगी कांग्रेस की हरसत? जानें सीएम सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर की पढ़ाई से लेकर अब तक का सफर

Sukhvinder Singh Sukhu Wife Kamlesh Thakur: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर की चुनावी राजनीति में एंट्री हो गई है. नादौन विधानसभा क्षेत्र में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के चुनाव में हमेशा ही अहम भूमिका में रहने वाली 54 वर्षीय कमलेश ठाकुर अब खुद विधानसभा में एंट्री के लिए चुनावी रण में उतर गई हैं. कमलेश ठाकुर देहरा विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव लड़ रही हैं. यहां उनका सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के होशियार सिंह के साथ रहने वाला है. कमलेश ठाकुर मूल रूप से जिला कांगड़ा के जसवां परगपुर की रहने वाली हैं. उनका जन्म 2 अप्रैल, 1970 को देहरा उपमंडल के नलसूहा गांव में हुआ था. अपनी दसवीं की पढ़ाई उन्होंने नलसूहा और बारहवीं की पढ़ाई परागपुर से पूरी की है. कमलेश ठाकुर राजनीति शास्त्र में एमए कर चुकी हैं. उन्होंने राजकीय कॉलेज चंडीगढ़ से पीजीडीसीए का डिप्लोमा भी किया है.

साल 1998 में हुई थी शादी

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ उनकी शादी 11 जून, 1998 को हुई थी. शादी के बाद ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना पहला विधानसभा का चुनाव भी लड़ा. इससे पहले वे नगर निगम शिमला में पार्षद का चुनाव जीत चुके थे. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साल 2003 में नादौन विधानसभा क्षेत्र से अपना पहला चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.

इसके बाद वे साल 2007, साल 2017 और साल 2022 में भी नादौन विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल करने में सफल रहे. हालांकि साल 2012 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बीजेपी के विजय अग्निहोत्री से हार गए थे. मुख्यमंत्री के हर चुनाव में कमलेश ठाकुर का अहम योगदान रहता है. वे बीते 20 सालों से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सक्रिय सदस्य भी हैं. इसके अलावा कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ भी उनका जुड़ाव है.

हाई प्रोफाइल बना देहरा का उपचुनाव

देहरा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी के चुनावी रण में उतरने से यह सीट हाई प्रोफाइल हो गई है. जानकारों की मानें, तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी धर्मपत्नी यहां से टिकट नहीं चाहते थे, लेकिन कांग्रेस आलाकमान के कहने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने धर्मपत्नी के चुनाव लड़ने पर हामी भरी है. इसे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के लिए किसी चुनौती से कम नहीं माना जा सकता. हालांकि उन्होंने अब चुनौती को स्वीकार कर लिया है और जल्द ही वे प्रचार में भी उतरने वाले हैं. देहरा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में प्रचार से पहले ही कई नारे भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं, जो आने वाले वक्त में प्रचार के दौरान ग्राउंड पर भी नजर आएंगे.

सोशल मीडिया पर वायरल नारे 

 

• बेटी करेगी अब देहरा के साथ न्याय

 

• निर्दलीय बिकाऊ विधायक होशियार सिंह के अन्याय से दिलाएगी मुक्ति

 

• देहरा विधानसभा क्षेत्र में होगा चहुंमुखी विकास

 

• देहरा को बिकाऊ की नहीं, टिकाऊ विधायक की जरूरत

 

• जनता लड़ेगी बेईमानों के खिलाफ जंग, देहरा का जन कमलेश ठाकुर के संग

यहां आज तक अधूरी है कांग्रेस की जीत की हसरत

देहरा विधानसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक यहां कांग्रेस की जीत नहीं हुई. कांग्रेस के लिए यहां जीत हासिल करना आज भी अधूरी हसरत की तरह है. इसी सियासी हसरत को पूरा करने के लिए कांग्रेस केंद्रीय आलाकमान ने मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी को चुनावी रण में उतारा है. देहरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की कद्दावर नेता विप्लव ठाकुर तक हार का सामना कर चुकी हैं. ऐसे में अब कमलेश ठाकुर के सामने यह सीट कांग्रेस की झोली में डालने की चुनौती आ खड़ी हुई है. कमलेश ठाकुर 54 साल की उम्र में अपने जीवन का पहला चुनाव लड़ रही हैं.

साल 2022 में देहरा विधानसभा का रिजल्ट

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के रमेश चंद को 16 हजार 730, कांग्रेस के डॉ. राजेश शर्मा को 19 हजार 120 और निर्दलीय प्रत्याशी होशियार सिंह को 22 हजार 997 वोट मिले थे. वहीं, बहुजन समाज पार्टी के हरबंस सिंह को 213, आम आदमी पार्टी के मनीष कुमार को 483 और निर्दलीय प्रत्याशी वरुण कुमार ने 560 वोट हासिल किए थे. इसके अलावा 472 लोगों ने नोटा का बटन भी दबाया था. इस तरह कुल 60 हजार 575 वोट में से 22 हजार 997 वोट लेकर होशियार सिंह ने जीत हासिल की थी।

क्या रहे पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम?
देहरा विधानसभा क्षेत्र में अगर साल 2012 और साल 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डाली, जाए तो यहां कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब हो गई थी. भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के नजदीकी रहे रविंद्र सिंह रवि ने 15 हजार 293 वोट के बड़े मार्जिन से यहां जीत हासिल की थी. रविंद्र सिंह रवि को 24 हजार 463 और कांग्रेस के योग राज को सिर्फ 9 हजार 170 वोट ही मिले थे. साल 2017 का विधानसभा चुनाव देहरा से निर्दलीय प्रत्याशी होशियार सिंह जीते. होशियार सिंह को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर 24 हजार 206 वोट, बीजेपी के रविंद्र सिंह रवि को 20 हजार 292 और कांग्रेस की विप्लव ठाकुर को 8 हजार 289 वोट मिले थे. इस तरह होशियार सिंह 3 हजार 914 वोट के मार्जिन से जीत हासिल करने में सफल रहे थे. अब सभी की नजरें साल 2024 के देहरा विधानसभा उपचुनाव पर आकर टिक गई है।

पार्टी ने बनाया पत्नी को उम्मीदवार, पहले भी मैंने कर दिया था इनकार’

शिमला: समर फेस्टिवल के समापन अवसर पर ऐतिहासिक रिज मैदान पहुंचे सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनकी पत्नी अब देहरा से कांग्रेस की प्रत्याशी होंगी। सीएम ने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय भी पार्टी हाईकमान ने उनकी पत्नी को उम्मीदवार बनाने को कहा था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया था। वह चाहते थे कि एक परिवार से एक ही राजनीति में आए, लेकिन इस बार फिर से प्रदेश में ऐसी परिस्थितियां बनी हैं कि पार्टी हाईकमान ने उनकी पत्नी को उम्मीदवार बनाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में वह इन निर्देशों की अवहेलना नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि साढ़े तीन साल तक उनकी पत्नी अब इस क्षेत्र से जनता की सेवा करेंगी। उम्मीद है कि जनता उन्हें भरपूर समर्थन देगी। पर्यटक से अभद्र व्यवहार के मामले पर सीएम ने कहा कि वह इस मामले की जांच करवाएंगे। हिमाचल में आने वाले पंजाब के पर्यटकों से किसी तरह का अभद्र व्यवहार नहीं होगा। हिमाचल और पंजाब भाई-भाई हैं।